लोगों की राय
प्रस्तुत है पुस्तक खिलौनेवाली...
Khilaunevali-A Hindi Book by Shankar Sultanpuri
प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश
खिलौनेवाली
सुबह होते-होते रामनगर कस्बे में सारंगी की आवाज गूंज उठती। वहां कण-कण में उल्लास छा जाता। बच्चों के चेहरे खिल जाते। जो सोये होते, चौंककर उठ बैठते। जो नाश्ता कर रहे होते, अधूरा छोड़ देते। जो जिस हालत में होता, वैसे ही गली की ओर दौड़ पड़ता।
जब तक बच्चे सड़क के किनारे छायादार आम के पेड़ के नीचे एकत्र होते, तब तक सामने से खिलौने वाली आ जाती। उसके सिर पर खिलौनों की टोकरी होती और हाथ में सारंगी। वह ऊपर से नीचे तक खूब सजी-धजी रहती। उसे देखकर बच्चे उल्लास से तालियां बजाते, ‘‘आ गई ! खिलौनेवाली चाची आ गई।’’
चुन्नू, मुन्नू, पप्पी, शिब्बू, जाहिद, सुवेल, पम्पी, जरीना....ये सब चारों ओर से उसे घेर कर उसका स्वागत करते। खिलौनेवाली चाची टोकरी उतारकर नीचे रख देती और बच्चों में घुल-मिल जाती।
बच्चे खिलौनों की टोकरी से अपनी –अपनी पसंद के खिलौने देखने लगते। खिलौने वाली चाची एक-एक कर उन्हें सब खिलौने दिखा देती।
कोई हाथी लेता, तो कोई घोड़ा। किसी को ऊंट पसंद आता तो किसी को तोता। बच्चे अपनी-अपनी पसंद के खिलौने लेकर पैसे दे देते। जिनके पास न होते वे अगले दिन चुका देने का वादा कर देते।
मैं उपरोक्त पुस्तक खरीदना चाहता हूँ। भुगतान के लिए मुझे बैंक विवरण भेजें। मेरा डाक का पूर्ण पता निम्न है -
A PHP Error was encountered
Severity: Notice
Message: Undefined index: mxx
Filename: partials/footer.php
Line Number: 7
hellothai