मनोरंजक कथाएँ >> गुणवत्ता गुणवत्ताजॉन गाल्जवर्दी
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गुणवत्ता कहानी जो जूतों का किस्सा बयान करती है ...
प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश
गुणवत्ता
मैं उन्हें अपनी जवानी के शुरुआती दिनों से ही जानता था, क्योंकि वह मेरे
पिताजी के जूते बनाया करते थे; वह अपने बड़े भाई के साथ एक छोटी-सी गली
में दो छोटी-छोटी दुकानों को जोड़कर बनाई गई दुकान में रहते थे। अब तो यह
गली नहीं रह गई है, लेकिन तब यह वेस्ट एंड के फैशनेबुल इलाके में बहुत
अच्छी स्थिति में थी।
इस दुकान की अपनी अलग शांत पहचान थी। इस पर उनके अपने ‘गेसलर ब्रदर्स’ के नाम के अलावा और कोई बोर्ड नहीं था; और खिड़की में कुछ जोड़ी जूते रखे होते थे। वह बस वही बनाते थे जिनका उन्हें आदेश मिलता था, और यह बात अत्यन्त अकल्पनीय लगती थी कि उनकी बनाई हुई कोई चीज फिट न हो। मैं चौदह की उम्र में उनके पास गया था। उन दिनों, और आज भी, जूते बनाना.....उनके जैसे जूते बनाना.....मुझे रहस्यमय और अद्भुत लगा करता था।
मुझे अच्छी तरह याद है कि कैसे एक दिन उनके आगे अपना भरा हुआ पाँव फैलाते हुए मैंने संकोचवश वह टिप्पणी कर दी थी, ‘‘क्या यह सब करना बहुत मुश्किल नहीं है, मिस्टर गेसलर ?’’ और उनकी लाल दाढ़ी से एक औचक मुस्कान के साथ आया वह जवाब, यह हुनर है !’’
उनके पास अक्सर जाना संभव ही नहीं था.....उनके जूते चलते ही इतने अधिक थे; उनमें अस्थाई से कुछ आगे की बात होती थी। जैसे उनमें जूते का मर्म सिल दिया गया हो।
इस दुकान की अपनी अलग शांत पहचान थी। इस पर उनके अपने ‘गेसलर ब्रदर्स’ के नाम के अलावा और कोई बोर्ड नहीं था; और खिड़की में कुछ जोड़ी जूते रखे होते थे। वह बस वही बनाते थे जिनका उन्हें आदेश मिलता था, और यह बात अत्यन्त अकल्पनीय लगती थी कि उनकी बनाई हुई कोई चीज फिट न हो। मैं चौदह की उम्र में उनके पास गया था। उन दिनों, और आज भी, जूते बनाना.....उनके जैसे जूते बनाना.....मुझे रहस्यमय और अद्भुत लगा करता था।
मुझे अच्छी तरह याद है कि कैसे एक दिन उनके आगे अपना भरा हुआ पाँव फैलाते हुए मैंने संकोचवश वह टिप्पणी कर दी थी, ‘‘क्या यह सब करना बहुत मुश्किल नहीं है, मिस्टर गेसलर ?’’ और उनकी लाल दाढ़ी से एक औचक मुस्कान के साथ आया वह जवाब, यह हुनर है !’’
उनके पास अक्सर जाना संभव ही नहीं था.....उनके जूते चलते ही इतने अधिक थे; उनमें अस्थाई से कुछ आगे की बात होती थी। जैसे उनमें जूते का मर्म सिल दिया गया हो।
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