मनोरंजक कथाएँ >> बुलबुल की कहानी बुलबुल की कहानीआचार्य चतुरसेन
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बुलबुल की कहानी बच्चों के लिए आचार्य चतुर सेन की ओर से सुन्दर तोहफा है ....
प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश
बुलबुल की कहानी
बहुत पुराने जमाने की बात है। चीन देश में एक बड़ा भारी राजा राज करता था।
उसका महल चीनी मिट्टी का बना था और बहुत ही सुन्दर था। महल के चारों ओर
बडा़ बढ़िया बगीचा था। उसमे भाँति भांति के फूलों और फलों के पेड़ लगे थे।
राजा ने हर एक पेड़ पर घंटी लटकवा दी थी। वे हवा के चलने से मनोहर शब्द
किया करती थीं। यह बगीचा समुद्र किनारे तक चला गया था।
समुद्र के किनारे पर बगीचे के एक कोने में एक बड़ा पेड़ था। उस पेड़ पर एक बुलबुल रहती थी। उसका गाना इतना मीठा था कि उसे सुनकर मल्लाह जहाज़ चलाना रोक देते थे और घंटों उसका मीठा गाना सुना करते थे। उसके गाने में ऐसा असर था कि उसे सुनकर रोगी चंगे हो जाते थे।
एक दिन रसोईघर की दासी ने राजा से उस बुलबुल की बहुत प्रशंसा की। राजा सुनकर अचरज में डूब गया। वह बुलबुल की कोई बात नहीं जानता था। उसने दासी की बात सुनकर तुरन्त अपने मन्त्री को बुलाया और उसे हुक्म दिया कि मेरे बगीचे में जो बुलबुल रहती है- उसे आज शाम को मेरे दरबार में हाजिर करो- नहीं तो तुम्हें सूली पर चढ़ा दिया जाएगा।
समुद्र के किनारे पर बगीचे के एक कोने में एक बड़ा पेड़ था। उस पेड़ पर एक बुलबुल रहती थी। उसका गाना इतना मीठा था कि उसे सुनकर मल्लाह जहाज़ चलाना रोक देते थे और घंटों उसका मीठा गाना सुना करते थे। उसके गाने में ऐसा असर था कि उसे सुनकर रोगी चंगे हो जाते थे।
एक दिन रसोईघर की दासी ने राजा से उस बुलबुल की बहुत प्रशंसा की। राजा सुनकर अचरज में डूब गया। वह बुलबुल की कोई बात नहीं जानता था। उसने दासी की बात सुनकर तुरन्त अपने मन्त्री को बुलाया और उसे हुक्म दिया कि मेरे बगीचे में जो बुलबुल रहती है- उसे आज शाम को मेरे दरबार में हाजिर करो- नहीं तो तुम्हें सूली पर चढ़ा दिया जाएगा।
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