Panchtantra Ki Kahaniyan - Hindi book by - Yukti Bainarji - पंचतंत्र की कहानियाँ - युक्ति बैनर्जी
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पंचतंत्र की कहानियाँ

युक्ति बैनर्जी

प्रकाशक : बी.पी.आई. इण्डिया प्रा. लि. प्रकाशित वर्ष : 2007
पृष्ठ :16
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 6317
आईएसबीएन :978-81-7693-535

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पंचतंत्र की कहानियाँ बच्चों के लिए शिक्षाप्रद कहानियाँ हैं। प्रचलित लोककथाओं के द्वारा प्रसिद्ध गुरु विष्णु शर्मा ने तीन छोटे राजकुमारों को शिक्षा दी।

Panchtantra Ki Kahaniyan

प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश

अनुक्रम

1. मूर्ख ब्राह्मण
2. मूर्ख गधा
3. साहसी कालू

पंचतंत्र की कहानियाँ


पंचतंत्र की कहानियाँ बच्चों के लिए शिक्षाप्रद कहानियाँ हैं। प्रचलित लोक कथाओं के द्वारा प्रसिद्ध गुरु विष्णु शर्मा ने तीन छोटे राजकुमारों को शिक्षा दी। ‘पंच’ का अर्थ है पाँच और ‘तन्त्र’ का अर्थ है प्रयोग। विष्णु शर्मा ने उनके व्यवहार को इन सरल कहानियों के द्वारा सुधारा। आज भी ये कहानियाँ बच्चों की मन पसंद कहानियाँ हैं।

मूर्ख ब्राह्मण


एक छोटा-सा गाँव था। वहाँ एक गरीब ब्राह्मण रहता था। एक दिन उसे पड़ोस के गाँव से पूजा के लिए बुलाया गया। वहाँ उसे खाना, कपड़े और एक बकरी भेंट में मिले। वह बहुत खुश हुआ। ब्राह्मण ने बकरी को कंधे पर लादा और चल दिया। कुछ ठगों ने उसे देख लिया।

उन्होंने मिलकर उससे एक बकरी हथियाने की सोची। एक ठग उसके पास आया और बोला, ‘‘भाई, तुम तो इतने बुद्धिमान हो फिर यह मरा हुआ बछड़ा कंधे पर उठाकर क्यों चल रहे हो ?’’ ब्राह्मण ने बकरी की ओर देखकर कहा, ‘‘यह मरा हुआ बछड़ा नहीं है। यह तो बकरी है।’’ उस ठग ने मुँह बिचकाया और चल दिया। ब्राह्मण आगे चल पड़ा। अब उसे दूसरा ठग मिला वह उसके सामने से निकला और बोला, ‘‘वाह ! क्या बात है, एक ब्राह्मण कुत्ते को कंधे पर बैठाकर ले जा रहा है।’’ ब्राह्मण बोला, ‘‘तुम्हें दिखाई नहीं देता, यह कुत्ता नहीं बकरी है, जाओ यहाँ से।’’ ठग ने अपना सिर झटकाया और चला गया।

तभी तीसरा ठग उसे मिला। ‘‘आह आज तो मज़ा आ गया। एक ब्राह्मण गधे को कंधे पर उठाकर ले जा रहा है। ऐसा तो कभी नहीं देखा।’’ ब्राह्मण गुस्से से बोला ‘‘यह गधा नहीं बकरी है।’’ ठग ने हँसते हुए बोला, ‘‘एक बुद्धू ही गधे को बकरी कह सकता है !’’

ब्राह्मण अब परेशान हो चुका था। ‘‘मुझे लगता है ज़रूर कुछ गड़बड़ है। तीन-तीन लोगों ने इस पशु के बारे में कहा कि मैं बकरी नहीं ले जा रहा। बकरी का रूप धरकर ज़रूर कोई राक्षस मुझे सता रहा है।’’ उसने बकरी को ज़मीन पर उतार दिया और भाग गया। सभी ठग झाड़ियों के पीछे छिपे थे। उन्होंने मज़े से बकरी उठा ली और चल दिए।

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