खाना खजाना >> यौगिक व सात्विक आहार यौगिक व सात्विक आहारकोमल तनेजा
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यौगिक और सात्विक आहार की श्रेणी में ऐसे भोजन को शामिल किया जाता है जो व्यक्ति के तन और मन को शुद्ध, शक्तिवर्धक, स्वस्थ और प्रसन्नता से भर देता है ...
प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश
यौगिक और सात्विक आहार की श्रेणी में ऐसे भोजन को शामिल किया जाता है जो
व्यक्ति के तन और मन को शुद्ध; शक्तिवर्द्धक, स्वस्थ और प्रसन्नता से भर
देता है। दूसरे शब्दों में कहें तो सात्विक आहार व्यक्ति को संतुलिक
स्वस्थ शरीर, शांति, सामंजस्यपूर्ण तालमेल की कुशलता और बौद्धिक
व्यक्तित्व प्रदान करता है।
सात्विक आहार शांत व स्पष्ट मस्तिष्क का प्रतिनिधित्व करता है। जिस प्रकार एक सी प्रवृत्ति वाली वस्तुएं, परस्पर प्रतिबिंबित होती हैं, उसी प्रकार सात्विक व यौगिक आहार भी शांतिपूर्ण होती हैं, उसी प्रकार सात्विक व यौगिक आहार भी शांतिपूर्ण (उत्तेजना रहित) व स्वच्छ (अशुद्धियों से रहित) होता है। सात्विक भोजन आयुर्वेद के प्राचीन नियमों पर आधारित है, जो सामान्य व पारंपरिक विधियों से तैयार किया जाता है।
सात्विक आहार शांत व स्पष्ट मस्तिष्क का प्रतिनिधित्व करता है। जिस प्रकार एक सी प्रवृत्ति वाली वस्तुएं, परस्पर प्रतिबिंबित होती हैं, उसी प्रकार सात्विक व यौगिक आहार भी शांतिपूर्ण होती हैं, उसी प्रकार सात्विक व यौगिक आहार भी शांतिपूर्ण (उत्तेजना रहित) व स्वच्छ (अशुद्धियों से रहित) होता है। सात्विक भोजन आयुर्वेद के प्राचीन नियमों पर आधारित है, जो सामान्य व पारंपरिक विधियों से तैयार किया जाता है।
समर्पण
यह पुस्तक एक ऐसे अद्भुत व्यक्ति को समर्पित है, जिनमें मानवता की सेवा के
लिए नि:स्वार्थ भाव से अपना तन-मन लगा दिया है। इससे पूर्व मैं ऐसे किसी
व्यक्ति से नहीं मिली, यह प्रशंसनीय शख्स हैं, डॉ. त्रिलोचन सिंह (सीनियर
सर्जन, सर गंगाराम अस्पताल)। यह पुस्तक मेरे गुरु के सादा, सात्विक व
आध्यात्मिक जीवनशैली के प्रति विनीत श्रद्धांजलि है। जिसने मुझे आपको यह
पुस्तक सौंपने की प्रेरणा दी।
भूमिका
यौगिक व सात्विक आहार की श्रेणी में ऐसे भोजन को शामिल किया जाता है जो
व्यक्ति के तन और मन को शुद्ध; शक्तिवर्द्धक, स्वस्थ और प्रसन्नता से भर
देता है। दूसरे शब्दों में कहें तो सात्विक आहार व्यक्ति को संतुलित
स्वस्थ शरीर, शांति, सामंजस्यपूर्ण तालमेल की कुशलता और बौद्धिक
व्यक्तित्व प्रदान करता है।
सात्विक आहार शांत व स्पष्ट मस्तिष्क का प्रतिनिधत्व करता है। जिस प्रकार एक सी प्रवृत्ति वाली वस्तुएं, परस्पर प्रतिबिंबित होती हैं, उसी प्रकार सात्त्विक व यौगिक आहार भी शांतिपूर्ण (उत्तेजना रहित) व स्वच्छ (अशुद्धियों से रहित) होता है। सात्विक भोजन आयुर्वेद के प्राचीन नियमों पर आधारित है, जो सामान्य व पारंपरिक विधियों से तैयार किया जाता है। भोजन तैयार करने के अनेक आधुनिक उपकरणों द्वारा तैयार भोजन पर बुरा प्रभाव पड़ता है, जो उसे राजसिक व तामसिक बना देता है। ऐसा भोजन स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है।
सात्विक आहार में संपूर्ण जैविक रूप से तैयार खाद्य पदार्थों पर बल दिया जाता है, ऐसा भोजन जिसे आप स्वयं उगाते हैं, वह आपको प्राकृतिक वातावरण से एकाकार कर देता है। यह आहार प्रमुख रूप से दुग्घ-शाकाहरी होता है जिससे डेयरी मूल्यों की प्रधानता होती है किन्तु यहां अंडे, मांस, मछली व पोल्ट्री आदि जन्तु उत्पादों को शामिल नहीं किया जाता। सात्विक व आध्यात्मिक आहार में कृत्रिम भोजन निर्माण की अपेक्षा कच्चे निर्माण पर ही बल दिया जाता है।
सात्विक आहार शांत व स्पष्ट मस्तिष्क का प्रतिनिधत्व करता है। जिस प्रकार एक सी प्रवृत्ति वाली वस्तुएं, परस्पर प्रतिबिंबित होती हैं, उसी प्रकार सात्त्विक व यौगिक आहार भी शांतिपूर्ण (उत्तेजना रहित) व स्वच्छ (अशुद्धियों से रहित) होता है। सात्विक भोजन आयुर्वेद के प्राचीन नियमों पर आधारित है, जो सामान्य व पारंपरिक विधियों से तैयार किया जाता है। भोजन तैयार करने के अनेक आधुनिक उपकरणों द्वारा तैयार भोजन पर बुरा प्रभाव पड़ता है, जो उसे राजसिक व तामसिक बना देता है। ऐसा भोजन स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है।
सात्विक आहार में संपूर्ण जैविक रूप से तैयार खाद्य पदार्थों पर बल दिया जाता है, ऐसा भोजन जिसे आप स्वयं उगाते हैं, वह आपको प्राकृतिक वातावरण से एकाकार कर देता है। यह आहार प्रमुख रूप से दुग्घ-शाकाहरी होता है जिससे डेयरी मूल्यों की प्रधानता होती है किन्तु यहां अंडे, मांस, मछली व पोल्ट्री आदि जन्तु उत्पादों को शामिल नहीं किया जाता। सात्विक व आध्यात्मिक आहार में कृत्रिम भोजन निर्माण की अपेक्षा कच्चे निर्माण पर ही बल दिया जाता है।
सात्विक आहार की श्रेणियां
वह शुद्ध आहार जो जीवंतता, ऊर्जा, स्वास्थ्य व प्रसन्नता में वृद्धि करे
जो स्वादिष्ट, संपूर्ण, पुष्टिवर्द्धक व स्वीकार्य हो; सात्विक कहलाता है।
इस भोजन में मन शांत व शुद्ध होता है जिससे एकात्मकता, संतुलन व शांति की
प्रवृत्ति पैदा होती है। सात्विक भोजन से अधिकतम् ऊर्जा मिलती है, शक्ति
में वृद्धि होती है व कड़े परिश्रम से होनेवाली थकान भी मिटती है। एक
शांतिपूर्ण रवैया विकसित होता है व ध्यान के लिए प्रेरक बल मिलता है। जहां
तक संभव हो सके भोजन ताजा व कुदरती होना चाहिए, यदि जैविक रूप से उगाया
गया हो तो और भी बेहतर है। इसे संरक्षित व कृत्रिम तरीकों से न रखा गया
हो। ऐसा भोजन, जहाँ तक हो सके- कच्चा, भाप में पका या हल्का पका, यानी
कुदरती रूप से खाना चाहिए।
सात्विक भोजन में निम्नलिखित को शामिल कर सकते हैं-
सात्विक भोजन में निम्नलिखित को शामिल कर सकते हैं-
अनाज:
अनाज में मक्का, साबूदाना, गेहूँ, बिना पॉलिश के चावल, जई व
बाजरा आदि आते हैं। ध्यान रहे कि आपके भोजन में जई व साबुत अनाज से बनी रोटी
शामिल हो। कच्चे खाद्य पदार्थों से दाँतों व मसूड़ों की मालिश होती है। और
पाचन की प्रक्रिया दुरुस्त रहती है। अनाज से आवश्यक कार्बोहाइड्रेट मिलते
हैं, ये शरीर के लिए ऊर्जा का प्रमुख स्रोत्र हैं; इनमें आधे से अधिक
अमीनो एसिड भी पाए जाते हैं; जो प्रोटीन बनाने के लिए चाहिए।
प्रोटीन युक्त भोजन: जैसी फलियां, मेवे व बीन। प्रोटीन हमारे शरीर का निर्माण करते हैं। सेहतमंद शाकाहरी भोजन में ऐसे खाघ पदार्थों का मिश्रण होना चाहिए, जिसमें प्रोटीन निर्माण के लिए पर्याप्त मात्रा में अमीनो एसिड भी शामिल हो।
फल: ताजे, सूखे फल व ताजे फलों के रस, प्राचीन ऋषियों व राजयोगियों का आहार रहे हैं। विभिन्न खाद्य पदार्थों के बीच फलों का योगियों की भोजन-सूची में बहुत महत्त्व है। ताजे रसदार फलों का उपचारक प्रभाव आश्चर्यजनक होता है। वे जीवन को ऊर्जा, खनिज पदार्थ व रेशे प्रदान करते हैं। इनमें पाया जाने वाला एल्कलाइन (alkaline) रक्त को शुद्ध रखता है।
सब्जियां: आहार में इनका भी काफी महत्त्व है। इनमें खनिज पदार्थ, विटामिन व रेशे पाए जाते हैं। आहार में बीजयुक्त सब्जियां; जैसे-जीरा, पत्तेदार सब्जियां, जड़ें व कंद-मूल शामिल करें। बेहतर होगा कि इन्हें कच्चा या हल्का पका कर खाएं।
जड़ी-बूटियां व मसाले: मसाले व जड़ी-बूटियों वाली चाय के लिए इनकी आवश्यकता होती है। ज्यादातर सात्विक मसाले सौम्य व मिठास युक्त होते हैं। इनमें हल्का तीखापन पाया जाता है। इन्हें आप आराम से ले सकते हैं क्योंकि इनसे पाचन में आसानी होती है, स्वास्थ्य को भी लाभ होता है। मसाले तो असीमित हैं लेकिन उदाहरण के तौर पर इलायची, दालचीनी, धनिया, सौंफ, अदरक व हल्दी आदि।
लाल व काली मिर्च व लहसुन जैसे मसाले राजसिक व उत्तेजक माने जाते हैं। इसके अतिरिक्त कुछ मसाले निर्जीव व तामसिक भी होते हैं। वैसे तो सात्विक भोजन में प्याज भी डाला जाता है किन्तु आप चाहें तो इनका प्रयोग न करें। आप इनकी बजाए हरा प्याज इस्तेमाल कर सकते हैं।
पेय पदार्थ: अफसोस से कहना पड़ता है कि अधिकांश आधुनिक पेय पदार्थ सेहत के लिए नुकसानदायक हैं। चाय, कॉफी व अन्य कैफीनयुक्त पेय उत्तेजक व राजसिक होते हैं। पाश्चराइज़र युक्त जूस, सोडा पोप व एल्कोहल आदि तामसिक प्रवृत्ति के पेय पदार्थ हैं। आधुनिक स्वास्थ्य ड्रिंक ‘सोया मिल्क’ भी कुछ चुनौतियों से घिरा है, इसके भी हानिकारक प्रभाव हैं। यह तैयार करते समय सुरक्षित व तटस्थ नहीं रहता।
सात्त्विक पेय पदार्थों में ताजा झरने का जल, कच्चा दूध, जड़ी-बूटी युक्त चाय, सात्विक फल व सब्जियों के रस (थोड़े पानी के साथ), अच्छी तरह तैयार बीज, अनाज, या मेवों से बने दूध व दुग्ध पदार्थों को शामिल कर सकते हैं।
फलियां: फलीदार भोजन पाचन में कठिनाई पैदा करता है लेकिन कई पारंपरिक समाज बड़ी आसानी से इसे अपनाते जा रहे हैं। इन्हें पकाने के तरीके पर ही सब निर्भर करता है।
फलियों को 24 घंटे गर्म स्थान में, छाछ या नीबू के रस से भिगो कर रखें। फिर पुराना पानी गिरा कर धो लें। फलियों को नरम होने तक पकाएं व ऊपर आने वाले झाग को छान लें। आखिर में बींस दोबारा छानें। इनमें सही मसाले, नमक, नीबू का रस, खमीर युक्त सब्जियां, मक्खन या जैतून का तेल मिलाएं।
सात्विक फलियों में मंग (mung) व आडुकि (aduki) का नाम ले सकते हैं। थोड़ी मात्रा में टोफू भी ले सकते हैं; वैसे खोया खमीरयुक्त रूप मीसो (miso), टेम्पे (tempeh), नाटो (natto) में ही लें। इनके नुकसानदायक प्रभाव कम होते हैं। गलत तरीके से तैयार की गई फलियों का प्रभाव राजसिक होता है। डिब्बाबंद फलियां तमस बढ़ाती है।
इस पुस्तक में मैंने ऐसी विधियां दी हैं, जो काफी कम समय में, घर में ही तैयार हो सकें। यौगिक व सात्विक आहार के सकारात्मक लाभों को दर्शाने के लिए मैंने सात्विक भोजन को दस श्रेणियों में बांट दिया है। मैंने स्वाद व सुगंध के लिए सादे व हरे प्याज का कई विधियों में इस्तेमाल किया है लेकिन लाल मिर्च व लहसुन जैसे तीखे मसालों का प्रयोग नहीं किया ताकि पका भोजन हल्का व सौम्य हो। आशा करती हूं कि इस पुस्तक उन लोगों के लिए लाभदायक होगी जो पूर्णतया शाकाहरी हैं व सात्विक आहार का पालन करते हैं।
प्रोटीन युक्त भोजन: जैसी फलियां, मेवे व बीन। प्रोटीन हमारे शरीर का निर्माण करते हैं। सेहतमंद शाकाहरी भोजन में ऐसे खाघ पदार्थों का मिश्रण होना चाहिए, जिसमें प्रोटीन निर्माण के लिए पर्याप्त मात्रा में अमीनो एसिड भी शामिल हो।
फल: ताजे, सूखे फल व ताजे फलों के रस, प्राचीन ऋषियों व राजयोगियों का आहार रहे हैं। विभिन्न खाद्य पदार्थों के बीच फलों का योगियों की भोजन-सूची में बहुत महत्त्व है। ताजे रसदार फलों का उपचारक प्रभाव आश्चर्यजनक होता है। वे जीवन को ऊर्जा, खनिज पदार्थ व रेशे प्रदान करते हैं। इनमें पाया जाने वाला एल्कलाइन (alkaline) रक्त को शुद्ध रखता है।
सब्जियां: आहार में इनका भी काफी महत्त्व है। इनमें खनिज पदार्थ, विटामिन व रेशे पाए जाते हैं। आहार में बीजयुक्त सब्जियां; जैसे-जीरा, पत्तेदार सब्जियां, जड़ें व कंद-मूल शामिल करें। बेहतर होगा कि इन्हें कच्चा या हल्का पका कर खाएं।
जड़ी-बूटियां व मसाले: मसाले व जड़ी-बूटियों वाली चाय के लिए इनकी आवश्यकता होती है। ज्यादातर सात्विक मसाले सौम्य व मिठास युक्त होते हैं। इनमें हल्का तीखापन पाया जाता है। इन्हें आप आराम से ले सकते हैं क्योंकि इनसे पाचन में आसानी होती है, स्वास्थ्य को भी लाभ होता है। मसाले तो असीमित हैं लेकिन उदाहरण के तौर पर इलायची, दालचीनी, धनिया, सौंफ, अदरक व हल्दी आदि।
लाल व काली मिर्च व लहसुन जैसे मसाले राजसिक व उत्तेजक माने जाते हैं। इसके अतिरिक्त कुछ मसाले निर्जीव व तामसिक भी होते हैं। वैसे तो सात्विक भोजन में प्याज भी डाला जाता है किन्तु आप चाहें तो इनका प्रयोग न करें। आप इनकी बजाए हरा प्याज इस्तेमाल कर सकते हैं।
पेय पदार्थ: अफसोस से कहना पड़ता है कि अधिकांश आधुनिक पेय पदार्थ सेहत के लिए नुकसानदायक हैं। चाय, कॉफी व अन्य कैफीनयुक्त पेय उत्तेजक व राजसिक होते हैं। पाश्चराइज़र युक्त जूस, सोडा पोप व एल्कोहल आदि तामसिक प्रवृत्ति के पेय पदार्थ हैं। आधुनिक स्वास्थ्य ड्रिंक ‘सोया मिल्क’ भी कुछ चुनौतियों से घिरा है, इसके भी हानिकारक प्रभाव हैं। यह तैयार करते समय सुरक्षित व तटस्थ नहीं रहता।
सात्त्विक पेय पदार्थों में ताजा झरने का जल, कच्चा दूध, जड़ी-बूटी युक्त चाय, सात्विक फल व सब्जियों के रस (थोड़े पानी के साथ), अच्छी तरह तैयार बीज, अनाज, या मेवों से बने दूध व दुग्ध पदार्थों को शामिल कर सकते हैं।
फलियां: फलीदार भोजन पाचन में कठिनाई पैदा करता है लेकिन कई पारंपरिक समाज बड़ी आसानी से इसे अपनाते जा रहे हैं। इन्हें पकाने के तरीके पर ही सब निर्भर करता है।
फलियों को 24 घंटे गर्म स्थान में, छाछ या नीबू के रस से भिगो कर रखें। फिर पुराना पानी गिरा कर धो लें। फलियों को नरम होने तक पकाएं व ऊपर आने वाले झाग को छान लें। आखिर में बींस दोबारा छानें। इनमें सही मसाले, नमक, नीबू का रस, खमीर युक्त सब्जियां, मक्खन या जैतून का तेल मिलाएं।
सात्विक फलियों में मंग (mung) व आडुकि (aduki) का नाम ले सकते हैं। थोड़ी मात्रा में टोफू भी ले सकते हैं; वैसे खोया खमीरयुक्त रूप मीसो (miso), टेम्पे (tempeh), नाटो (natto) में ही लें। इनके नुकसानदायक प्रभाव कम होते हैं। गलत तरीके से तैयार की गई फलियों का प्रभाव राजसिक होता है। डिब्बाबंद फलियां तमस बढ़ाती है।
इस पुस्तक में मैंने ऐसी विधियां दी हैं, जो काफी कम समय में, घर में ही तैयार हो सकें। यौगिक व सात्विक आहार के सकारात्मक लाभों को दर्शाने के लिए मैंने सात्विक भोजन को दस श्रेणियों में बांट दिया है। मैंने स्वाद व सुगंध के लिए सादे व हरे प्याज का कई विधियों में इस्तेमाल किया है लेकिन लाल मिर्च व लहसुन जैसे तीखे मसालों का प्रयोग नहीं किया ताकि पका भोजन हल्का व सौम्य हो। आशा करती हूं कि इस पुस्तक उन लोगों के लिए लाभदायक होगी जो पूर्णतया शाकाहरी हैं व सात्विक आहार का पालन करते हैं।
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