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प्रवासी लेखक >> मेरा दावा है

मेरा दावा है

सुधा ओम ढींगरा

प्रकाशक : विभौम प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2008
पृष्ठ :192
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 6401
आईएसबीएन :0000

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अमेरिका निवासी भारतीय शब्द-शिल्पियों का काव्य-संकलन...

Mera Dava Hai A Hindi Book by Sudha Dhingra - मेरा दावा है - सुधा ढींगरा

प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश

शब्द के द्वार पर सम्वेदना की दस्तक

भावनाओं का संवेग
जब शब्द के साँचे में ढलता है
तब सृजन का दीप जलता है
सात समन्दर पार अमेरिका में रहने वाले भारतीय परिवार
अपने वतन की माटी
और साँस्कृतिक परिपाटी से
कितना लगाव रखते हैं
कितना अनुराग और कितना भाव रखते हैं
‘मेरा दावा है’
यह कृति इसकी एक झाँकी है
जो प्यारी है, अद्भुत है, बांकी है

कविवर अलबेला द्वारा संयोजित
व डॉ. सुधा ढींगरा द्वारा सम्पादित
यह काव्य-संकलन
हिन्दी साहित्य की एक अनूठी पुस्तक है
जिसकी प्रत्येक रचना
शब्द के द्वार पर सम्वेदना की दस्तक है

काव्य-चयन इस कृति के सम्पादन का उज्ज्वल पक्ष है
वाकई डॉ. सुधा ओम ढींगरा इस कला में पूर्ण दक्ष है
अलबेला की अलबेली प्रतिभा रंग लाई है
नयनाभिराम शैली में पुस्तक सजाई है
समग्र कृति का काव्यबद्ध होना संयोजन का कमाल है
तिस पर अनुक्रमणिकाएँ तो अद्भुत हैं, बेमिसाल हैं

मैं इस काव्य-यज्ञ की सराहना करता हूँ
और परमपिता परमात्मा से प्रार्थना करता हूँ
कि ‘रचनाकार’ का यह अभिनव प्रयोग
काव्य-जगत में खूब नाम कमाये
तथा साहित्य में अपना स्थान बनाये

मंगल कामना, आशीर्वाद और मेरा हार्दिक हार्दिक प्यार
बधाई सुधा, बधाई अलबेला, बधाई बधाई रचनाकार !
पण्डित जसराज

प्रवासी वेदना में निहित देसी महक का पावा है
तलाश पहचान की करने वालों का मंगल सावा है
न व्यावसायिक मंच का प्रपंच, न कोई दिखावा है
बस...शब्द हैं और शब्दों में सम्वेदनाओं का लावा है

अनुक्रमणिका (खण्ड 1)

ग़ज़ल अफ़रोज़ ताज 49
खामोशी नहीं थी
ग़ज़ल अफ़रोज़ ताज 50
कुछ कह रही थी
लेकिन
क़तअ अफ़रोज़ ताज 51
सुनने में नहीं
देखने में मशगूल था
उसका माँसल सौन्दर्य
देखते ही देखते
रेत से बना महल ऊषा देव 53
ढह गया
और
पतंगे का जवाब ऊषा देव 54
शमा के आँसुओं में
बह गया
मौन ध्रुव कुमार 57
कान लगाकर सुन रहा था
जीवन-मृत्यु संवाद ध्रुव कुमार 58
वरना बिन्दु सिंह
61
कान्हा को कहाँ याद
कि मथुरा की मही
और फिर वही बिन्दु सिंह 62
गोकुल का दही
उसे
पुकार रहे हैं
वो भारती बी. नानावटी 65
आर्त्तनाद कर रहे हैं
आओ कृष्ण! भारती बी. नानावटी 66
आभी जाओ भारती बी. नानावटी 67
मेरा देशी मन रमेश शौनक 69
ऊब चुका है
चेहरों की दुकान रमेश शौनक 70
से
अब मैं 
खोज विजय गोम्बर 73
रहा हूँ ऐसी जगह
जहाँ
तू ही तू विजय गोम्बर 74
मुस्काए
एक नजर विजय गोम्बर 75
देखे
और मुझसे पूछे
कुछ बोया भी है विजया बापट 77
मैं कहूँ
हाँ विजया बापट 78
आँसुओं का गीत विजया बापट 79
मेरे प्यारे मनमीत
तुम विनोद गोयल 81
मेरे लिए सर्वोपरि हो
और तुम्हारा आँचल
मुझे
सारे जहाँ से अच्छा विनोद गोयल 82
लगता है
क्योंकि
मेरे ही भीतर कहीँ सरदार सिंह 85
सुवास है तुम्हारी
लेकिन कमबख्त
मनवा शान्त तभी होगा सरदार सिंह 86
जब
शिकवे सुधा ओम ढींगरा 89
सब दूर हो जायेंगे
और
रिश्ते सुधा ओम ढींगरा 91
प्यार से भरपूर हो जाएँगे
जीवन क्या है? सुधा ओम ढींगरा 91
मैं नहीं जानता
पर
आपके जाने के बाद सुधा राठी 93
मुझे यों लगता है प्रिये
मानों मैं तो जी रहा था
सिर्फ तुम्हारे लिए सुधा राठी 94

ख़िज़ाओं में ही बनते हैं ये सारे आशियाँ प्यारे
बहारों में तो सूखा एक भी तिनका नहीं रहता

डॉ अफ़रोज़ ताज

मगर एक बात कहूँ साहब
यारों के सामने
प्यारों के सामने
बच्चे के सामने
जो चेहरा भगवान का दिया हुआ है, वही सही है
और अगर जरूरत हो दीगर चेहरे की
तो हम मँगवाय देंगे, अपना तो बिजनेस यही है

रमेश शौनक

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