अतिरिक्त >> आधुनिक बुन्देली काव्य आधुनिक बुन्देली काव्यकालीचरण
|
7 पाठकों को प्रिय 384 पाठक हैं |
आधुनिक बुन्देली काव्य
प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश
बुन्देली अभिजात्य वर्ग की भाषा नहीं है, वह पाण्डित्य की चेतना और अहंकार से शून्य है, परंपरा के प्रवाह में जीवित रहने वाली लोकभाषा है आडम्बर रहित, कृत्रिमता से दूर स्वाभाविक अभिव्यक्ति, भावुक उद्गार लिए, हृदय को छूने वाली, आत्मीयता से ओत-प्रोत है- बुन्देली सभ्यता के दूषित प्रभाव से मुक्त ग्राम्य, वन-प्रवान्तर की यह सरस भाषा है। बुन्देली ग्रामांचलों के लोकमानस को सहजता से प्रकट करने की भाषा है।
इस संग्रह में जिन कवियों की कविताओं को संकलित किया गया है, जो कि आज की बुन्देली चेतना के प्रतिनिधि एवं प्रमुख कवि हैं। इनमें से अनेक कविताएँ विश्वविद्यालय पाठ्यक्रम में भी सादर स्वीकृत एवं निर्धारित हैं। बुन्देलखण्ड, मध्य प्रदेश तथा उत्तर प्रदेश दो सम्भागों अर्थात् सागर एवं झाँसी और दो विश्वविद्यालय अर्थात् डॉ. हरी सिंह गौर विश्वविद्यालय, सागर तथा बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय, झाँसी के सीमा आवर्तों में फैला हुआ है। बुन्देलखण्ड की शौर्य गाथा का बखान आधुनिक बुन्देली कवियों ने किया है।
इस संग्रह में जिन कवियों की कविताओं को संकलित किया गया है, जो कि आज की बुन्देली चेतना के प्रतिनिधि एवं प्रमुख कवि हैं। इनमें से अनेक कविताएँ विश्वविद्यालय पाठ्यक्रम में भी सादर स्वीकृत एवं निर्धारित हैं। बुन्देलखण्ड, मध्य प्रदेश तथा उत्तर प्रदेश दो सम्भागों अर्थात् सागर एवं झाँसी और दो विश्वविद्यालय अर्थात् डॉ. हरी सिंह गौर विश्वविद्यालय, सागर तथा बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय, झाँसी के सीमा आवर्तों में फैला हुआ है। बुन्देलखण्ड की शौर्य गाथा का बखान आधुनिक बुन्देली कवियों ने किया है।
|
अन्य पुस्तकें
लोगों की राय
No reviews for this book