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रेल की बात

हरि मोहन झा

प्रकाशक : अंतिका प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2008
पृष्ठ :80
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 6479
आईएसबीएन :9788190608107

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हास्य-व्यंग्य-सम्राट के रूप में ख्यात हरिमोहन झा की ग्यारह कहानियों का संकलन

Rail ki Baat by Harimohan Jha

प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश

हास्य व्यंग्य-सम्राट के रूप में ख्यात हरिमोहन झा बेशक गल्प-सम्राट भी हैं। आधुनिक मैथिली कहानी के आधार-स्तंभ।

हरिमोहन झा की रचनाएँ पढ़ने के लिए बड़ी संख्या में विद्वानों ने मैथिली सीखी। बेहद पठनीय और लोकप्रिय कथाकार की यह दुर्लभ किताब व्यापक हिंदी पाठकों के लिए बहुत बड़ी सौगात होगी।

इस संग्रह में प्रस्तुत ग्यारह कहानियों में से अधिकांश कहानियाँ निश्चय ही उनकी अपनी ही मैथिली कहानियों की पुनर्रचना हैं। लेकिन कतई इसे अनुवाद कहा जा सकता। इसकी अपनी मौलिकता है। इसमें कुछ ऐसी कहानियाँ भी हैं जो मैथिली के उनके किसी संकलन में नहीं मिलती हैं। हमें विश्वास है कि हिंदी के पाठकों के बीच इसका भरपूर स्वागत होगा। जन्मशताब्दी वर्ष में इसका प्रकाशन विशेष महत्त्व रखता है।

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