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हैरी पॉटर और पारस पत्थर

जे. के. रोलिंग

प्रकाशक : मंजुल पब्लिशिंग हाउस प्रकाशित वर्ष : 2003
पृष्ठ :283
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 6558
आईएसबीएन :81-86775-60-9

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हैरी पॉटर की कहानियाँ चुनिंदा बाल साहित्य का हिस्सा बन गई हैं, जिन्हें बचपन से लेकर बु़ढ़ापे तक बार-बार मज़े लेकर पढ़ा जा सकता है.....

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प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश

न तो क्विडिच टीम का हीरो था, न ही जादुई झाड़ू पर सवार होकर हवा में उड़ते हुये पॉइंट बनाता था। न तो वह मंत्र जानता था, न ही कभी उसने अंडे से ड्रैगन निकलते देखा था और न ही कभी उसने अदृश्य चोगा पहना था।
उसने अपने अंकल-आंटी यानी डर्स्ली पति-पत्नी और उनके मोटे, दु्ष्ट बेटे डडली के साथ रहते हुये जीवन भर दुख झेला था। कमरे के नाम पर हैरी के पास थी सीढ़ियों के नीचे बनी एक छोटी अलमारी और ग्यारह सालों में उसका जन्मदिन कभी किसी ने नहीं मनाया था।
परंतु यह सब बदल जाता है जब एक भीमकाय आदमी उसके नाम की एक रहस्यमय चिट्ठी लेकर आता हैः जिसमें एक ऐसी अविश्वसनीय जगह पर जाने का आमंत्रण है जिसे हैरी-और उसकी कहानी पढ़ने वाला कोई भी व्यक्ति-भूला नहीं पायेगा।
क्योंकि वहाँ उसे दोस्त मिलते हैं, हवाई खेल मिलते हैं, क्लास से लेकर भोजन तक हर चीज में जादू मिलता है। और साथ में मिलता है नाम कमाने का महान अवसर भी, जो उसका इंतजार कर रहा है, बशर्ते हैरी मुठभेड़ में बच सके।
जे.के. रोलिंग

..जब अकेली माँ के रूप में संघर्ष कर रही थीं, तब उन्होंने हैरी पॉटर और पारस पत्थर कॉफी हाउस में बैठकर रद्दी कतरनों पर लिखी, परंतु उनकी मेहनत रंग लायी जब उन्हें स्कॉटिश आर्टस, काउंसिल की ओर से अप्रत्याशित पुरस्कार मिला, जिसकी मदद से वे अपनी पुस्तक पूरी कर पायीं। तब से, उनका यह पहला उपन्यास अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त कर चुका है, समीक्षाओं में इसकी तारीफों के पुल बाँधे गये हैं और इसे बहुत से महत्वपूर्ण पुरस्कार मिले हैं, जिनमें ब्रिटिश बुक अवार्डस, चिल्ड्रन्स बुक ऑफ द इयर और स्मार्टीज पुरस्कार शामिल हैं। मिस रोलिंग अपनी पुत्री के साथ एडिनबरा में रहती हैं।

अध्याय एक


वह लड़का जो जिंदा बच गया
प्रिविट ड्राइव के मकान नंबर चार में रहने वाले मिस्टर और मिसेज़ डर्स्ली गर्व से कहते थे हम तो पूरी तरह सामान्य लोग हैं। कोई सोच भी नहीं सकता था कि यह लोग किसी रहस्यमयी या अजीब चीज़ में उलझ सकते थे, क्योंकि वे इस तरह की बेतुकी से दूर रहते थे। मिस्टर डर्स्ली ग्रनिंग्स नाम की कंपनी के डायरेक्टर थे, जो ड्रिल बनाती थी। मिस्टर डर्स्लीं मोटे-तगड़े थे और उनकी गर्दन तो जैसे थी ही नहीं, हालाँकि उनकी मूँछें बहुत बड़ी थीं। मिसेज़ डर्स्ली सुनहरे बालों वाली दुबली महिला थीं और उनकी गर्दन सामान्य से लगभग दुगुनी लंबी थी। यह लंबी गर्दन उनके बहुत काम आती थी, क्योंकि वे बगीचे की मुंडेर के पार ताक-झाँक करने में और पड़ोसियों की जासूसी करने में अपना बहुत सा समय बिताती थीं। उनका एक छोटा सा बेटा भी था, जिसका नाम था डडली और मिस्टर-मिसेज़ डर्स्ली का मानना था कि दुनिया में उससे अच्छा बच्चा हो ही नहीं सकता।

उनके पास वह सब कुछ था जो वे चाहते थे, पर उनकी जिंदगी में एक रहस्य भी था और उन्हें सबसे ज्यादा डर इसी बात से लगता था कि कहीं वह रहस्य किसी को पता न चल जाए। वे यह सोच भी नहीं सकते थे कि अगर किसी को पॉटर परिवार के बारे में पता चल गया, तो उनका क्या होगा। मिसेज़ पॉटर मिसेज़ डर्स्ली की बहन थीं, परंतु वे कई सालों से एक-दूसरे से नहीं मिली थीं। सच तो यह था कि मिसेज़ डर्स्ली सबको यही बताती थीं कि उनकी कोई बहन ही नहीं थी, क्योंकि उनकी बहन और उसका निकम्मा पति उन लोगों से उतने ही अलग थे, जितना अलग होना संभव था। यह सोचकर ही डर्स्ली पति-पत्नी के होश उड़ जाते थे कि अगर पॉटर पति-पत्नी उनकी गली में आ गये, तो उनके पड़ोसी क्या कहेंगे। वे जानते थे कि उनकी एक छोटा सा बेटा भी था, पर उन्होंने उसे कभी नहीं देखा था। यह बच्चा भी एक बड़ा कारण था, जिस वजह से वे पॉटर पति-पत्नी से दूर रहते थे। वे नहीं चाहते थे कि डडली इस तरह के बच्चे से मिले-जुले।

जब मिस्टर और मिसेज़ डर्स्ली उस बोझिल मंगलवार को सोकर उठे जहाँ से हमारी कहानी शुरू होती है, तो बादलों से भरे आसमान को देखकर कोई भी यह नहीं सोच सकता था कि पूरे देश में अजीबोग़रीब और रहस्यमयी घटनायें जल्दी ही होने वाली हैं। मिस्टर डर्स्ली ने ऑफ़िस जाने के लिये गुनगुनाते हुये अपनी सबसे बोरिंग टाई निकाली और मिसेज़ डर्स्ली चहकते हुये इधर-उधर की बातें करती रहीं; इसके साथ ही वे हल्ला मचा रहे डडली को ऊँची कुर्सी पर बिठाने के लिये उसके साथ कुश्ती भी लड़ती जा रही थीं।

उनमें से किसी को भी यह नहीं दिखा कि एक बड़ा सा भूरा उल्लू उनकी खिड़की के पास से पंख फड़फड़ाते हुये गुज़र गया। साढ़े आठ बजे मिस्टर डर्स्ली ने अपना ब्रीफ़केस उठाया, पत्नी का गाल थपथपाया और डडली को चूमने की कोशिश की, परंतु वे ऐसा नहीं कर पाये, क्योंकि डडली उस समय झुँझला रहा था और अपना नाश्ता दीवार पर फेंक रहा था। ‘शैतान कहीं का, मिस्टर डर्स्ली ने घर से निकलते समय हँसकर लाड़ से कहा। वे अपनी कार में बैठे और चार नंबर के पोर्च से बाहर आ गये। सड़क के मोड़ पर डर्स्ली को पहली अजीब चीज़ दिखी-एक बिल्ली, जो नक्शा पढ़ रही थी। एक पल को तो डर्स्ली यह समझ ही नहीं पाये कि उन्होंने क्या देखा था-फिर उन्होंने सिर झटका और दुबारा देखा। एक भूरी बिल्ली प्रिविट ड्राइव के मोड़ पर खड़ी थी, परंतु नक्शा कहीं नहीं दिख रहा था। उनके दिमाग़ में भी कैसे अजीब विचार आ जाते हैं ? हो सकता है रोशनी की वजह से उनकी आँखों को धोखा हुआ हो। मिस्टर डर्स्ली ने आँखे झपकायीं और बिल्ली अब उस साइनबोर्ड को पढ़ रही थी, जिस पर लिखा था प्रिविट ड्राइव-नहीं, नहीं, वह साइनबोर्ड को देख रही थी, बिल्लियाँ न तो नक्शे देख सकती थीं, न ही साइनबोर्ड पढ़ सकती थीं। मिस्टर डर्स्ली ने अपने कंधे उचकाये और बिल्ली को अपने दिमाग़ से बाहर निकाल दिया।
जब वे शहर की तरफ बढ़े, तो उनके दिमाग़ में और कुछ भी नहीं था-ड्रिल के उस बड़े ऑर्डर के सिवाय, जो उन्हें उस दिन मिलने की उम्मीद थी।
परंतु शहर के करीब पहुँचते-पहुँचते उन्होंने कुछ ऐसा देखा, जिसने उनके दिमाग से ड्रिल का विचार बाहर निकाल दिया। हर सुबह की तरह जब वे ट्रैफ़िक जाम में फँसे, तो उनका ध्यान इस तरफ़ गया कि आज बहुत से लोग अजीब कपड़े पहनकर घूम रहे थे। चोगे पहने लोग हर तरफ़ दिख रहे थे। मिस्टर डर्स्ली अजीब कपड़े पहनने वाले लोगों को पसंद नहीं करते थे-आजकल के जवान लड़के-लड़कियाँ भी कैसे ऊटपटाँग कपड़े पहनते हैं ! उन्होंने सोचा यह कोई बेवकूफ़ी भरा नया फैशन होगा। उन्होंने अपनी उँगलियों से स्टियरिंग व्हील पर तबला बजाया और तभी उनकी निगाह पास में खड़े कुछ अजीब लोगों के झुँड पर पड़ी। वे लोग रोमांचित होकर आपस में कानाफूसी कर रहे थे। मिस्टर डर्स्ली आगबबूला हो गये जब उन्होंने देखा कि उनमें से दो तो बिल्कुल जवान नहीं थेः अरे, उस आदमी की उम्र तो मुझसे भी ज्यादा होगी और उसे शर्म नहीं आती कि वह गहरा हरा चोगा पहने है। उसकी यह मजाल ! परंतु तभी मिस्टर डर्स्ली ने सोचा कि शायद इसका संबंध किसी मूर्खतापूर्ण काम से हो-हो सकता है यह लोग किसी चीज़ के लिये चंदा इकट्ठा कर रहे हों....हाँ, यही होगा। ट्रैफ़िक फिर से चालू हो गया, और कुछ मिनट बाद मिस्टर डर्स्ली कंपनी की कार पार्किंग में पहुँच गये और उनके दिमाग़ एक बार फिर ड्रिल में उलझ गया।
मिस्टर डर्स्ली नौवीं मंज़िल पर अपने ऑफ़िस में हमेशा खिड़की की तरफ़ पीठ करके बैठते थे। अगर ऐसा नहीं होता तो उस सुबह उन्हें ड्रिल पर अपना ध्यान लगाये रखने में कठिनाई होती। वे भरी दोपहर में तेज़ी से उड़ते हुये उल्लुओं को नहीं देख पाये, परंतु नीचे सड़क पर खड़े लोग उन उल्लुओं को देखकर हैरान हो रहे थे। जब एक के बाद एक उल्लू तेज़ी से उड़कर गये, तो लोग उँगली से इशारा कर-कर मुँह फाड़े उन्हें देखते रहे। उनमें से ज़्यादातर लोगों ने तो रात में भी कभी उल्लू नहीं देखा था। बहरहाल, मिस्टर डर्स्ली की सुबह पूरी तरह सामान्य गुज़री, जिसमें उल्लुओं का नामोनिशान नहीं था। उन्होंने पाँच लोगों को डाँटा, कई ज़रूरी टेलीफोन किये और वे फोन पर भी चीखते-चिल्लाते रहे। लंच के समय तक वे बहुत अच्छे मूड़ में थे। लंच में उन्होंने सोचा कि पैर सीधे कर लें और सड़क के पार सामने वाली बेकरी से अपने लिये स्वीट ब्रेट ले आयें।
चोगा पहने लोगों के बारे में वे पूरी तरह भूल चुके थे, परंतु बेकरी के पास वे एक बार फिर उनके पास से गुज़रे। उनके पास से गुज़रते समय मिस्टर डर्स्ली ने उन्हें गुस्से से घूरा। न जाने क्यों, उन्हें देखकर वे थोड़े परेशान से हो गये। ये लोग भी रोमांचित होकर कानाफूसी कर रहे थे और उनके हाथ में चंदा माँगने वाला डिब्बा भी नहीं दिख रहा था। वापस लौटते समय मिस्टर डर्स्ली की थैली में एक बड़ी स्वीट ब्रे़ड थी और जब वे एक बार फिर उन लोगों के पास आये, तो उन्हें उनकी बातचीत के कुछ शब्द सुनाई दिये।
‘पॉटर परिवार, हाँ, सही है, मैंने यही सुना है-’
‘हाँ, उनका बेटा हैरी-’
मिस्टर डर्स्ली के पैरों को जैसे लक़वा मार गया। डर के मारे उनके होश उड़ गये। उन्होंने कानाफूसी करने वालों की तरफ़ देखा, जैसे उनसे कुछ पूछना चाहते हों, परंतु फिर उन्होंने इसी में अपनी भलाई समझी कि ऐसा न किया जाये।
उन्होंने सड़क के पार दौड़ लगा दी, धड़धड़ाते हुये अपने ऑफ़िस में घुसे अपनी सेक्रेटरी को फटकरा कि वह उन्हें डिस्टर्ब न करे, झपटकर फोन उठाया और घर का नंबर लगभग पूरा डायल कर लिया था कि तभी उन्होंने अपना इरादा बदल दिया। वे सोच रहे थे.. नहीं, नहीं, वे भी कितनी बड़ी बेवकूफी करने जा रहे थे। पॉटर नाम के बहुत से लोग होते हैं। उन्हें विश्वास था कि पॉटर नाम के ऐसे कई लोग होंगे जिनके बेटे का नाम हैरी होगा। और अगर देखा जाये तो उन्हें यह भी पक्का पता नहीं था कि उनके भांजे का नाम हैरी ही था। उन्होंने उसे कभी नहीं देखा था। उसका नाम हार्वे या फिर हैरॉल्ड भी तो हो सकता था। मिसेज़ डर्स्ली को भी चिन्ता में डालने से क्या फ़ायदा ? अपनी बहन का नाम सुनते ही वे हमेशा बहुत परेशान हो जाती थीं। और इसमें मिसेज़ डर्स्ली की भी क्या गलती थी-अगर उनकी बहन इस तरह की होती...परंतु फिर भी, चोगा पहने लोग...
उस दोपहर ड्रिल पर ध्यान लगाये रखने में उन्हें बहुत कठिनाई हुई और जब वे पाँच बजे ऑफिस की बिल्डिंग से बाहर निकले, तो इतने परेशान थे कि गेट से निकलते ही एक आदमी से टकरा गये।
‘सॉरी,’ वे हड़बड़ाकर बोले, क्योंकि उनकी टक्कर से एक ठिगना बूढ़ा आदमी लड़खड़ाकर लगभग गिर गया था। कुछ सेकंड बाद जाकर मिस्टर डर्स्ली का ध्यान इस तरफ़ गया कि उस आदमी ने बैंगनी चोगा पहन रखा था। टकराने और ज़मीन पर लगभग गिर जाने के बाद भी वह क़तई नाराज़ या परेशान नहीं दिख रहा था। इसके बजाय उसके चेहरे पर चौड़ी मुस्कान खिली थी। उसने अपनी चिंचियाती सी काँपती आवाज़ में कहा और उसकी आवाज इतनी अजीब थी कि आसपास के लोग उसे घूरने लगेः ‘कोई बात नहीं ! आज मुझे कोई भी चीज़ परेशान नहीं कर सकती ! खुशियाँ मनाओ, क्योंकि तुम-जानते हो-कौन अब आखिरकार चला गया है ! आज का दिन इतनी खुशी का है कि तुम्हारे जैसे मगलुओं को भी जश्न मनाना चाहिये !’
और फिर उस बूढ़े ने मिस्टर डर्स्ली की कमर में हाथ डालकर उन्हें गले लगाया था। यही नहीं, उसने उन्हें मगलू भी कहा था। चाहे उसका जो भी मतलब होता हो। उनके दिमाग़ के पुर्जे हिल चुके थे। वे अपनी कार की तरफ़ लपके और घर की तरफ़ चल दिये। उन्हें आशा थी कि यह सब बातें उनकी कल्पना की उपज ही होंगी, और यह आशा उन्होंने आज से पहले कभी नहीं की थी, क्योंकि वे कल्पना की उड़ान को पसंद नहीं करते थे।
जब वे अपने घर के पोर्च में अंदर घुसे, तो उन्होंने जो पहली चीज़ देखी, उसे देखकर उनका दिमाग़ और ख़राब हो गया। जिस भूरी बिल्ली को उन्होंने सुबह देखा था, वह अब उनके बगीचे की मुंडेर पर बैठी हुई थी। उन्हें पूरा विश्वास था कि यह वही बिल्ली थी, क्योंकि इसकी आँखों के चारों तरफ़ भी उसी तरह के निशान थे।
‘शू !’ मिस्टर डर्स्ली ज़ोर से चिल्लाये।
बिल्ली टस से मस नहीं हुई। इसके बजाय उसने मिस्टर डर्स्ली की तरफ़ घूरकर देखा। मिस्टर डर्स्ली हैरान रह गये, क्या यह आम बिल्लियों जैसा व्यवहार था ? अपने आपको सँभालने की कोशिश करते हुये वे घर के अंदर घुसे। अब भी उनका यह पक्का इरादा था कि वे अपनी पत्नी को कुछ भी नहीं बतायेंगे।
मिसेज़ डर्स्ली का दिन अच्छा और सामान्य गुज़रा था। उन्होंने डिनर पर अपने पति को बताया कि पड़ोसन की अपनी बेटी के साथ क्या समस्यायें चल रही हैं और डडली ने एक नया वाक्य सीखा है ‘नहीं करूँगा’। मिस्टर डर्स्ली ने सामान्य व्यवहार करने की कोशिश की। जब डडली को सुला दिया गया, तो वे समय रहते ड्रॉइंग रूम में गये, ताकि रात के समाचार की अंतिम ख़बर सुन सकें:
‘और अंत में, हर जगह के लोग बता रहे हैं कि इस देश के उल्लुओं की हरकतें आज बहुत अजीब थीं। हालाँकि उल्लू आम तौर पर रात को ही शिकार करते हैं और दिन की रोशनी में शायद ही कभी दिखते हैं, परंतु आज सूरज उगने के बाद से सैकड़ों उल्लू हर दिशा में उड़ते दिखाई दिये। विशेषज्ञ यह नहीं बता पा रहे हैं कि उल्लुओं ने अचानक अपने सोने का समय क्यों बदल दिया है।’ समाचार पढ़ने वाले ने मुस्कराते हुये कहा। ‘बड़ी अजीब बात है। और अब, बारिश होने की संभावना है ?’
‘हलो. टेड,’ मौसम विशेषज्ञ ने कहा, ‘मैं उसके बारे में तो नहीं जानता, परंतु आज सिर्फ उल्लूओं की हरकतें ही अजीब नहीं रहीं। केंट, यॉर्कशायर और डन्डी के दर्शकों ने आज मुझे फोन करके बताया कि मैंने कल जिस बारिश का वादा किया था, उसकी जगह आज आसमान से उल्काओं की बारिश हुई। शायद लोग बॉनफायर नाइट का त्यौहार थोड़ी जल्दी मना रहे हैं-यह अगले सप्ताह

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