खाना खजाना >> हिन्दुस्तानी किचन हिन्दुस्तानी किचनमोहन सैगल, काजल वर्मा
|
7 पाठकों को प्रिय 299 पाठक हैं |
प्रस्तुत पुस्तक ऐसे लोगों के लिए प्रकाशित की जा रही है जो भारत के विभिन्न व्यंजनों को घर में पका लेने के इच्छुक हैं...
प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश
भारतीय व्यंजन, विशेषतः उत्तरी भारत के व्यंजन, आज न केवल हमारे देश के
सभी प्रान्तों एवं क्षेत्रों में लोकप्रिय हैं बल्कि विदेशों में भी इनके
प्रति अब पर्याप्त रुचि है। आज पूरे संसार में शायद ही कोई ऐसा क्षेत्र
होगा जहां भारतीय रेस्तोरां न हो। और प्रत्येक ऐसे रेस्तोरां में अब बड़ी
संख्या में स्त्री-पुरुष हमारे देश के खान-पान के प्रति बहुत प्रभावित
हैं।
भारतीय व्यंजन घर बैठे पका लेना कोई कठिन काम नहीं है। हमारे देश के अधिकतर स्त्री-पुरुष तो परंपरागत रूप से इन विधियों से भली-भांति परिचित हैं, किन्तु अब विदेशों में भी कई घरों में भारतीय खाने तैयार करने में पर्याप्त रुचि है।
प्रस्तुत पुस्तक ऐसे लोगों के लिए प्रकाशित की जा रही है जो भारत के विभिन्न व्यंजनों को घर में पका लेने के इच्छुक हैं। रंगीन चित्रों द्वारा न केवल इस पुस्तक को आकर्षित रूप में प्रकाशित किया जा रहा है बल्कि इसमें खाने बनाने की विधि भी अत्यन्त सरल एवं व्यावहारिक दृष्टिकोण से बयान की गयी हैं। आज जब प्रत्येक स्त्री-पुरूष अपने स्वास्थ्य के प्रति जागरूक है, उनके लिए इस पुस्तक में यह जानकारी भी दी गयी है कि किस व्यंजन में कितनी कैलोरी होती है और किस आयु में कितनी कैलोरी ग्रहण करना अनिवार्य है। इस पुस्तक के लेखक एवं सम्पादक हिन्दुस्तानी व्यंजनों को बनाने-पकाने में अत्यन्त कुशल एवं सफल माने जाते हैं। जहाँ मोहन लन्दन के कई भारतीय रेस्तोरांओं से गत 35 वर्षों से संबंधित रहे हैं और उन्हें वहां के लोगों में भारतीय व्यंजनों के लिये रुचि एवं आकर्षण पैदा करने का श्रेय जाता है, वहीं सह-लेखिका काजल वर्मा एक श्रेष्ठ गृहणी के रूप में अपने अतिथियों एवं परिवार को अपने हाथ से पकाए खानों से मुग्ध करती हैं।
भारतीय व्यंजन घर बैठे पका लेना कोई कठिन काम नहीं है। हमारे देश के अधिकतर स्त्री-पुरुष तो परंपरागत रूप से इन विधियों से भली-भांति परिचित हैं, किन्तु अब विदेशों में भी कई घरों में भारतीय खाने तैयार करने में पर्याप्त रुचि है।
प्रस्तुत पुस्तक ऐसे लोगों के लिए प्रकाशित की जा रही है जो भारत के विभिन्न व्यंजनों को घर में पका लेने के इच्छुक हैं। रंगीन चित्रों द्वारा न केवल इस पुस्तक को आकर्षित रूप में प्रकाशित किया जा रहा है बल्कि इसमें खाने बनाने की विधि भी अत्यन्त सरल एवं व्यावहारिक दृष्टिकोण से बयान की गयी हैं। आज जब प्रत्येक स्त्री-पुरूष अपने स्वास्थ्य के प्रति जागरूक है, उनके लिए इस पुस्तक में यह जानकारी भी दी गयी है कि किस व्यंजन में कितनी कैलोरी होती है और किस आयु में कितनी कैलोरी ग्रहण करना अनिवार्य है। इस पुस्तक के लेखक एवं सम्पादक हिन्दुस्तानी व्यंजनों को बनाने-पकाने में अत्यन्त कुशल एवं सफल माने जाते हैं। जहाँ मोहन लन्दन के कई भारतीय रेस्तोरांओं से गत 35 वर्षों से संबंधित रहे हैं और उन्हें वहां के लोगों में भारतीय व्यंजनों के लिये रुचि एवं आकर्षण पैदा करने का श्रेय जाता है, वहीं सह-लेखिका काजल वर्मा एक श्रेष्ठ गृहणी के रूप में अपने अतिथियों एवं परिवार को अपने हाथ से पकाए खानों से मुग्ध करती हैं।
|
लोगों की राय
No reviews for this book