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लोगों को सर्वश्रेष्ठ कैसे बनायें

एलन लॉय मैक्गिनिस

प्रकाशक : मंजुल पब्लिशिंग हाउस प्रकाशित वर्ष : 2010
पृष्ठ :224
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 6626
आईएसबीएन :978-81-86775-75

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क्या आपने कभी सोचा है कि कुछ लोग दूसरों के सर्वश्रेष्ठ गुणों को किस तरह बाहर निकाल लेते हैं ?....

Logon Ko Sarvashreshath Kaise Banayein - A Hindi Book - by Alan Loy Mcguiness

‘लगभग हर व्यक्ति किसी न किसी स्थिति में लीडर बनकर प्रेरणा देता है—जब हम किसी मित्र को वज़न कम करने के लिए राजी करते हैं, अपने बच्चों को प्रेरणादायी भाषण देते हैं या किसी बुरे फ़ॉर्म वाले खिलाड़ी को प्रोत्साहित करने की कोशिश करते हैं। इस पुस्तक में दिए गए 12 मार्ददर्शक सिद्धांत बहुत आसान हैं और इनमें कोई भी निपुण हो सकता है।’

—डॉ. एलन लॉय मैक्गिनिस

बेस्टसेलिंग पुस्तक द फ़्रेंडशिप फ़ैक्टर (मित्रता का महत्त्व) के लेखक एलन लॉय मैक्गिनिस ने प्रेरणा के रहस्यों को खोजने के लिए महान लीडर्स काa अध्ययन किया—इतिहास में, सबसे सफल संगठनों में और कई नामी मनोवैज्ञानिकों की पुस्तकों में। सर्वश्रेष्ठ प्रेरणा देने वाले लीडर दरअसल गिने-चुने सिद्धांतों का प्रयोग करते हैं और सर्वश्रेष्ठ लीडर्स इनका प्रयोग तब से कर रहे हैं, जब मनोविज्ञान नाम का विषय ही नहीं था।

ली आयाकोका, सांड्रा डे ओ ‘कॉनर और अन्य व्यक्तियों के रोचक उदाहरणों और कहानियों से आप यह जान लेंगे कि आप अपने परिवार या संगठन में इन 12 प्रमुख सिद्धांतों का किस तरह प्रयोग कर सकते हैं। चाहे आप अभिभावक हों या एक्ज़ीक्यूटिव, टीचर हों या मित्र, यह पुस्तक आपको पसंद आएगी।

डॉ. एलन लॉय मैक्गिनिस कैलिफ़ोर्निया के ग्लेनडेल वैली काउंसलिंग सेंटर में सहसंचालक है। उनके पास व्हीटन, कोलंबिया, प्रिंसटन और फ़ुलर की डिग्रियाँ हैं। वे बेस्टसेलिंग पुस्तकों द फ़ैंडशिप फ़ैक्टर और कॉन्फ़ि़डेंस के लेखक हैं, जिनकी दस लाख से अधिक प्रतियाँ बिक चुकी हैं। वे दर्जनों पत्रिकाओं में नियमित रूप से लिखते हैं, जिनमें रीडर्स डाइजेस्ट, गाइडपोस्ट्स और गुड हाउसकीपिंग इत्यादि शामिल हैं। वे टेलीविज़न, रेडियो और कॉरपोरेट सेक्टर के लोकप्रिय वक्ता हैं।

‘‘इस पृथ्वी पर सबसे शक्तिशाली हथियार है मानवीय आत्मा की आग।’’

फर्डिनन्ड फोक


अध्याय एक

प्रेरणा का मनोविज्ञान



क्या आपने कभी सोचा है कि कुछ लोग दूसरों के सर्वश्रेष्ठ गुणों को किस तरह बाहर निकाल लेते हैं ? ऐसा लगता है जैसे वे यह जानते हैं कि अपने अनुयायियों से अतिरिक्त प्रयास कैसे करवाये जायें। हम सब ऐसे सफल लीडर्स को जानते हैं। इनमें से कुछ शिक्षक होते हैं, तो कुछ कंपनियों के प्रमुख; कुछ बेसबॉल मैनेजर होते हैं, तो कुछ मातायें। अक्सर न तो वे सुंदर होते हैं, न ही उनमें असाधारण बुद्धि होती है। बहरहाल, यह साफ़ नज़र आता है कि उनमें लोगों को प्रेरित करने की, उन्हें सर्वश्रेष्ठ बनाने की प्रतिभा है। प्रेरित करने की उनकी इस उल्लेखनीय योग्यता की वजह से वे लगभग हर काम में बहुत सफल होते हैं।

दूसरी तरफ़, कुछ ऐसे लोग भी होते हैं, जो हमारे अंदर के निकृष्टतम स्वरूप को बाहर निकालते हैं। जब हम कुछ लोगों के आसपास होते हैं, तो हम खुद को अयोग्य और फूहड़ समझने लगते हैं। हम इतने नकारात्मक तरीक़े से काम करते हैं कि बाद में हमें ख़ुद हैरानी होती है। इन लोगों की प्रेरणादायक चर्चायें कुछ समय के बाद उबाऊ लेक्चर में बदल जाती हैं। हालाँकि उनका मूल लक्ष्य हमें प्रेरित करना होता है, परंतु वे दरअसल हम पर हावी हो जाते हैं।


प्रेरणा के स्त्रोत


 
मनोचिकित्सक के रूप में काम करते समय मुझे यह देखने का बहुत अवसर मिला है कि हम एक-दूसरे को किस तरह से प्रभावित करते हैं। प्रेरणा के स्त्रोतों पर विचार करने के भी मुझे पर्याप्त अवसर मिले हैं। बेहद सफल लोगों से मिलने पर मैं उनसे अक्सर यह पूछता था, ‘‘किस चीज़ ने आपको प्रेरित किया ? कौन आपको सबसे पहले सही राह पर लाया ? और ऐसा उसने किस तरह किया ?’’ इस जानकारी को इकट्ठा करने और महान लीडर्स की जीवनियाँ पढ़ने के बाद मैं इस निष्कर्ष पर पहुँचा कि बिज़नेस, राजनीति, परिवार-या दरअसल जीवन के हर क्षेत्र में-प्रेरणा कुछ बेहद सशक्त सिद्धांतों की वजह से आती है। मैंने यह पाया कि बियर ब्रायंट जैसे कोच, ली आयाकोका जैसे बिज़नेसमैन और मदर टेरेसा जैसे धार्मिक लीडर अपने अनुयायियों को प्रेरित करने में लगभग एक से साधनों का प्रयोग करते हैं और उनके अनुयायी अपेक्षा के अनुरूप लगभग एक सी प्रतिक्रिया देते हैं। आने वाले अध्यायों में हम दर्जनों सफल लीडर्स के उदाहरण देखेंगे और यह भी देखेंगे कि उन्होंने साधारण लोगों से असाधारण प्रयास करवाने के लिये कौन से तरीक़े आज़माये। मैं आशा करता हूँ आप यह जान लेंगे कि आप अपने दिन-प्रतिदिन के संबंधों में इन सिद्धांतों का किस तरह इस्तेमाल कर सकते हैं।

इस पुस्तक में जो 12 मार्ददर्शक सिद्धांत दिये गये हैं, वे बेहद आसान हैं। इन सिद्धांतों में हर वह आदमी निपुण हो सकता है, जिसमें दूसरों को प्रेरित करने की पर्याप्त इच्छा है। मेरे कहने का मतलब यह नहीं है कि इन्हें सीखना आसान है। इसलिये, क्योंकि हमारे व्यवहार की आदतों को बदलना बहुत मुश्किल होता है और प्रेरणा की कला में पारंगत होने के लिये बहुत कड़ी मेहनत की ज़रूरत होती है। लेकिन पर्याप्त लगन हो, तो कोई भी इस क्षेत्र में विशेषज्ञ बन सकता है। प्रेरणा देने वाले लोग जन्मजात नहीं होते—वे बनते हैं। और वे लगभग हमेशा स्वनिर्मित (self-made) होते हैं।


प्रेरक की शक्ति



हमें तत्काल एक ग़लत विचार को दूर हटाना होगा, जो आजकल बहुत लोकप्रिय हो रहा है। इस विचार के अनुसार कोई भी किसी को प्रेरित नहीं करता और हम प्रेरणा इंसान के भीतर से ही आती है। लेकिन ज़रा उस दौर को, उस घटना को याद कीजिये जब आप अपने सर्वश्रेष्ठ रूप में थे। क्या ऐसा काफ़ी हद तक किसी प्रेरणादायी व्यक्ति के प्रभाव की वजह से नहीं हुआ था ? शायद वह कोई टीचर थी, जिसे मालूम था कि आपसे किस तरह अतिरिक्त प्रयास करवाया जाये। शायद उसने आपको किसी प्रोजेक्ट के बारे में इतना रोमांचित कर दिया था कि आप आधी रात के बाद भी पढ़ते रहे। या शायद वह प्रेरित करने वाला व्यक्ति आपका वह बॉस में टीम को एकजुट करने की वह कला थी, जिसकी वजह से लोग अपनी सामान्य क्षमता से अधिक परिणाम देते थे। वेटिंगटन ने कहा था कि नेपोलियन के युद्ध के मैदान में होने से उसकी सेना में 40,000 सैनिक बढ़ जाते थे, यानी कि वह अकेला 40,000 सैनिकों के बराबर होता था। सच्चाई तो यह है कि सही लीडर हमें बहुत प्रेरित कर सकता है।

जब फ्रांस जून 1940 में हिटलर के कब्ज़े में आ गया, तो ऐसा लग रहा था कि 25 वर्ष के दौरान पूरे यूरोप की बत्तियाँ दूसरी बार गुल होने वाली हैं। जर्मनी ने तत्काल ब्रिटेन पर आक्रमण की तैयारियाँ शुरू कर दीं। सफल प्रतिरोध की संभावना बहुत क्षीण नज़र आ रही थी। सोवियत संघ अलग-थलग था। अमेरिका किसी युद्ध में भाग लेने के लिये तैयार होने से कोसों दूर दिख रहा था। और अधिकांश मिलिटरी विशेषज्ञ भविष्यवाणी कर रहे थे कि इंगेलैंड कुछ ही सप्ताह में आक्रमण के सामने घुटने टेक देगा, क्योंकि उसके पास न तो आधुनिक हथियार हैं, न ही उसकी तैयारी ज़ोरदार है। परंतु विशेषज्ञों ने जब यह भविष्यवाणी की थी, तो उन्होंने उस 65 साल के राजनेता के बारे में विचार नहीं किया था, जो असफलताओं से भरे कुंठित कैरियर के बाद अंततः 10 मई को प्रधानमंत्री के पद पर बैठा। 1940 के सात बचे हुये महीने आधुनिक इतिहास के केंद्रबिंदु हैं। इंग्लैंड—और शायद पूरा पश्चिमी जगत—इसलिये अस्तित्व में है क्योंकि उन महीनों के दौरान विंस्टन चर्चिल में एक हताश और भयभीत राष्ट्र में आशा जगाने की योग्यता थी।

प्रेरक (motivator) की शक्ति को समझने के लिये हमें सिर्फ ब्रिटेन के परिवारों की तस्वीर देखने की ज़रूरत है, जब वे अपने ड्रॉइंग रूम इकट्ठे होकर रेडियो पर चर्चिल को गुरजते हुए सुनते थे :

फ्रांस का युद्ध ख़त्म हो गया है। मुझे लगता है कि ब्रिटेन का युद्ध शुरू होने वाला है। इस युद्ध पर ईसाई सभ्यता का अस्तित्व निर्भर करता है। दुश्मन का पूरा क्रोध और शक्ति हम पर बहुत जल्दी बरसने वाले हैं। हिलटर जानता है कि उसे हमें इस टापू पर हराना होगा वरना वह युद्ध हार जायेगा...

इसलिये हमें अपने कर्तव्यों को करने के लिये अपनी कमर कस लेना चाहिये और ऐसे काम करना चाहिये, ताकि यदि ब्रिटिश साम्राज्य और इसका कॉमनवेल्थ एक हजार वर्ष तक ज़िंदा रहे, तो लोग तब भी यही कहें : ‘‘यह उनका सबसे महान क्षण था।’’

इंग्लैंड ने जिस बहादुरी से हिटलर का सामना किया, उसे देखते हुए अधिकांश लोग इस बात से सहमत हो जायेंगे कि यह सचमुच इंग्लैंड का महानतम क्षण था। परंतु अगर चर्चिल ब्रिटिश जनता की इच्छाशक्ति को जाग्रत करने में इतने सफल नहीं होते, तो यह वीरता जाग्रत नहीं हो पाती और सोयी रहती।


प्रेरणा की आकांक्षा



इतिहास बताता है कि लगभग हर क्षेत्र में एक ख़ाली स्थान होता है। यह ख़ाली स्थान किसी ऐसे व्यक्ति का इंतज़ार करता है, जो भविष्यदृष्टि (vision) दे सके और लोगों की ऊर्जा को सर्वश्रेष्ठ कार्यों की ओर मोड़ सके।

कुछ लीडर्स यह मानते हैं कि लोग मूलतः आलसी होते हैं और वे प्रेरित नहीं होना चाहते। यह मान्यता सेल्स मैनेजरों की आवाज़ में साफ़ सुनायी देती है, जब वे कहते हैं कि उनके सेल्समैनों में ज़रा भी आग नज़र नहीं आती; या फिर टीचर की शिकायत में, ‘‘हैरी क़तई उत्साहित नहीं है !’’

‘‘परंतु अनुत्साहित व्यक्ति जैसी कोई चीज़ नहीं होती,’’ युनिवर्सिटी ऑफ विस्कॉन्सिन के शिक्षा विभाग के प्रोफ़ेसर आर. जे. व्लॉडकोवस्की कहते हैं। ‘‘यह कहना ज़्यादा सही होगा, ‘हैरी मेरे साथ सीखने के लिये उत्साहित नहीं है।’ ’’

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