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बाँसुरी वादन कोर्स

भारती अग्रवाल

प्रकाशक : डी. पी. बी.पब्लिकेशन प्रकाशित वर्ष : 2008
पृष्ठ :120
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 6959
आईएसबीएन :0

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बांसुरी वादन के हेतु महत्त्वपूर्ण जानकारी...

Baansuri Vadan Course - A Hindi Book - by Smt Bharti Agarwal

प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश

प्राक्कथन

यों तो संसार के सभी भागों में आदिकाल से ही संगीत ने इन्सान को इन्सान के साथ जोड़ा है और सभ्यता के विकास में एक महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा की है। परन्तु हमारे यहां तो जीवन का एक सबसे प्रमुख आधार ही रहा है संगीत, और समय के साथ-साथ इसका महत्त्व बढ़ता ही जा रहा है। फिल्मों की सफलता में जहां संगीत सबसे महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करता है, वहीं टेलीविजन पर भी सर्वाधिक लोकप्रियता प्राप्त करते हैं गीत-संगीत पर आधारित कार्यक्रम। शायद यह कहने की तो आवश्यकता ही नहीं कि संगीत को सुना ही जब इतना आनन्द प्रदान करता है, तब स्वयं किसी वाद्ययन्त्र का वादन करना आपको कितना आनन्द और आत्म-सन्तोष प्रदान करेगा। बांसुरी जैसे सरल-सुगम, सस्ते व सर्वसुलभ के साथ ही मधुरतम स्वर लहरियां उत्पन्न करने वाले वाद्ययन्त्र के वादन से जो अध्यात्मिक सन्तोष और परमानन्द प्राप्त होता है, उसकी तुलना केवल ब्रह्मानन्द से ही की जा सकती है। आप सुगमतापूर्वक बांसुरी वादन में पूर्ण दक्षता प्राप्त कर सकें, इसी प्रयोजन से इस पुस्तक की रचना की गयी है।

इतना अधिक महत्त्वपूर्ण वाद्ययन्त्र होने के बावजूद हमारे देश में बांसुरी वादन पर शायद ही कोई सही और सटीक पुस्तक उपलब्ध हो। बांसुरी वादन पर जो पुस्तकें हिन्दी और अंग्रेजी में उपलब्ध हैं, वे वास्तव में बांसुरी वादन की पुस्तकें नहीं। उनमें संकलित अधिकांश स्वरलिपियां ऐसी हैं, जिनको बांसुरी पर बजा पाना सहज सम्भव नहीं। बांसुरी में जहां इतनी अधिक विशेषताएं हैं, वहीं एक बड़ी कमी भी है। सामान्य बांसुरी पर मन्द सप्तक का कोई भी स्वर निकाला ही नहीं जा सकता। यही नहीं, तार सप्तक के स्वर निकालने के लिए भी बांसुरी में दोगुना शक्ति से फूंक मारनी पड़ती है। यही कारण है कि एकाध स्वर की बात तो अलग है परन्तु जिन स्वरलिपियों में तार सप्तक के स्वर अधिक लगे हों, उनका भी बांसुरी पर वादन आनन्द के स्थान पर परेशानी का कारण बन जाता है।

संगीत के संसार में बांसुरी वादन सबसे सुगम कार्य है। न तो इसे स्वरों में मिलाना पड़ता है और न ही वादन के पूर्व कोई तैयारी ही करनी पड़ती है। परन्तु सुगम से सुगम कार्य को भी उसकी निर्धारित प्रक्रिया में करने पर ही अधिक अच्छे परिणाम प्राप्त होते हैं। उन सभी प्रक्रियाओं के साथ ही अनेक ऐसी नवीनतम जानकारियों का संग्रह भी इस पुस्तक में किया गया है, जो इस क्षेत्र में मेरे अनेक वर्षों के अनुभव का परिणाम है। मैं यह दावा तो नहीं करती कि यह एक ही पुस्तक बांसुरी-वादन के क्षेत्र में कोई क्रान्ति ला देगी अथवा आपको पण्डित हरि प्रसाद चौरसिया जैसा विश्वविख्यात बांसुरी वादक बना देगी। परन्तु इतना तो विनम्रतापूर्वक कह ही सकती हूं कि यदि आप इस पुस्तक में संकलित सुझावों और तकनीकों पर अमल करते हुए प्रतिदिन एक घण्टा भी वादन करेंगे, तो श्रेष्ठता की उन बुलन्दियों पर अवश्य पहुंच जाएंगे, जिनकी आप कल्पना करते रहे हैं। एक संगीत शिक्षिका होने के नाते आपको सफल बांसुरी वादक के रूप में यश और सम्मान अर्जित करते हुए मैं देखना चाहती हूं और यही है इस पुस्तक की रचना का उद्देश्य।

 

श्रीमती भारती अग्रवाल

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