धर्म एवं दर्शन >> मनुस्मृति (सजिल्द) मनुस्मृति (सजिल्द)रामचन्द्र वर्मा शास्त्री
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भारतीय आचार-संहिता का विश्वकोश...
प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश
मनुष्य ने जब समाज तथा राष्ट्र के अस्तित्व तथा महत्त्व को मान्यता दी, तो उसके कर्त्तव्यों और उसके अधिकारों की व्याख्या निर्धारित करने तथा नियमों के अतिक्रमण करने पर दण्ड व्यवस्था करने की भी आवश्यकता उत्पन्न हुई।
यही कारण है कि विभिन्न युगों में विभिन्न स्मृतियों की रचनी हुई, जिनमें मनुस्मृति को विशेष स्थान प्राप्त है।
मनुस्मृति में बारह अध्याय तथा दो हजार पाँच सौ श्लोक हैं, जिनमें सृष्टि की उत्पत्ति, संस्कार, नित्य और नैमित्तिक कर्म, आश्रमधर्म, वर्णधर्म, राजधर्म व प्रायश्चित आदि विषयों का उल्लेख है।
ब्रिटिश शासकों ने भी मनुस्मृति को ही आधार बनाकर ‘इण्डियन पेनल कोड’ बनाया तथा स्वतन्त्र भारत की विधानसभा ने भी संविधान बनाते समय इसी स्मृति को प्रमुख आधार माना।
व्यक्ति के सर्वतोमुखी विकास तथा सामाजिक व्यवस्था को सुनिश्चित रूप देने व व्यक्ति की लौकिक उन्नति और पारलौकिक कल्याण का पथ प्रशस्त करने में मनुस्मृति शाश्वत महत्व का एक परम उपयोगी शास्त्र ग्रन्थ है। वास्तव में मनुस्मृति भारतीय आचार-संहिता का विश्वकोश है, जो भारतीय समाज के लिए अत्यन्त उपयोगी सिद्ध होगा।
यही कारण है कि विभिन्न युगों में विभिन्न स्मृतियों की रचनी हुई, जिनमें मनुस्मृति को विशेष स्थान प्राप्त है।
मनुस्मृति में बारह अध्याय तथा दो हजार पाँच सौ श्लोक हैं, जिनमें सृष्टि की उत्पत्ति, संस्कार, नित्य और नैमित्तिक कर्म, आश्रमधर्म, वर्णधर्म, राजधर्म व प्रायश्चित आदि विषयों का उल्लेख है।
ब्रिटिश शासकों ने भी मनुस्मृति को ही आधार बनाकर ‘इण्डियन पेनल कोड’ बनाया तथा स्वतन्त्र भारत की विधानसभा ने भी संविधान बनाते समय इसी स्मृति को प्रमुख आधार माना।
व्यक्ति के सर्वतोमुखी विकास तथा सामाजिक व्यवस्था को सुनिश्चित रूप देने व व्यक्ति की लौकिक उन्नति और पारलौकिक कल्याण का पथ प्रशस्त करने में मनुस्मृति शाश्वत महत्व का एक परम उपयोगी शास्त्र ग्रन्थ है। वास्तव में मनुस्मृति भारतीय आचार-संहिता का विश्वकोश है, जो भारतीय समाज के लिए अत्यन्त उपयोगी सिद्ध होगा।
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