लोगों की राय

परिवर्तन >> गौरी

गौरी

सुभद्रा कुमारी चौहान

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2009
पृष्ठ :95
मुखपृष्ठ :
पुस्तक क्रमांक : 7130
आईएसबीएन :00000000

Like this Hindi book 9 पाठकों को प्रिय

30 पाठक हैं

हिन्दी साहित्य जगत की पहली निर्भीक कवयित्री और लेखिका सुभद्रा कुमारी चौहान की कहानियाँ


सन् १९॰४ में जन्मी और भारत के स्वाधीन होने तक अपनी कलम के माध्यम से न केवल महिलाओं की आवाज बनी रहीं, बल्कि अपनी लेखनी से स्वतंत्रता संग्राम के सेनानियों को अपना कर्तव्य स्मरण करवाती रहीं। उनकी कविताओं और कहानियों में अधिकांशतः तत्कालीन समाज में महिलाओं और अन्य सामाजिक समस्याओं की ओर ध्यान दिलाया जाता रहा है।

जमींदारी प्रथा के चलते सामान्य जन अंग्रेजों और जमींदारों के दोहरे प्रहार से हमेशा पीड़ित रहते थे। अपनी कविताओं और कहानियों में सुभद्रा जी लगातार उन पर जबाबी हमले करती रहीं।


इस संग्रह की कहानियाँ इस प्रकार हैं

  • गौरी
  • रूपा
  • ताँगेवाला
  • कल्याणी
  • कैलाशी नानी
  • हींगवाला
  • गुलाब सिंह
  • दो साथी
  • बिआहा
  • प्रोफेसर मित्रा
  • सुभागी
  • दुराचारी
  • मंगला


  • प्रथम पृष्ठ

    अन्य पुस्तकें

    लोगों की राय

    No reviews for this book

    A PHP Error was encountered

    Severity: Notice

    Message: Undefined index: mxx

    Filename: partials/footer.php

    Line Number: 7

    hellothai