परिवर्तन >> भूतनाथ (सेट) भूतनाथ (सेट)देवकीनन्दन खत्री
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प्रश्न- शिक्षा को परिभाषित कीजिए।
अथवा
शिक्षा की दो परिभाषाएँ लिखिए।
उत्तर -
शिक्षा की परिभाषा
(Definition of Education)
शिक्षा के उपरोक्त वर्णित अर्थों को जानने के बाद शिक्षा की एक समुचित परिभाषा ति करनी भी आवश्यक है। परिभाषा के निर्धारण द्वारा शिक्षा के अर्थ स्पष्टीकरण में सहायता प्राप्त होगी। अमेक भारतीय तथा पाश्चात्य विद्वानों ने शिक्षा की अवधारणा को परिभाषित करने का प्रयास किया है। यहाँ अलग-अलग दृष्टिकोण से भारतीय तथा पाश्चात्य विद्वानों द्वारा प्रतिपादित परिभाषाएँ प्रस्तुत की जायेंगी।
1. भारतीय विद्वानों द्वारा शिक्षा की परिभाषा- प्राचीन तथा आधुनिककाल के विभिन्न भारतीयों विद्वानों एवं शिक्षाशास्त्रियों ने शिक्षा की प्रक्रिया की विभिन्न विशेषताओं को ध्यान में रखते हुए शिक्षा की परिभाषाएँ प्रस्तुत की हैं। कुछ मुख्य भारतीय विद्वानों द्वारा परिभाषित परिभाषाओं का विवरण निम्न वर्णित है -
विवेकानन्द द्वारा परिभाषित विवेकानन्द ने भी स्वीकार किया है कि शिक्षा द्वारा मनुष्य की आध्यात्मिक शक्तियों का विकास होता है। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा है, "शिक्षा मनुष्य के अन्तर में निहित ब्रह्म भाव की अभिव्यक्ति है।
अरविन्द द्वारा परिभाषित - आधुनिक युग के प्रसिद्ध विद्वान योगीराज श्री अरविन्द घोष ने शिक्षा को एक सहायक प्रक्रिया में स्वीकार किया है जो मनुष्य की आत्मिक प्रगति में सहायता प्रदान करती है। उनके शब्दों में, "प्रगतिशील आत्मा को अपने भीतर निहित तत्वों की सहायता देना ही शिक्षा है।
टैगोर द्वारा परिभाषित गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर ने शिक्षा के व्यापक अर्थ को ध्यान में रखते शिक्षा की परिभाषा इन शब्दों में प्रस्तुत की, "उच्चतम शिक्षा वह है जो केवल हमें शिक्षा ही नहीं देती वरन् हमारे जीवन को प्रत्येक अस्तित्व के अनुकूल बनाती है।'
महात्मा गाँधी द्वारा परिभाषित - महात्मा गाँधी ने भी शिक्षा को एक व्यापक एवं बहुपक्षीय प्रक्रिया स्वीकार किया है। उनके अनुसार, "शिक्षा से मेरा अभिप्राय बालक तथा मनुष्य के शरीर, मन और आत्मा में अन्तर्निहित शक्तियों के सर्वांगीण प्रकट्य से है।'
2. पाश्चात्य विद्वानों द्वारा शिक्षा की परिभाषाएँ - अनेक ग्रीक एवं पाश्चात्य विचारकों ने भी समय-समय पर शिक्षा की विभिन्न परिभाषाएँ प्रस्तुत की हैं -
अरस्तू - "शिक्षा स्वस्थ शरीर में स्वस्थ मन की रचना करती है।'
सुकरात "शिक्षा का आशय है सार्वजनिक प्रमाणिकता के विचारों को प्रकाश में लाना जोकि व्यक्ति के मन में निहित है।
प्लेटो - "शिक्षा शारीरिक, मानसिक तथा बौद्धिक विकास की एक प्रक्रिया है।'
पेस्टालाजी - "शिक्षा मनुष्य की आन्तरिक शक्तियों का स्वाभाविक समन्वित एवं प्रगतिशील विकास है।'
उपर्युक्त वर्णित विभिन्न परिभाषाओं द्वारा शिक्षा का वास्तविक अर्थ स्पष्ट हो जाता है। वास्तव में शिक्षा एक विस्तृत प्रक्रिया है जिसका सम्बन्ध व्यक्ति के सर्वांगीण अर्थात् आन्तरिक एवं बाहरी विकास से है। यह प्रक्रिया जीवन भर चलती रहती है। संक्षेप में कहा जा सकता है कि शिक्षा एक प्रयोजनशील तथा आजीवन चलने वाली एक गत्यात्मक प्रक्रिया है। शिक्षा का उद्देश्य व्यक्ति के आचार-विचार तथा अन्य पक्षों का परिमार्जन एवं संशोधन करना है। शिक्षा के परिणामस्वरूप व्यक्ति और समाज दोनों का उन्नयन होता है। शिक्षा के अर्थ के और स्पष्टीकरण के लिए इसकी मुख्य विशेषताओं का संक्षिप्त वर्णन भी प्रस्तुत किया जा रहा है।
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- प्रश्न 1