परिवर्तन >> भूतनाथ (सेट) भूतनाथ (सेट)देवकीनन्दन खत्री
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प्रश्न- शिक्षा और साक्षरता पर संक्षिप्त टिप्पणी दीजिए। इन दोनों में अन्तर व सम्बन्ध स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
शिक्षा एवं साक्षरता (Education and Literacy)
शिक्षा (Education) -
इस शीर्षक के लिए दीर्घ उत्तरीय प्रश्न सं. 1 देखें
साक्षरता (Literacy) - साक्षरता का सामान्य अर्थ होता है - अक्षर ज्ञान या लिपि ज्ञान। यह सम्बन्धित होता है - भाषा के लिखित पक्ष से। जिसके अन्तर्गत लिखना और पढना दोनों ही शामिल है। अंग्रेजी में इसे Literacy कहते हैं जिसका सम्बन्ध होता है - लेखन, पाठन और गणित (Writing, Reading and Arithmatic) जिसे संक्षेप में (3 - R) कहते हैं जो कि आधुनिक समय में प्रत्येक व्यक्ति के लिए महत्वपूर्ण एवं अनिवार्य है। आज विश्व में चल रहे साक्षरता अभियान का यही उद्देश्य है कि प्रत्येक नागरिक लिखने-पढ़ने और गणित ज्ञान से इतना योग्य व सक्षम हो जाये कि वह दैनिक जीवन के व्यक्तिगत और व्यावसायिक क्षेत्र की समस्याओं के समाधान में इनका भरपूर उपयोग कर सके।
शिक्षा और साक्षरता में अन्तर
(Difference between Education and Literacy)
क्र.सं. शिक्षा
(Education) साक्षरता
(Literacy)
1.
2.
3.
4.
5.
6.
शिक्षा आजीवन चलने वाली प्रक्रिया है।
शिक्षा का उद्देश्य व्यक्ति का सर्वांगीण विकास है।
शिक्षा व्यक्ति की अन्तर्निहित शक्तियों का स्वाभाविक एवं समन्वित विकास है जो साक्षरता के बिना अनेक माध्यमों से विकसित होता है।
शिक्षा का क्षेत्र अत्यन्त व्यापक होता है।
शिक्षा का प्रतिफल है - क्षमताओं का विकास करना।
शिक्षा जड़ एवं चेतन सभी प्रकार की वस्तुएँ प्रदान करती है। साक्षरता के लिए जीवन का कुछ भाग ही काफी है।
साक्षरता का उद्देश्य केवल सूचनात्मक जानकारी प्रदान करना है।
साक्षरता का सम्बन्ध अक्षर ज्ञान या लिपि ज्ञान से है। यह भाषा के लिखित पक्ष से सम्बन्धित होता है।
जबकि साक्षरता का क्षेत्र अत्यन्त सीमित है।
जबकि साक्षरता का प्रतिफल है केवल लिखने-पढ़ने का ज्ञान।
जबकि साक्षरता व्यक्ति विशेष द्वारा प्रदान की जा सकती है।
शिक्षा तथा साक्षरता में सम्बन्ध
उपरोक्त दिए गए पर्याप्त अन्तरों के बावजूद भी साक्षरता तथा शिक्षा के बीच अटूट सम्बन्ध है और दोनों का लक्ष्य एक ही है और वह है - मानव जीवन को अधिक से अधिक सभ्य एवं सुसंस्कृत बनाना। यहाँ तक पहुँचने के लिए पहला सोपान साक्षरता है और दूसरा सोपान शिक्षा है ये दोनों ही एक- दूसरे के सहायक एवं परिपूरक हैं। साक्षरता के माध्यम से व्यक्ति दैनिक जीवन को सुचारू एवं सुव्यवस्थित बनाता है और शिक्षा उसके व्यक्तित्व का सर्वांगीण विकास करती है।
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- प्रश्न 1