लोगों की राय

परिवर्तन >> भूतनाथ (सेट)

भूतनाथ (सेट)

देवकीनन्दन खत्री

प्रकाशक : सरल प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2009
पृष्ठ :2177
मुखपृष्ठ :
पुस्तक क्रमांक : 7144
आईएसबीएन :000000000

Like this Hindi book 4 पाठकों को प्रिय

207 पाठक हैं

तिलिस्म और ऐयारी संसार की सबसे अधिक महत्वपूर्ण रचना

प्रश्न- सामाजिक दृष्टि से भारत में शिक्षा के उद्देश्य बताइए।
उत्तर-
सामाजिक दृष्टि से भारत में शिक्षा के उद्देश्य है -
(Aims of Education in India in Favour of Society)
देश की वर्तमान परिस्थितियों के सन्दर्भ में समाज सम्बन्धी शिक्षा के प्रमुख उद्देश्य निम्नलिखित हैं-
1. सामाजिक उत्तरदायित्व की भावना का विकास - वस्तुतः शिक्षा एक सामाजिक प्रक्रिया है जो कि 'सामाजिक वातावरण' में ही सम्पन्न हो सकती है। दूसरी ओर प्रत्येक व्यक्ति की आवश्यकताओं की पूर्ति समाज के द्वारा ही होती है। सामाजिक सुविधाएँ प्राप्त करने पर व्यक्ति का कर्तव्य हो जाता है कि वह भी समाज के प्रति अपने उत्तरदायित्व का पालन करे। अतः शिक्षा के द्वारा व्यक्ति में सामाजिक उत्तरदायित्व की भावना का विकास करना शिक्षा का महत्वपूर्ण उद्देश्य होना चाहिए।
2. सामाजिक नेतृत्व की क्षमता का विकास - लोकतान्त्रिक व्यवस्थाओं में शासन की बागडोर जनता द्वार निर्वाचित प्रतिनिधियों के हाथ में होती है। अतः इस व्यवस्था में जन-नेतृत्व एक महत्वपूर्ण विषय बन जाता है। आज के विद्यार्थी कल के नागरिक है और इन्हें ही भावी जीवन में देश के विभिन्न क्षेत्रों का नेतृत्व करना है। अतः शिक्षा का उद्देश्य विद्यार्थियों में सामाजिक नेतृत्व की क्षमता का विकास होना चाहिए। नेतृत्व के गुणों का विकास करने हेतु शिक्षा की व्यवस्था अवश्य होनी चाहिए।
3. सामाजिक कुप्रथाओं को समाप्त करना आज भी हमारा समाज विभिन्न प्रकार की सामाजिक कुप्रथाओं जैसे दहेज प्रथा, बाल विवाह, पर्दा प्रथा, छुआ-छूत इत्यादि से पीड़ित है जो असमय में ही देश के असंख्य युवक तथा युवतियों को मुरझा डालती है। ऐसी स्थिति में इन सामाजिक कुप्रथाओं को समाप्त करना परम उद्देश्य होना चाहिए।
4. धार्मिक समस्याओं का समाधान - भारत आदि काल से ही धर्म प्रधान देश रहा है। यहाँ ऋषियों मुनियों ने विश्व को मनावता का सन्देश दिया है। परन्तु आज हम और हमारा समाज विभिन्न प्रकार की धार्मिक समस्याओं जैसे पूर्व जन्म के विचारों का गलत अर्थ लगाने के कारण समाज में निष्क्रियता का आ जाना, धार्मिक ठेकेदारों द्वारा समाज का शोषण, नाना प्रकार के देवी-देवताओं, नदियों, भूत-प्रेतों आदि को खुश करने के लिए राष्ट्रीय सम्पत्ति को बरबाद करना इत्यादि से ग्रसित है, जिसके कारण देश की पर्याप्त उन्नति नहीं हो पा रही है। शिक्षा द्वारा इन धार्मिक समस्याओं का समाधान होना चाहिए।

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

    अनुक्रम

  1. प्रश्न 1

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book