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अगला यथार्थ

हिमांशु जोशी

प्रकाशक : पेंग्इन बुक्स प्रकाशित वर्ष : 2006
पृष्ठ :258
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 7147
आईएसबीएन :0-14-306194-1

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हिमांशु जोशी की हृदयस्पर्शी कहानियों का संग्रह...


उंगली का इशारा देखते ही वह सहमा-सा, सिमटा-सा पास आ गया। अरे, इसकी भी वैसी ही बूट-पट्टी ! "बैठ जा...!"

कांछा सीमेंट के ठंडे फर्श पर वैसा ही सकुचाया-सा बैठने लगा तो, "नहीं, नहीं, ऊपर बैठ," कहते हुए सैनिक ने बैंच पर बैठने का इंगित किया।

वह और भी सकुचाया और लोहे की बेंच के दूसरे सिरे पर थोड़ी-सी जगह में समाकर बैठ गया।

"कहां का रहने वाला है?"

कांछा की समझ में न आया।

“मैं पूछता हूं, घर कहां है तेरा?" सैनिक ने कुछ ऊंचे स्वर में पूछा। "डोटि-नइपाल।”

"कहां?"

"डडेलीधूरा का पास...गहरडोटी से आगे...।”

"यहां कैसे आया?"

"नउकरी-चाकरी... कुल्लि -मजदूरी...!”

"कहां करता है नौकरी?"

वह मौन देखता रहा।

"अरे, मैं पूछता हूं, नौकरी किसी दुकान में करता है?"

"लाल्ला की...।”

फिर यहां क्या कर रहा है?"

“लाल्ला निकाल दिया...।”

“क्यों निकाल दिया?”

"...."

"नौकरी करेगा?”

उसने स्वीकृति में सिर हिला दिया।

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    अनुक्रम

  1. कथा से कथा-यात्रा तक
  2. आयतें
  3. इस यात्रा में
  4. एक बार फिर
  5. सजा
  6. अगला यथार्थ
  7. अक्षांश
  8. आश्रय
  9. जो घटित हुआ
  10. पाषाण-गाथा
  11. इस बार बर्फ गिरा तो
  12. जलते हुए डैने
  13. एक सार्थक सच
  14. कुत्ता
  15. हत्यारे
  16. तपस्या
  17. स्मृतियाँ
  18. कांछा
  19. सागर तट के शहर

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