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अगला यथार्थ

हिमांशु जोशी

प्रकाशक : पेंग्इन बुक्स प्रकाशित वर्ष : 2006
पृष्ठ :258
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 7147
आईएसबीएन :0-14-306194-1

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हिमांशु जोशी की हृदयस्पर्शी कहानियों का संग्रह...


इसके कुछ दिनों के पश्चात मां का एक आवश्यक पत्र मिला इवाता सॉन को, जिसमें लिखा था कि, 'जापान लौटने का टिकट भेज रही हूं। जितनी जल्दी हो सके लौट आओ।'

मैंने यह घटना तुम्हें सुनाई, तो तुम हंसने लगी थीं। बोलीं, ''तुम्हारा वश चले तो तुम मुझे अभी की, आज की ही फ्लाइट में काहिरा वापस भिजवा दो।”

''मुझसे बड़ा दुश्मन इस दुनिया में और कौन होगा तुम्हारा...?”

“हां, सच तो यही है।"

अमेरिका, ब्रिटेन, नाइजीरिया, जापान, चीन, इज़राइल, भारत, इजिप्ट आदि कुल सौ से अधिक देशों के लोग थे। डेढ़ महीना इस अंतरराष्ट्रीय संस्थान में रुकना था। चौबीस जून को आए थे। तब से तीन सप्ताह कब, कैसे बीते, पता ही नहीं चला।

“एक्सकर्शन पर परसों काग्रेरा जाने का एक कार्यक्रम है, तुम चलोगे?" तुमने बड़ी आत्मीयता से पूछा।

"नहीं, मुझे और काम हैं, जो इससे ज्यादा जरूरी हैं...।”

तुम्हें शायद मुझसे ऐसे रूखे उत्तर की अपेक्षा नहीं थी। तुम अवाक-सी देखती रहीं। फिर कुछ तल्ख़ी के साथ बोलीं, “पिछले सप्ताह यूटिन हाइमन भी नहीं गए। मैं पूछ सकती हूं तुम यहां क्यों आए हो? पुस्तकें तो तुम भारत में भी पढ़ सकते हो....।"

मैं यहां क्यों आया, यह तो मुझे भी पता नहीं। मैं कहना चाहता था, पर चुप रहा।

कुछ क्षणों का सन्नाटा तोड़ते हुए मैंने कहा, “अगले सप्ताह टैलीमार्क जाना है। तब चलेंगे।”

बिना कुछ बोले, बिफरकर तुम चली गई थीं।

तीसरे दिन अपना बैग लिए तुम सामने खड़ी थीं।

“इतनी सुबह-सुबह...!”

"हां, इतनी सुबह-सुबह! सोच क्या रहे हो। जल्दी-जल्दी तैयार हो जाओ। बस खड़ी है। सवा नौ का समय दिया है। तुम जानते ही हो-नार्वे में सवा नौ के माने होते हैं नौ बजकर ठीक पंद्रह मिनट। न एक सेकंड कम, न अधिक।''

तुम बोलती जा रही थीं और सामने खूटी पर टंगे मेरे रीते बैग में तौलिया, साबुन, ब्रश आदि सामान भी ढूंसती चली जा रही थीं।

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    अनुक्रम

  1. कथा से कथा-यात्रा तक
  2. आयतें
  3. इस यात्रा में
  4. एक बार फिर
  5. सजा
  6. अगला यथार्थ
  7. अक्षांश
  8. आश्रय
  9. जो घटित हुआ
  10. पाषाण-गाथा
  11. इस बार बर्फ गिरा तो
  12. जलते हुए डैने
  13. एक सार्थक सच
  14. कुत्ता
  15. हत्यारे
  16. तपस्या
  17. स्मृतियाँ
  18. कांछा
  19. सागर तट के शहर

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