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अगला यथार्थ

हिमांशु जोशी

प्रकाशक : पेंग्इन बुक्स प्रकाशित वर्ष : 2006
पृष्ठ :258
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 7147
आईएसबीएन :0-14-306194-1

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हिमांशु जोशी की हृदयस्पर्शी कहानियों का संग्रह...


सुबह अस्पताल पहुंचे तो डॉ. वर्मा ने 'ब्राकोस्कोपी' कराने की सलाह दी।

"आज ही, अभी करा देते हैं। मैं कपड़े बदल लेता हूं, तब तक आप इन कागजों पर दस्तख़त कीजिए! बगल का कमरा है। ‘ब्राकोस्कोपी' का। आप वहीं बैठिए।”

कागज पर भी हस्ताक्षर कर दिए–यदि कुछ हो जाए तो जिम्मेदारी मेरी।

"सौ में एकाध ही केस ऐसे हो जाते हैं...।” साथ बैठे मरीज़ ने कहा।

नर्स इंजेक्शन लगा गई। उन्हें ऑपरेशन थिएटर में लिटा दिया था। सामने टेलीविजन-जैसा 'मॉनीटर' रखा था। नाक में से, नली के भीतर से कैमरा फेफड़े तक पहुंचाना था, जहां से वहां के चित्र मॉनीटर तक आने थे।

डॉक्टर जैसे ही नली नाक पर लगाने लगा, उन्हें सहसा याद आया, "डॉक्टर साहब, मुझे हाई ब्लड प्रेशर रहता है... रक्तचाप ले लेते तो... !"

डॉक्टर के हाथ ठिठक गए।

रक्तचाप वाकई शिखर छू रहा था।

दूसरे दिन का समय देकर डॉक्टर मरीजों में व्यस्त हो गए।

दूसरे दिन ऑपरेशन थिएटर में लेटे-लेटे वे डॉक्टर के चेहरे के भावों को पढ़ते रहे। डॉक्टर के चेहरे पर गहरा तनाव था। आंखें आश्चर्य से फैलती चली जा रही थीं।

"अरे, फेफड़े से तो फब्बारे की तरह खून झर रहा है... !"

कुछ क्षण पश्चात किसी ने सहारा देखकर उन्हें स्ट्रेचर से नीचे उतारा। वे एकदम निढाल-से हो गए थे। अधमरे।

बोतल में फेफड़े से निकला रक्त हल्के लाल रंग के पानी जैसा था-कच्चे अनार के रस-सा।

"कहीं कैंसर तो नहीं !"

सहसा एक भाव उभरा।

डॉक्टर ने इस प्रश्न का कोई उत्तर नहीं दिया। वे चुपचाप एक के बाद एक फार्म भरते गए रिपोर्ट लिखते हुए।

लौटते समय एक बार फिर अकेले में डॉक्टर के कमरे में पहुंचे, "डॉक्टर साहब, दो-तीन साल का समय और दे दीजिए। मेरा अधूरा काम पूरा हो जाएगा...।"

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    अनुक्रम

  1. कथा से कथा-यात्रा तक
  2. आयतें
  3. इस यात्रा में
  4. एक बार फिर
  5. सजा
  6. अगला यथार्थ
  7. अक्षांश
  8. आश्रय
  9. जो घटित हुआ
  10. पाषाण-गाथा
  11. इस बार बर्फ गिरा तो
  12. जलते हुए डैने
  13. एक सार्थक सच
  14. कुत्ता
  15. हत्यारे
  16. तपस्या
  17. स्मृतियाँ
  18. कांछा
  19. सागर तट के शहर

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