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अगला यथार्थ

हिमांशु जोशी

प्रकाशक : पेंग्इन बुक्स प्रकाशित वर्ष : 2006
पृष्ठ :258
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 7147
आईएसबीएन :0-14-306194-1

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हिमांशु जोशी की हृदयस्पर्शी कहानियों का संग्रह...

जलते हुए डैने


ख़बर पढ़कर सन्न रह गया ! सच नहीं लगा कि शिवदा चल बसे !

बेड़ियों से जकड़ी दुर्बल देह और सीमा भाभी का आंसुओं से भरा चेहरा बार-बार आंखों के आगे घूमने-सा लगा।

अभी कुछ ही दिन पहले की बात है, जब पुलिस का दस्ता अकस्मात हमारे कस्बे में आया था... शिवदा को पकड़कर ले जाने लगा तो जमघट-सा लग गया था। आतंकित औरतें, मर्द, बच्चे, बूढे घरों से निकल-निकल कर बाहर आए और भय त्रस्त-से चारों ओर देखने लगे थे।

सेंवार की तरह शिवदा के बाल बढ़े हुए थे, वैसे ही दाढ़ी। खादी के अस्त-व्यस्त, फटे कपड़े। कंधे पर तौलिये का काला चिथड़ा डाले नहाने जा रहे थे कि सीढ़ियों पर ही पुलिस ने धर दबोचा। वे कुछ कहें, कुछ बोलें, इससे पहले ही उनकी सूखी, पतली कलाइयों को लोहे की भारी-भारी हथकड़ियों से जकड़ दिया और पिल्ले की तरह उनके पिंजर को घसीटकर नीचे ले आए थे।

लोहे के टोप ओढे, संगीनधारी लंबे-तगड़े पुलिस के सिपाहियों के बीच घिरे कृशकाय शिवदा कैसे लग रहे थे-अवश भाव से चारों ओर देखते हुए।

गीले आटे से सने हाथ लिए सीमा भाभी खड़ी थीं-रो रही थीं। नन्ही रूही खड़ी थी-रो रही थी...।

पुलिस की गाड़ी चलने लगी तो शिवदा की देह कांपने लगी। मुट्टियां भिंचने लगीं। अजीब-से तनाव को चीरते हुए चीख़ पड़े सहसा-‘वं.दे...मा...त...र...!' शब्द पूरा भी न कह पाए कि किसी के फौलादी पंजे ने उनका मुंह भींच लिया और गाड़ी धूल का गुबार उड़ाती हुई ओझल हो गई।

सब सकते में आ गए थे। डरे हुए लोगों का आक्रोश अब उमड़ रहा था। वे तरह-तरह की बातें कर रहे थे। क्रुद्ध बच्चे धूल के गुबार की तरफ दौड़कर ढेले फेंक रहे थे...

रमाकांत शहीदाना अंदाज़ में जमकर खड़ा, आसमान की ओर उंगली उठाए भाषण दे रहा था, 'अंधेर है अंधेर ! ऐसा तो अंग्रेजों के राज में भी नहीं हुआ था। मैं पूछता हूं, इस भले आदमी का कुसूर क्या है? इसने ऐसी क्या गलती की है? फिर इस निरपराध को इतनी बड़ी सज़ा क्यों दी जा रही है? ...बोलो, देख क्या रहे हो, जवाब दो ! शिव दास रोगी हैं, तपेदिक के, डायबिटीज़ के। शिव दास जेल में मर गए तो उनके अबोध बच्चों का क्या होगा..?”

पुलिस का ख़ाकी ट्रक क़स्बे की सीमा से दूर चला गया था। फिर भी सर्वत्र दहशत छाई हुई थी। पता नहीं पुलिस कब, किसे पकड़कर ले जाए !

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    अनुक्रम

  1. कथा से कथा-यात्रा तक
  2. आयतें
  3. इस यात्रा में
  4. एक बार फिर
  5. सजा
  6. अगला यथार्थ
  7. अक्षांश
  8. आश्रय
  9. जो घटित हुआ
  10. पाषाण-गाथा
  11. इस बार बर्फ गिरा तो
  12. जलते हुए डैने
  13. एक सार्थक सच
  14. कुत्ता
  15. हत्यारे
  16. तपस्या
  17. स्मृतियाँ
  18. कांछा
  19. सागर तट के शहर

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