यात्रा वृत्तांत >> आखिरी चट्टान तक आखिरी चट्टान तकमोहन राकेश
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बहुआयामी रचनाकार मोहन राकेश का यात्रावृत्तान्त
प्रकाशकीय
भारतीय ज्ञानपीठ को यह गौरव प्राप्त है कि उसने अपने स्थापना काल से लेकर आज तक प्रत्येक पीढ़ी के श्रेष्ठ रचनाकारों को प्रकाशित एवं प्रतिष्ठित किया है। मौलिकता, प्रतिभा और रचनात्मक सामर्थ्य को पहचानने में ज्ञानपीठ की दृष्टि अचूक रही है। ज्ञानपीठ ने अनेक रचनाकारों की पहली-पहली पुस्तकें प्रकाशित कीं और कालान्तर में ये रचनाकार अपने-अपने क्षेत्र के यशस्वी हस्ताक्षर सिद्ध हुए। मोहन राकेश ऐसे ही विलक्षण रचनाकारों में से एक हैं। कहानीकार, उपन्यासकार नाटककार, निबन्धकार आदि रूपों में मोहन राकेश ने नये प्रस्थान निर्मित किए हैं। मोहन राकेश की परवर्ती पीढ़ियों पर उनका प्रभाव यह सिद्ध करने के लिए पर्याप्त है कि मोहन राकेश जैसे लेखक पर 'कालातीत' विशेषण शत-प्रतिशत खरा उतरता है। जो रचनाकार अपने समय और समाज को 'यथासम्भव समग्रता' में देखता और चित्रित करता है, उसका लेखन आने वाले समयों के लिए भी सार्थक बना रहता है। मोहन राकेश ने विराट मानवीय नियति के विस्तार में जाकर जीवन की इकाइयों का मूल्यांकन किया है। व्यक्ति और समाज के जाने कितने संवाद और विसंवाद उनकी रचनाओं में प्राप्त होते हैं। 'अस्मिता-विमर्श ' के इस युग मे मोहन राकेश की अनेक रचनाएँ व्यक्ति की अस्मिता का सवेदनात्मक परीक्षण करती हैं।
'आखिरी चट्टान तक' मोहन राकेश का यात्रावृत्तांन्त है, जो भारतीय ज्ञानपीठ से प्रकाशित हुआ था। इस उत्कृष्ट यात्रावृत्तान्त का पुनर्नवा संस्करण प्रकाशित करते हुए हमे अत्यन्त प्रसन्नता है। विश्वास है स्तरीय साहित्य के अनुरागी पाठक और विशेषकर मोहन राकेश के प्रशंसक इस पुनर्नवा संस्करण का हृदय से स्वागत करेंगे।
अप्रैल 2009
- रवीन्द्र कालिया
(निदेशक, भारतीय ज्ञानपीठ)
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- प्रकाशकीय
- समर्पण
- वांडर लास्ट
- दिशाहीन दिशा
- अब्दुल जब्बार पठान
- नया आरम्भ
- रंग-ओ-बू
- पीछे की डोरियाँ
- मनुष्य की एक जाति
- लाइटर, बीड़ी और दार्शनिकता
- चलता जीवन
- वास्को से पंजिम तक
- सौ साल का गुलाम
- मूर्तियों का व्यापारी
- आगे की पंक्तियाँ
- बदलते रंगों में
- हुसैनी
- समुद्र-तट का होटल
- पंजाबी भाई
- मलबार
- बिखरे केन्द्र
- कॉफ़ी, इनसान और कुत्ते
- बस-यात्रा की साँझ
- सुरक्षित कोना
- भास्कर कुरुप
- यूँ ही भटकते हुए
- पानी के मोड़
- कोवलम्
- आख़िरी चट्टान