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विविध उपन्यास >> मैं हूं सोना

मैं हूं सोना

मनोरमा जफ़ा

प्रकाशक : नेशनल बुक ट्रस्ट, इंडिया प्रकाशित वर्ष : 2009
पृष्ठ :109
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 7240
आईएसबीएन :978-81-237-5215

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किशोर वर्ग के बालिकाओं व बालकों के लिये एच.आई.वी./एड्स जागरुकता हेतु एक उपन्यास...

Main hoon Sona - A Hindi Book - by Manorama Jafa

आज, संसार में एच. आई. वी./एड्स सबसे भयंकर बीमारी है। एच.आई.वी. का वाइरस यदि किसी स्वस्थ मनुष्य के शरीर में पहुंच जाता है तो वह उसके शरीर की रोग-निरोधक क्षमता को नष्ट करके एड्स की बीमारी तक पहुंचा देता है और एड्स रोग मनुष्य को मृत्यु के मुंह में डाल देता है। इस रोग से पीड़ित १॰ मनुष्यों में से ९ को यह भी नहीं पता है कि वे इस जानलेवा रोग का शिकार हो चुके हैं। भारत में आज एच.आई.वी. से पीड़ित ५३ लाख रोगी हैं। इस रोग से पीड़ित रोगियों का दक्षिणी अफ्रीका के बाद दूसरा नंबर भारत का है। मैं हूं सोना किशोर वर्ग के बालिकाओं व बालकों के लिये, एच.आई.वी./एड्स जागरुकता हेतु एक उपन्यास है।


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