कविता संग्रह >> बंटाधार बंटाधारनिशा भार्गव
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कविताएँ जो मन को लम्बे समय तक गुदगुदाने के साथ-साथ कुछ सोचने पर भी बाध्य करती हैं...
निशा भार्गव की कविताएँ गहरे मानवीय सरोकारों
का प्रतिनिधित्व करती हैं। गम्भीरता से, सपाट भाव से किसी बात या संदेश को
व्यक्त कर देना शायद हमें आसान लगे लेकिन हास्य-व्यंग्य के माध्यम से
‘सर्व’ की अभिव्यक्ति ‘स्व’ से आसान नहीं। यहीं निशा भार्गव अपनी कविताएं की भाषा-शैली और प्रस्तुति से भीड़ में अपना अलग स्थान बनाती हैं। उनकी अपनी खास शैली है जो अन्यत्र दिखाई नहीं पड़ती। छंदमुक्त, इन कविताओं में एक प्रवाह होता है, गीत जैसी लयात्मकता होती है। यथा—
‘‘सड़क पर चक्का जाम हो गया
ये अंजाम बहुत आम हो गया
मीडिया भगवान हो गया
देश का कर्णधार हो गया।’’
ये अंजाम बहुत आम हो गया
मीडिया भगवान हो गया
देश का कर्णधार हो गया।’’
निशा भार्गव की कविताएँ सामाजिक मुद्दों को जीवंतता से उठाती हैं, समाधान
ढूंढ़ती हैं, व्यवस्था पर प्रहार करती हैं, लाचारी पर हँसती हैं, समाधान
का मार्ग भी प्रशस्त करती हैं। यथा—
‘‘महँगाई ने सबका दिल तोड़ा
घर-घर का बजट मरोड़ा
फिर सबको दी सीख
छोड़ो ये शिकायत ये खीझ
समस्या का समाधान करना सीखो
बिन बात यूँ ही मत खीझो।’’
घर-घर का बजट मरोड़ा
फिर सबको दी सीख
छोड़ो ये शिकायत ये खीझ
समस्या का समाधान करना सीखो
बिन बात यूँ ही मत खीझो।’’
इसी तरह ‘बंटाधार’ कविता वर्तमान सामाजिक, राजनैतिक
व्यवस्थाओं पर जमकर प्रहार करती है। ‘बंटाधार’ ही
क्यों संग्रह की अन्य कविताओं में भी अलग-अलग प्रसंग हैं, व्यंग्य की
अनूठी छटा है। ये कविताएँ मन को लम्बे समय तक गुदगुदाने के साथ-साथ कुछ
सोचने पर भी बाध्य करती हैं।
डा. अमर नाथ ‘अमर’
शुभकामना
प्रसन्न रहे मन और आत्मा
डर, आतंक का हो जाए खात्मा
आंसुओं से रहे दुश्मनी
भरपूर रहे आपके पास मनी
जीवनयात्रा रहे महक भरी
अवसरों की कभी न रहे कमी
दिल दिमाग और शरीर रहे दुरुस्त
सफलता का सूरज न हो कभी अस्त
सफलता आपके पीछे पड़ जाए
हाथ धोकर
और आप स्वीकारते रहें उसे हाथ जोड़कर
डर, आतंक का हो जाए खात्मा
आंसुओं से रहे दुश्मनी
भरपूर रहे आपके पास मनी
जीवनयात्रा रहे महक भरी
अवसरों की कभी न रहे कमी
दिल दिमाग और शरीर रहे दुरुस्त
सफलता का सूरज न हो कभी अस्त
सफलता आपके पीछे पड़ जाए
हाथ धोकर
और आप स्वीकारते रहें उसे हाथ जोड़कर
पति श्रोता
जबसे मैं बनी हूँ कवयित्री मेरे पति को
बनना पड़ा है मेरा पहला श्रोता
प्रभु से अक्सर कहते हैं काश ! मैं बहरा होता
पहले जब मैं उन्हें एक कविता सुनाती थी
सच मानिए, सौ रु. देकर जान छुड़ाती थी
पर अब—
व्यस्तता का करते हैं बहाना
और महँगाई का मारते हैं ताना
कहते हैं खुले आम
खाली नहीं हूँ—मुझे बहुत है काम
पाँच सौ रु. होंगे एक नई कविता सुनने के दाम
मेरी मजबूरी अब तक आप भी जान गए होंगे
पाँच सो रु. का भूगतान
भली प्रकार भांप गए होंगे
प्रति कविता पाँच सौ देकर, मैं भी कविता
सुनाने का उठाती हूँ पूरा लुफ्त
क्योंकि भुगतान करती हूँ एक का
और 4-6 सुना जाती हूँ मुफ्त
खाने की तभी लगाती हूँ थाली
जब वो मेरी कविता पर बजाते हैं ताली
बनना पड़ा है मेरा पहला श्रोता
प्रभु से अक्सर कहते हैं काश ! मैं बहरा होता
पहले जब मैं उन्हें एक कविता सुनाती थी
सच मानिए, सौ रु. देकर जान छुड़ाती थी
पर अब—
व्यस्तता का करते हैं बहाना
और महँगाई का मारते हैं ताना
कहते हैं खुले आम
खाली नहीं हूँ—मुझे बहुत है काम
पाँच सौ रु. होंगे एक नई कविता सुनने के दाम
मेरी मजबूरी अब तक आप भी जान गए होंगे
पाँच सो रु. का भूगतान
भली प्रकार भांप गए होंगे
प्रति कविता पाँच सौ देकर, मैं भी कविता
सुनाने का उठाती हूँ पूरा लुफ्त
क्योंकि भुगतान करती हूँ एक का
और 4-6 सुना जाती हूँ मुफ्त
खाने की तभी लगाती हूँ थाली
जब वो मेरी कविता पर बजाते हैं ताली
पप्पू पास हो गया
सड़क पर चक्का जाम हो गया
ये अंजाम बहुत आम हो गया
मीडिया भगवान हो गया
देश का कर्णधार हो गया
पर पप्पू तो पास हो गया
सबको काम ही काम हो गया
दफ्तर दुकान ही धाम हो गया
सुख-चैन का इंतकाल हो गया
ईमानदारी का अकाल हो गया
पर पप्पू पास हो गया
भ्रष्टाचार का ऊँचा ग्राफ हो गया
पैसा है तो सब साफ हो गया
तनाव का घेराव हो गया
मँहगाई का सैलाब हो गया
पर पप्पू पास हो गया
पप्पू बहुत खास हो गया
क्योंकि वह पास हो गया
कोई नहीं जानता पप्पू की क्या है ऐज
और क्या है उसकी परसेंटेज
पर उसकी पहुँच की बहुत दूर तक है रेंज
इसीलिए पप्पू पास हो गया
ये अंजाम बहुत आम हो गया
मीडिया भगवान हो गया
देश का कर्णधार हो गया
पर पप्पू तो पास हो गया
सबको काम ही काम हो गया
दफ्तर दुकान ही धाम हो गया
सुख-चैन का इंतकाल हो गया
ईमानदारी का अकाल हो गया
पर पप्पू पास हो गया
भ्रष्टाचार का ऊँचा ग्राफ हो गया
पैसा है तो सब साफ हो गया
तनाव का घेराव हो गया
मँहगाई का सैलाब हो गया
पर पप्पू पास हो गया
पप्पू बहुत खास हो गया
क्योंकि वह पास हो गया
कोई नहीं जानता पप्पू की क्या है ऐज
और क्या है उसकी परसेंटेज
पर उसकी पहुँच की बहुत दूर तक है रेंज
इसीलिए पप्पू पास हो गया
कुछ तो समझो
मँहगाई ने सबका दिल तोड़ा
घर घर का बजट मरोड़ा
फिर सबको दी सीख
छोड़ो ये शिकायत ये खीझ
समस्या का समाधान करना सीखो
बिन बात यूं ही मत खीझो
सेहत अच्छी रहती है कम खाने से
और खाना बचता है
भूखे मर जाने से
मेहमान डरता है घर आने से
आप बचते हैं बाहर खाने से
महिलाएँ बचती हैं ज्यादा पकाने से
जेबे भरती हैं मँहगाई के बहाने से
इतना कहकर मँहगाई ने चुप्पी साधी
पर तनाव से हमारी तो उम्र रह गई आधी
मँहगाई पहुँच गई सातवें आसमान पर
जनता को छोड़कर धरती के पायदान पर
घर घर का बजट मरोड़ा
फिर सबको दी सीख
छोड़ो ये शिकायत ये खीझ
समस्या का समाधान करना सीखो
बिन बात यूं ही मत खीझो
सेहत अच्छी रहती है कम खाने से
और खाना बचता है
भूखे मर जाने से
मेहमान डरता है घर आने से
आप बचते हैं बाहर खाने से
महिलाएँ बचती हैं ज्यादा पकाने से
जेबे भरती हैं मँहगाई के बहाने से
इतना कहकर मँहगाई ने चुप्पी साधी
पर तनाव से हमारी तो उम्र रह गई आधी
मँहगाई पहुँच गई सातवें आसमान पर
जनता को छोड़कर धरती के पायदान पर
माफी
जिन्हें हमने समझा
समझदार, ऊँचा और बड़ा
उन्होंने हमसे
बिन गलती
ज़ोर डालकर
जबरदस्ती
माफी मंगवाई
हमारा स्वाभिमान हुआ धराशायी
ऐसी माफी हमें तनिक नहीं भायी
सचमुच
माफी मांगकर हम हुए शर्मिन्दा
मात्र मान रखने के लिए
माफी नहीं मांगेंगे आइन्दा।
समझदार, ऊँचा और बड़ा
उन्होंने हमसे
बिन गलती
ज़ोर डालकर
जबरदस्ती
माफी मंगवाई
हमारा स्वाभिमान हुआ धराशायी
ऐसी माफी हमें तनिक नहीं भायी
सचमुच
माफी मांगकर हम हुए शर्मिन्दा
मात्र मान रखने के लिए
माफी नहीं मांगेंगे आइन्दा।
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