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जीवनी/आत्मकथा >> बराक ओबामा ब्लैक हीरो इन व्हाइट हाउस

बराक ओबामा ब्लैक हीरो इन व्हाइट हाउस

तेजपाल सिंह धामा

प्रकाशक : हिन्द पॉकेट बुक्स प्रकाशित वर्ष : 2009
पृष्ठ :159
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 7405
आईएसबीएन :9788121613460

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यह एक ऐसी हस्ती का नाम है, जिसने सिर्फ साढ़े चार साल के राजनैतिक संघर्ष में उस देश के शिखर को छू लिया, जो दुनिया में सबसे शक्तिशाली है...

Barack Obama Black Hero In White House - A Hindi Book - by Tejpal Singh Dhama

प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश

नेता की वास्तविक कसौटी यह है कि वह बहुत भिन्न रुचि और प्रवृत्ति के लोगों को भी उनकी समान वेदनाओं-भावनाओं के आधार पर एकत्र रख सकता है।

–विवेकानन्द

अमेरिका में राष्ट्रपति बराक ओबामा का चुनाव वास्तव में दुनिया की एक विस्मयकारी ऐतिहासिक परिघटना है। यह कोई मामूली बात नहीं, जहां श्वेत-अश्वेत के अस्तित्व को लेकर बरसों-बरस पहले एक आवाज़ उठी। नतीजतन आज ओबामा हमारे सामने हैं। यह एक ऐसी हस्ती का नाम है, जिसने सिर्फ़ साढ़े चार साल के राजनैतिक संघर्ष में उस देश के शिखर को छू लिया, जो दुनिया में सबसे शक्तिशाली है। दरअसल इसमें सबसे बड़ी बात यह है कि ओबामा ने अमेरिकी जनता के बीच खुद को एक मसीहा यानी मुक्तिदाता के रूप में स्थापित किया। ओबामा का चुनाव विश्व-भर में नई आशाओं और विश्वास के साथ देखा जा रहा है। खासकर विकासशील देशों के बारे में यह कहना सबसे सटीक होगा।
आइए, पढ़ते हैं बराक ओबामा के जीवन संघर्ष की सचित्र गाथा।

जन्म और बचपन


‘‘चलो राजा-राजा का खेल खेलें।’’
‘‘चलो भाई।’’
‘‘अच्छा छः एक तरफ हो जाओ और छः दूसरी तरफ।’’
‘‘क्यों ?’’
‘‘क्योंकि एक राजा तभी तो दूसरे पर आक्रमण करेगा।’’
‘‘और जो हारेगा ?’’

‘‘उसे गुलाम बनना पड़ेगा।’’
‘‘मतलब।’’
‘‘जीतने वाले छात्रों के स्कूल का होमवर्क हारने वाले छात्रों को करना होगा।’’
‘‘मगर...।’’
‘‘मगर क्या ?’’
‘‘हम तो संख्या में ग्यारह हैं।’’
‘‘ओह ! तो फिर।’’
‘‘चलो कोई बात नहीं... देखो उधर... ?’’
‘‘ओह उधर... वह लंबू।’’
‘‘हां, वह लंबू !’’

‘‘लेकिन उसे तो हमारी भाषा आती ही नहीं। खेलने के लिए कैसे कहेंगे ?’’
‘‘चलो कोशिश करते हैं।’’
‘‘चलो !’’
इतना कहकर इंडोनेशियाई समुद्र के किनारे खेलने आए वे बच्चे एक चट्टान पर एकांत में बैठे एक अन्य हमउम्र लड़के की तरफ बढ़े।

चट्टान पर बैठे हुए लड़के का नाम ओबामा था, जिसे उसके माता-पिता प्यार से ‘बैरी’ कहकर पुकारते थे। हां, वही ओबामा, जो आज अमेरिका का राष्ट्रपति है। ओबामा का जन्म 4 अगस्त, 1961 को हवाई के होनोलुलु में केन्याई ब्लैक मुस्लिम बराक ओबामा सीनियर और कन्सास प्रांत की व्हाइट क्रिश्चियन स्टैनले एन डनहम के घर में हुआ था।
कहते हैं कि रिश्ते तो भगवान के घर से बनकर आते हैं, लेकिन यदि रिश्ते भगवान के घर से बनकर आते हैं, तो फिर संबंध विच्छेद क्यों हो जाता है ? क्या संबंध विच्छेद के लिए भी भगवान ही दोषी होता है ? चलो कुछ भी हो, हम इस झंझट में नहीं पड़ना चाहते, हम तो आपको बराक हुसैन ओबामा की रंक से राजा बनने की सच्ची गाथा सुना रहे हैं। वह भी सबसे प्रभावशाली प्रशासक बनने की गाथा।

बराक जब दो साल के थे, उनके माता-पिता का तलाक हो गया पिता वापस केन्या चले गए। जो बाद में नैरोबी में एक कार दुर्घटना में चल बसे, लेकिन ओबामा उनकी मृत्यु से पहले उनसे एक बार अवश्य मिले थे और उन्होंने पूछा था, ‘‘मेरे दो पिता क्यों हैं ?’’ आपने मेरी माँ को क्यों छोड़ दिया ? आप हमारे साथ क्यों नहीं रहते ? दूसरों के पिता भी तो अपने बेटों और बेटियो के साथ रहते हैं।’’

पर उसका पिता क्या जवाब देता, क्योंकि सवाल पूछने वाले बराक ओबामा की उम्र इतनी छोटी थी कि वह गृह-कलह, पति-पत्नी के बीच आपसी मतभेद और फिर तलाक यह सब समझ ही नहीं सकता था। तलाक के बाद स्टैनले एन डनहम ने इंडोनेशिया के एक मुस्लिम युवक लोलो सोएटोरो से विवाह किया और इसी कारण बराक अपनी माँ के साथ अपने नए पिता के घर इंडोनेशिया आ गए थे। जहां ओबामा को मुस्लिम मदरसे में दाखिला दिलाया गया। पर उसके सामने सबसे बड़ी समस्या यह थी कि वह इंडोनेशियाई भाषा नहीं समझता था। इंडोनेशियाई भाषा को ‘भाषा’ ही कहते हैं। भाषा नहीं समझने के कारण वह शिक्षा में भी पिछड़ता जा रहा था और मानसिक विकास में भी, क्योंकि भाषा की समस्या के कारण हम-उम्र बच्चों के साथ न तो खेल-कूद सकता था और न ही अपने भाव व्यक्त कर किसी अच्छे छात्र को अपना मित्र ही बना सकता था। बचपन में वह एकांतप्रिय था, इसी कारण मदरसे से छुट्टी के बाद कुछ जल-पान करने समुद्र किनारे चला जाता था। समुद्र में उभरी किसी चट्टान पर बैठकर चिंतन करने लगता था। आज भी वह चिंतन ही कर रहा था कि तभी एक इंडोनेशियाई छात्र ने पीछे से उसके कंधे पर हाथ रखकर कहा, ‘‘हमारे साथ खेलोगे ?’’

‘‘ऐं...’’ ओबामा आगे और कुछ कह नहीं पाए।
‘‘राजा...राजा...का खेल खेलना आता है।’’ एक दूसरे छात्र ने अकड़ते हुए पूछा।
‘‘ऐं...’’ ओबामा के मुख से फिर भी ऐसा ही शब्द निकला।
‘‘ऐं...ऐं...क्या करता है ? बकरी है क्या ?’’ कहकर एक इंडोनेशियाई छात्र खिल-खिलाकर हंस पड़ा।
‘‘अरे चलो आज बकरी का ही खेल खेलें।’’ कहकर एक दूसरे इंडोनेशियाई छात्र ने ओबामा को चट्टान से नीचे समुद्र में धक्का दे दिया।

वह समुद्र में जा गिरा, लेकिन बालक ओबामा थोड़ी ही देर में तैर कर बाहर निकल आया। जिस छात्र ने उसके धक्का दिया था, उसके सामने अकड़कर खड़ा हो गया–‘‘वॉट इज दिस ?’’
‘‘अरे बाप रे ! यह तो किसी गोरे का काला अंग्रेज़ी बेटा है।’’
सामने वाले इंडोनेशियाई छात्र ने कहा।

‘‘अंग्रेज़ का बच्चा...जरूर किसी बड़े बाप का बेटा होगा, यदि इसने हमारी शिकायत कर दी तो... ?’’ दूसरे इंडोनेशियाई छात्र ने कहा।
‘‘तो फिर क्या होगा ?’’ पहले वाला छात्र बोला।
‘‘शायद मदरसे से छुट्टी...।’’

‘‘और फिर काबुली चने बेचने पड़ेंगे।’’ इस प्रकार अपने ही प्रश्नों से भयभीत हो उठे थे, सभी इंडोनेशियाई छात्र, इसीलिए तो उन सबने एक स्वर में कहा था–‘‘सॉरी फ्रैंड !’’
‘‘कोई बात नहीं।’’ मुस्कराकर घर चल दिया था ओबामा।
घर जाकर उसने सारी बातें माँ को बताई, लेकिन साथ ही यह भी कहा, ‘‘मैं चाहता तो उन सब को मजा चखा सकता था, लेकिन उन्होंने क्षमा माँग ली, इसलिए मैंने भी उन्हें क्षमा कर दिया।’’1
 
‘‘वंडरफुल !’’ माँ के मुख से यही प्यारा शब्द निकला था।
अगले दिन माँ ने ओबामा को ‘ओरिजिंस’ नामक पुस्तक खरीदकर दी। जो दुनिया भर में उत्पत्ति की कहानियों का संग्रह है–‘जेनेसिस’ और उस पेड़ की गाथा, जहां इंसान पैदा हुआ था। प्रोमीथियम और अग्नि की भेंट हिन्दू पुराणों का कच्छप जो दुनिया का भार अपनी पीठ पर उठाकर आसमान में तैरता है। बाद में इन कहानियों पर उन्होंने माँ से कई गंभीर सवाल खड़े किए–‘‘कछुआ किस पर टिका है ?’’ सर्वशक्तिमान ईश्वर ने सांप को इतना दुःखदायी क्यों बनने दिया ? मेरे असली पिता स्वर्ग से वापस अब तक क्यों नहीं लौटे ?’’

माँ उसके सवालों का कोई संतुष्ट करने वाला जवाब नहीं दे सकी थी। इस पर बालक ओबामा ने इन दूरस्थ रहस्यों को जस-का-तस रहने दिया, वैसे भी इस प्रकार की जिज्ञासा में सिर खपाने से लाभ ही क्या था। ये तो सब युगों पुरानी गई-गुजरी बातें थीं और उसका जन्म तो हुआ ही था अमेरिका में एक नए युग का शुभारंभ करने के लिए। पर कई बार ये कहानियां उसे चिंतन करने को मजबूर कर देती थी।

हर कहानी अपने आपमें मुकम्मल और दूसरी कहानियों की ही तरह सही थी, और उन्हें वे कई बार अपने सपने में भी देखते रहे... वह लड़का ढेर सारे सपने लेकर काफी आगे निकल गया। पर सही बात यह है कि अब अमेरिकी राष्ट्रपति बनने पर वह मेसोपोटामिया से लेकर हिंदूकुश के दूरस्थ रहस्यों को जस-का-तस नहीं छोड़ सकता।2
ओरिजिंस की कथाएं या राजनीति के इस शिशु की अमेरिका में इतिहास रचने की कहानी जितनी रोचक है, उतनी ही रोचक कहानी इसके स्वयं के परिवार की है। परिवार की चार पीढ़ियों का रोचक इतिहास इस प्रकार है–

• बराक दंपत्ति : बराक हुसैन ओबामा का जन्म 4 अगस्त 1961 होनोलुलु हवाई द्वीप में हुआ, पिता बराक हुसैन ओबामा सीनियर, निवासी यांगोमा-कोगेला, केन्या एवं माता एन डनहम, निवासी विचिता, कंसास थी।

• माता-पिता : पिता बराक ओबामा सीनियर का जन्म 1936, स्थान-यागोमा-कोगेलो, केन्या में हुआ। उनकी मृत्यु 1982 में एक दुर्घटना में हो गई। उनकी तीन पत्नियां छः बेटे और एक बेटी है। बराक ओबामा की माता एन डनहम का जन्म 27 नवंबर 1942 को स्थान विचिता कंसास में हुआ। गर्भाशय में कैंसर के चलते उनकी मृत्यु 7 नवंबर 1995 को हो गई। एन डनहम और बराक हुसैन ओबामा की शादी 2 फरवरी 1961 को हुई थी। दोनों के एकलौते बेटे बराक ओबामा आज अमेरिका के राष्ट्रपति हैं।


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