स्वास्थ्य-चिकित्सा >> एक प्याला जीवन कल्प के नाम एक प्याला जीवन कल्प के नाममिन्नी पण्डित, अमिताभ पण्डित
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पुनर्यौवन के ताले की चाबी...
प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश
एक उम्र तक पहुँचते-पहुँचते जब उसकी ऊर्जाएँ-क्षमताएँ क्षीण होने लगती हैं
तो वह फिर किसी संजीवनी की तलाश में लग जाता है जिससे कि उसकी ऊर्जाएँ बनी रहें और वह पहले की तरह स्वस्थ, सुन्दर, जीवन प्राप्त कर सके...जिन
पदार्थों के बारे में मनुष्य आम जानकारी रखता है और उनका प्रयोग भी करता
है लेकिन जब यह भी जान लिया जाय कि किन-किन पदार्थों के कितनी मात्रा में
सम्मिश्रण से किस प्रकार पौष्टिक पेय बनाये जा सकते हैं और उनके उचित सेवन
से कैसा चमत्कारिक लाभ प्राप्त किया जा सकता है तो यह सचमुच ही एक अनोखी
उपलब्धि होती है। प्रस्तुत पुस्तक इसी उपलब्धि की ओर ले जाती है।
–सुब्रत रॉय सहारा
पुनर्यौवन के ताले की चाबी एक पुस्तक के आकार में प्रस्तुत है। अब तक जिन
रहस्यों का प्रयोग केवल टीवी, हॉलीवुड या फिर टॉलीवुड के सितारे करते हुए
अपनी बढ़ती हुई उम्र के बावजूद भी सौन्दर्य और शारीरिक फिटनेस की सुरक्षा
करने में कामयाब रहे हैं, जिस दिनचर्या को अपनाकर वह स्वयं को स्लिम और
ट्रिम रखते हुए अपनी त्वचा को संगमरमरी बनाये रखने में सफल हैं, प्रस्तुत
पुस्तक में एंटीएजिंग (कायाकल्प) के विशेषज्ञ अमिताभ व मिन्नी पण्डित ने
उसी रहस्यात्मक जीवनचर्या को बड़ी सहजता से उद्घाटित किया है। जिसे अपनाकर
एक साधारण इंसान भी अपने स्वास्थ्य की नवीन संरचना करते हुए शरीर-सौष्ठव
को अभिनेता और अभिनेत्रियों की तरह निखार सकता है, साथ ही लम्बी उम्र तक
उसे महफूज रख सकता है।
ऑर्थोमालिक्यूलर विज्ञान द्वारा डिजायन किये गये यह पेय तन, मन और अन्तःकरण को पुनः अनुप्राणित कर व्यक्ति का रूपान्तरण करने में समर्थ हैं। लाखों लोगों के जीवन को गहराई तक परिवर्तित करने के कारण विज्ञान रोशनी की भाँति बड़ी तेजी से विश्व-भर में प्रसिद्ध होता जा रहा है।
ऑर्थोमालिक्यूलर विज्ञान द्वारा डिजायन किये गये यह पेय तन, मन और अन्तःकरण को पुनः अनुप्राणित कर व्यक्ति का रूपान्तरण करने में समर्थ हैं। लाखों लोगों के जीवन को गहराई तक परिवर्तित करने के कारण विज्ञान रोशनी की भाँति बड़ी तेजी से विश्व-भर में प्रसिद्ध होता जा रहा है।
मुखड़ा
क्या उम्र आप पर कब्जा जमाने में सफल हो गयी है ? क्या आपकी सूरत और सेहत
से बढ़ती हुई उम्र के लक्षण झाँकने लगे हैं ? क्या थकान से मुरझाया हुआ
चेहरा आपकी पहचान बनता जा रहा है ? क्या आपकी त्वचा पर झुर्रियों का बसेरा
होने लगा है ? क्या स्ट्रेस, पल्यूशन और व्यस्ततम जीवन-शैली आपको ऊर्जा
शून्य बनाने में लगी है ? यदि ऐसा है और आप इन समस्याओं से निराश हैं तो
इस पुस्तक को पढ़ना बन्द कर दें, यह किताब आपके लिए नहीं है। खयाल रहे, इस
पुस्तक को सब स्वीकार्य है लेकिन हताशा या निराशा नहीं।
यौवन की पुनःप्राप्ति पूरी तरह सम्भव है और ऐसा करना आपके अपने ही वश में है। इसलिए पूरे आत्मविश्वास के साथ नैराश्यभाव की खाई से बाहर निकलें और आज ही संकल्पित हो जायें अपनी बढ़ती हुई उम्र को रोक देने के लिए, अपनी गुजर गयी समर्थ और नूरानी जिन्दगी को फिर से पा लेने के लिए, सूरत और सेहत को पिछले ओज, तेज, शक्ति और सामर्थ्य से भर देने के लिए। दृढ़ भरोसे से उठिये, अपनी सम्पूर्णता को फिर से नयी संरचना देने के लिए। पुनर्निर्माण के लिए सरल एवं सहज रूपांतरणकारी-पेयों (एंटीएजिंग रेसीपीज़) के साथ सच्ची मित्रता करें फिर देखें कायाकल्प कर देने की अद्भुत क्षमता से परिपूर्ण पेयों की यह श्रृंखला किस चमत्कारिक ढंग से आप पर हावी होती उम्र के नकारात्मक लक्षणों को ध्वस्त कर देती है। इसके अतिरिक्त ये आपकी व्यतीत हो चुकी तरुणाई को खोजकर पुनः आपके हवाले कर देगी।
इस पुस्तक में प्रस्तुत की गयी पेय बनाने की सम्पूर्ण विधियाँ पोषण वैज्ञानिकों द्वारा खोजी गयी यथेष्ट जानकारियों पर आधारित हैं। चिकित्सकों द्वारा की गयी खोज के दौरान अभूतपूर्व प्राप्तियों को साधारण इंसान तक पहुँचाने के लिए ही इस नियम-पुस्तिका (मैनुअल) का सृजन किया गया है। जिससे चिकित्सक-वैज्ञानिकों की कठोल साधना से अर्जित किये गये उपायों को साधारण व्यक्ति भी अपनाकर लाभान्वित हो सकें।
यौवनावस्था में रहने का अर्थ क्या है ? जब हम कहते हैं कि आप जवान रहें तो उससे आप क्या आशय निकालते हैं ? क्या हम अपनी आयु को बढ़ने से रोक सकते हैं ? वस्तुतः ऐसा सम्भव ही नहीं है, लेकिन क्या हम जवान बने रह सकते हैं ? हाँ, ऐसा सम्भव है।
अनेकों वर्षों के अथक और गहन अन्वेषण के बाद ऑर्थोमालिक्यूलर विज्ञान ने एक ऐसी क्रिया को खोज निकाला है जिसका लक्ष्य है मानव शरीर को वास्तविक रूप से स्वस्थ रखना और यही जवान रहने का अर्थ है। इंसान की यह स्वाभाविक कामना रहती है कि वह शारीरिक और मानसिक दोनों रूपों में स्वस्थ एवं सबल बना रहे।
पुरुषों के लिए युवा बने रहने का आशय है; अधिक ऊर्जावान बने रहना, आन्तरिक अंगों का कुशलता से कार्य करते रहना, चेहरे से टपकता नूर, व्यक्तित्व का निखार और मर्दानगी की लम्बी उम्र तक कायम रहना।
वहीं महिलाओं के लिए बाला बने रहने का अभिप्राय है; ऊर्जावान, सौंदर्य से भरपूर, स्वस्थ, सु़डौल और लचीला शरीर। सक्रिय शारीरिक ग्रन्थियाँ और उत्तम वजन।
नर और नारियों की यह कामना अब कपोल-कल्पना नहीं बल्कि प्राप्त कर लेने वाली एक सच्चाई है। लम्बी उम्र तक एक ऐसा समर्थ और सम्पूर्ण जीवन जीना सम्भव हो चुका है जिसमें सौन्दर्य और स्वास्थ्य तथा ऊर्जा व क्षमता का विपुल संयोग समाहित हो। ऑर्थोमालिक्यूलर विज्ञान में पाये गये स्वर्णरत्न तरुणावस्था में बने रहने के ऐसे मार्ग की स्थापना करते हैं जो आपको ओजस्वी जीवन जीने की शिक्षा देते हैं। जिस तरह हम धर्म को पुण्य से, पुष्प को सुगन्ध से, वायु को तरंग से, जल को शीतलता से, सूर्य को तेज से और चन्द्र को उसकी रश्मियों से अलग करने की बात नहीं कर सकते, उसी तरह स्वास्थ्य के बिना जीवन की कल्पना कैसे सम्भव है ?
ईश्वर की सबसे महत्वपूर्ण रचना मनुष्य सदैव स्वस्थ रहने के लिए बना है। प्रत्येक मनुष्य का यह जन्मसिद्ध अधिकार है कि वह स्वस्थ जीवन व्यतीत करे। विशेषज्ञों ने प्रकृति को जानने, शरीर और प्रकृति के मध्य अन्तस्सम्बन्धों की पड़ताल करने तथा स्वस्थ जीवन जीने की कला पर ही अपना अन्वेषण केन्द्रित किया है। ज्ञानी जन जानते हैं कि प्रकृति के कण-कण में रस व्याप्त है और उस रस के वास्तविक आनन्द से सराबोर होना ही जीवन की सार्थकता है। अतः इस आनन्द को भोगना स्वास्थ्य व क्षमता से भरपूर शरीर पर ही निर्भर है। प्रस्तुत पुस्तक इसी अद्भुत जीवन प्राप्ति के लिए आपको मिला एक ऐसा अनमोल उपहार है जिसका हर जीवन्त पन्ना आपके सम्पूर्ण जीवन को नया आयाम देने के लिए तत्पर है।
यौवन की पुनःप्राप्ति पूरी तरह सम्भव है और ऐसा करना आपके अपने ही वश में है। इसलिए पूरे आत्मविश्वास के साथ नैराश्यभाव की खाई से बाहर निकलें और आज ही संकल्पित हो जायें अपनी बढ़ती हुई उम्र को रोक देने के लिए, अपनी गुजर गयी समर्थ और नूरानी जिन्दगी को फिर से पा लेने के लिए, सूरत और सेहत को पिछले ओज, तेज, शक्ति और सामर्थ्य से भर देने के लिए। दृढ़ भरोसे से उठिये, अपनी सम्पूर्णता को फिर से नयी संरचना देने के लिए। पुनर्निर्माण के लिए सरल एवं सहज रूपांतरणकारी-पेयों (एंटीएजिंग रेसीपीज़) के साथ सच्ची मित्रता करें फिर देखें कायाकल्प कर देने की अद्भुत क्षमता से परिपूर्ण पेयों की यह श्रृंखला किस चमत्कारिक ढंग से आप पर हावी होती उम्र के नकारात्मक लक्षणों को ध्वस्त कर देती है। इसके अतिरिक्त ये आपकी व्यतीत हो चुकी तरुणाई को खोजकर पुनः आपके हवाले कर देगी।
इस पुस्तक में प्रस्तुत की गयी पेय बनाने की सम्पूर्ण विधियाँ पोषण वैज्ञानिकों द्वारा खोजी गयी यथेष्ट जानकारियों पर आधारित हैं। चिकित्सकों द्वारा की गयी खोज के दौरान अभूतपूर्व प्राप्तियों को साधारण इंसान तक पहुँचाने के लिए ही इस नियम-पुस्तिका (मैनुअल) का सृजन किया गया है। जिससे चिकित्सक-वैज्ञानिकों की कठोल साधना से अर्जित किये गये उपायों को साधारण व्यक्ति भी अपनाकर लाभान्वित हो सकें।
यौवनावस्था में रहने का अर्थ क्या है ? जब हम कहते हैं कि आप जवान रहें तो उससे आप क्या आशय निकालते हैं ? क्या हम अपनी आयु को बढ़ने से रोक सकते हैं ? वस्तुतः ऐसा सम्भव ही नहीं है, लेकिन क्या हम जवान बने रह सकते हैं ? हाँ, ऐसा सम्भव है।
अनेकों वर्षों के अथक और गहन अन्वेषण के बाद ऑर्थोमालिक्यूलर विज्ञान ने एक ऐसी क्रिया को खोज निकाला है जिसका लक्ष्य है मानव शरीर को वास्तविक रूप से स्वस्थ रखना और यही जवान रहने का अर्थ है। इंसान की यह स्वाभाविक कामना रहती है कि वह शारीरिक और मानसिक दोनों रूपों में स्वस्थ एवं सबल बना रहे।
पुरुषों के लिए युवा बने रहने का आशय है; अधिक ऊर्जावान बने रहना, आन्तरिक अंगों का कुशलता से कार्य करते रहना, चेहरे से टपकता नूर, व्यक्तित्व का निखार और मर्दानगी की लम्बी उम्र तक कायम रहना।
वहीं महिलाओं के लिए बाला बने रहने का अभिप्राय है; ऊर्जावान, सौंदर्य से भरपूर, स्वस्थ, सु़डौल और लचीला शरीर। सक्रिय शारीरिक ग्रन्थियाँ और उत्तम वजन।
नर और नारियों की यह कामना अब कपोल-कल्पना नहीं बल्कि प्राप्त कर लेने वाली एक सच्चाई है। लम्बी उम्र तक एक ऐसा समर्थ और सम्पूर्ण जीवन जीना सम्भव हो चुका है जिसमें सौन्दर्य और स्वास्थ्य तथा ऊर्जा व क्षमता का विपुल संयोग समाहित हो। ऑर्थोमालिक्यूलर विज्ञान में पाये गये स्वर्णरत्न तरुणावस्था में बने रहने के ऐसे मार्ग की स्थापना करते हैं जो आपको ओजस्वी जीवन जीने की शिक्षा देते हैं। जिस तरह हम धर्म को पुण्य से, पुष्प को सुगन्ध से, वायु को तरंग से, जल को शीतलता से, सूर्य को तेज से और चन्द्र को उसकी रश्मियों से अलग करने की बात नहीं कर सकते, उसी तरह स्वास्थ्य के बिना जीवन की कल्पना कैसे सम्भव है ?
ईश्वर की सबसे महत्वपूर्ण रचना मनुष्य सदैव स्वस्थ रहने के लिए बना है। प्रत्येक मनुष्य का यह जन्मसिद्ध अधिकार है कि वह स्वस्थ जीवन व्यतीत करे। विशेषज्ञों ने प्रकृति को जानने, शरीर और प्रकृति के मध्य अन्तस्सम्बन्धों की पड़ताल करने तथा स्वस्थ जीवन जीने की कला पर ही अपना अन्वेषण केन्द्रित किया है। ज्ञानी जन जानते हैं कि प्रकृति के कण-कण में रस व्याप्त है और उस रस के वास्तविक आनन्द से सराबोर होना ही जीवन की सार्थकता है। अतः इस आनन्द को भोगना स्वास्थ्य व क्षमता से भरपूर शरीर पर ही निर्भर है। प्रस्तुत पुस्तक इसी अद्भुत जीवन प्राप्ति के लिए आपको मिला एक ऐसा अनमोल उपहार है जिसका हर जीवन्त पन्ना आपके सम्पूर्ण जीवन को नया आयाम देने के लिए तत्पर है।
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