| परिवर्तन >> बाँस का अंकुर बाँस का अंकुरधीरुबहन पटेल
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अत्यंत नियंत्रित वातावरण में पले युवक द्वारा स्वयं की खोज की कहानी...
भूमिका 
मूलतः गुजराती में लिखी गई धीरूबहन की सशक्त कहानी। इस पुस्तक का हिन्दी अनुवाद श्रीमती कमलेश सिंह ने किया है। एक अत्यंत नियंत्रित वातावरण में पला बढ़ा युवक किस तरह से अपने आपको खोजता है। यह एक अलग बात है कि इस स्वतंत्र अस्तित्व की खोज में वह पुनः उन्हीं गुणों को प्रतिबिम्बित करता है, जिनसे कभी उसकी लड़ाई थी। उल्लेखनीय है कि, पुस्तक का अनुवादन बहुत ही सटीक ढंग से किया गया है और ऐसा लगता ही नहीं कि मूल कहानी किसी और भाषा या अहिन्दी भाषी अंचल के लेखक द्वारा लिखी गई है।
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