स्त्री-पुरुष संबंध >> बीज बीजअमृत राय
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पुरूष और स्त्री दो इन्सानों की तरह आपस में मिल ही नहीं सकते। और अगर मिलें तो ज़रूर कुछ दाल में काला है...
पुरूष और स्त्री दो इन्सानों की तरह आपस में मिल ही नहीं सकते। और अगर मिलें तो ज़रूर कुछ दाल में काला है ! सत्य को अगर कोई बतला देता तो कितना अच्छा होता– मगर कोई बतलाता भी कैसे, किसी के सामने सत्य अपने दिल को तो नंगा करने से रहा !– कि स्त्री और पुरुष होने के पहले भी दोनों आदमी है, इन्सान है, और दो इन्सानों के बीच अगर ऐसा प्यार का भाव आ जाय तो न तो वह अनुचित है और न उस पर दाँतों तलें उँगली देने की ज़रूरत है। बेशक मनुष्य के हृदय में अलग-अलग लोगों के लिए अलग-अलग तरह का प्यार होता है, मगर मनुष्य का हृदय कोई मुनीम नहीं है जिसके यहाँ हर हिसाब के लिए अलग-अलग बहियाँ है और हर बही में अलग-अलग मदें बनी हुई है जिनमें रकमों को टाँका जाता है !
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