परिवर्तन >> चेहरे-चेहरे किसके चेहरे चेहरे-चेहरे किसके चेहरेगिरिराज किशोर
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चेहरे-चेहरे किसके चेहरे...
‘चेहरे-चेहरे किसके चेहरे’ लेखन क्रम में तो चौथा नाटक है लेकिन प्रकाशन-क्रम में तीसरा। यह नाटक भी अपने आत्मीय-मित्र बंसी कौल के सहयोग से लगभग चार-पाँच वर्ष पहले लिखा गया था। सच कहूँ तो मुझे नाटक लेखन के क्षेत्र से व्यावहारिक रूप में जोड़ने वाले बंसी ही हैं। ‘प्रजा ही रहने दो’ की सफलतम प्रस्तुति के बावजूद बंसी किन्हीं कारणों से ‘चेहरे-चेहरे किसके चेहरे’ को मंचित नहीं कर पाये यह तो एक अलग बात है पर लेखन के समय जितना आत्मीय सहयोग दिया वह मेरे लिए अपने आप में एक अनुभव है। वे नाटक के प्रति समर्पित, एक व्यावहारिक और प्रगतिशील दृष्टिकोण रखने वाले अपूर्व रंग-कर्मी हैं। इस पुस्तक के कुछ पृष्ठ यहाँ देखें।
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