अतिरिक्त >> मवाली मवालीसुरेन्द्र मोहन पाठक
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सस्ते, खुरदुरे कागज में...
वो दुर्दान्त हत्यारा था। वो शराब का स्मगलर था। वो मटका संचालक था। वो गटर का कुलबुलाता कीड़ा था। जो जुर्म की दुनिया का सिकन्दर बना जो अपने दुश्मनो की लाशों को रौंदता हुआ कामयाबी के शिखर पर पहुँचा। एक गैंगेस्टर के अविश्वसनीय उत्थान और उससे भी अविश्वसनीय पतन की खंरेज कहानी।
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