| अतिरिक्त >> तड़ीपार तड़ीपारसुरेन्द्र मोहन पाठक
 | 
			 152 पाठक हैं | ||||||
सस्ते, खुरदुरे कागज में...
एक तड़ीपार कारथीफ की सनसनीखेज दास्तान जिसने अपने जीवन के लिए खुद इतने जाल बुन लिये थे कि उनमें से सुरक्षित निकल पाना कोई चक्रव्यूह तोड़ने से कम न था। उसका वास्ता था एक ऐसे खतरनाक शख्स से जो अपने आपको ब्रह्मा कहता था। उसकी सजा थी फीफी नामक एक फ्रांसीसी हसीना से उसके ताल्लुकात जो कि उसके बॉस की बीवी थी। उसकी ख्वाहिश थी माया नामक नेपाली युवती जिसके जेल से फरार खूनी भाई को नेपाल से सुरक्षित निकाल लाने के लिए वो वचनबद्ध था। उसकी दुविधा का अष्टभुजा नामक उसका वह जोड़ीदार जिसकी बाबत वो यही फैसला नहीं कर पाता था कि वो दोस्त था या दुश्मन।
| 
 | |||||

 
 
		 





 
 
		 
 
			 

