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			 अतिरिक्त >> बिचौलिया बिचौलियासुरेन्द्र मोहन पाठक
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			 355 पाठक हैं  | 
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सस्ते, खुरदुरे कागज में...
नेशनल बैंक से शातिर लुटेरे पौने दो करोड़ रुपये निकाल कर ले गये लेकिन सालोंसाल न लुटेरों का पता चला और न रकम का कोई सुराग मिला। फिर जैसे गड़ा मुर्दा कब्र से उठ खड़ा हुआ और एक बिचौलिये की मार्फत अटवाल परिवार को अपनी ताकत बताने लगा।
						
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