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वयस्क किस्से

मस्तराम मस्त

प्रकाशक : श्रंगार पब्लिशर्स प्रकाशित वर्ष : 1990
पृष्ठ :132
मुखपृष्ठ :
पुस्तक क्रमांक : 774
आईएसबीएन :

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मस्तराम के मस्त कर देने वाले किस्से


आण्टी बोली—इस तरह संभोग करना सबके बस की बात नहीं है। जवानी में ही हो पाता है। लेकिन अगर एक बार साध लिया तब मजा भी पूरा आता है। फिर आगे क्या हुआ?
भइया बोले—एक बार इसका चस्का लगा तो तुम खुद ही इसे करना चाहोगी। भइया की बात सुनकर तब मुझे भी यह बात समझ में आई कि भाभी ने पहले कभी इस प्रकार नहीं लिया होगा। या फिर लेने की कोशिश की होगी और अधिक दर्द के कारण बीच में ही मामला बदल लिया होगा या हो सकता है कि उस समय फिर लिया ही नहीं हो। चूँकि सही तरीके से साधना नहीं आया इसलिए डर रही होगी और दर्द भी हो रहा होगा।
भाभी ने बचने की बहुत कोशिश की! वह भइया के शिकंजे से बाहर आजाद होने की कोशिश करती रही पर भइया तो आज आर या पार का मामला करने वाले थे। उन्होंने इस प्रकार अपने हाथों से हाथकड़ी से भाभी को बाँधा हुआ था कि भाभी उनके बंधन से निकल ही नहीं पा रही थी।
मैंने आण्टी से पूछा—अगर इतना दर्द था तो उसे मजा कैसे आया होगा।
आण्टी बोली—असल में यदि नूनू ठीक जगह से नहीं जाता, तभी दर्द होता है, लेकिन हर वो लड़की जिसने एक बार भी संभोग का मजा लिया है, उसे यह भी पता होता है कि वह मजा कैसा होता है। अब ऐसे में उस मजे के इंतजार में वो दर्द को सहने के लिए तैयार होती है। लड़की के ऊपर होने में ठीक से साधना पड़ता है तभी मजा आता है दोनों को।
एक बार भइया का मुस्टण्डा अंदर चला गया तो उन्होंने कुछ देर शांति रखी। इस बीच भाभी लंबी-लंबी साँसे लेती रही।
थोड़ी देर बाद भइया फिर से हिलने लगे और धीरे-धीरे अंदर-बाहर जाने लगे। फिर एक बार लेटे से उठे और भाभी के मुँह में चुम्बन की बौछार कर दी। भाभी ने भी जवाबी चुम्बन दाग दिए। कुछ देर बाद जब भइया दोबार पीठ के बल लेटे तो इस बार भाभी उनके साथ ताल में ऊपर नीचे होने लगी।
अपने बदन को ढीली कर वह भइया के साथ धीरे-धीरे कमर को ऊपर से नीचे हिलाने लगी। अब भाभी के चेहरे पर दर्द की जगह मजे की चमक आ गई।

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