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श्रंगार-विलास >> वयस्क किस्से

वयस्क किस्से

मस्तराम मस्त

प्रकाशक : श्रंगार पब्लिशर्स प्रकाशित वर्ष : 1990
पृष्ठ :132
मुखपृष्ठ :
पुस्तक क्रमांक : 774
आईएसबीएन :

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मस्तराम के मस्त कर देने वाले किस्से


हाय अब तो सयाने हो गये! तैयार तो हो गया बस अब इसको खुराक देना जरूरी है। चन्दा के साथ तुम्हारा जोड़ा फिट बैठेगा और मेरे छुपे अंग को बेताबी से भरती मुझे आज एक नये संसार से परिचति कराने को आतुर हो उठी।
उस स्थान पर चाची की हथेली का स्पर्श तो गजब का था। चाची की हरकते मुझे तीनों लोकों की सैर कराने लगी। मैं एकदम से लाल हो उठा था। आज चाची के पास रात को सोने के लिए आना बेहद सुखदायक साबित हुआ था। चाची ने हमारे लिंग को पुचकार कर एकदम से हमें कामातुर बना दिया था।
उनके मांसल और गुदाज वक्षों से सट कर बैठने में हमें जो सुख उस समय प्राप्त हो रहा था वह दुर्लभ सा था। मैं तो पहले से ही चाची के बदन की ताक-झांक में उतावला था।
अब चाची ने अपना इरादा साफ करके हमें नई दुनिया में पहुँचा दिया था। मैं एकदम अबोध बच्चा भी नहीं था कि जैसे कुछ समझता ही नहीं। मैं चाची के इरादे को जान कर बेहद खुश था। जहां मैं उनकी हरकत से हसीन मजा पाने के बाद के बाद भी शरमा रहा था। वही वह एकदम से हाथ पहुँचाकर मेरे यौवन को पुचकार रही थी। मैं पुनः सकुचाया तो मेरे गुदगुदाते कामातुर को अच्छी तरह से पाजामें के ऊपर से टटोलती हुई हमें अपने वक्षों से कसकर भींचती बोली।
बताओ...न चन्दा से शादी करोगे? बुलाये उसके लिए तुम्हारे साईज की ही होगी।
मैं एकदम से लाल हो उनकी ओर देखा तो वह मेरे कामांग को अपनी दो उंगलियों के मध्य दबा मेरी सोयी मस्ती को पूरी तरह से जगाती बोली—बताओ ना!
मैं बोला—हमको नहीं पता चाची।
घबराते क्यों हो एक दिन में हम पक्का कर देंगे बड़ा मजा पाओगे। अब तुम्हारी सयानी हो गयी है। बोलो ऐसा अच्छा लग रहा है ना!
हां चाची मैं मदहोशी से भरे आवेग में बोला। मुझ पर उस औरत ने जादू कर दिया था।
सोलह सत्रह के तो होंगे तुम।
हां! सत्रहवाँ चल रहा है।
चन्दा का चौदहवां लगा हैं। तुम्हारे जोड़ में एकदम फिट बैठेगी। रात को बराबर सोने आयेगी। हम तुमको रोज उससे जोड़ी खिलायेगें। मस्त हो जाओगे तुम दोनों! कभी जोड़ा खाये हो क्या!
रंगीन और रसीली बातों से मेरा कोरापन और भी दमदार होता जा रहा था। चाची ने हमें तो एकदम से मदहोशी में डुबा कर रख दिया था।

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