श्रंगार-विलास >> वयस्क किस्से वयस्क किस्सेमस्तराम मस्त
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मस्तराम के मस्त कर देने वाले किस्से
लज्जा और झिझक के कारण माधवी की आवाज उसके गले में फंस गई थी। वह झुककर अपने
कामांग को विमल से छुपाने को हुई तो भरे-पूरे वक्ष सामने लहराने लगे। माधवी की
दुविधा को दूर करने के लिए विमल ने माधुरी का हाथ पकड़ा और उसे लेकर टब के अंदर
खड़ा हो गया। अब माधवी का ध्यान अपने से हटकर विमल पर गया तो पाया कि उसका
कामांग बड़ी शान से छत की ओर देख रहा था। माधवी विमल के कामांग के गहरे प्रभाव
से परिचित थी। पिछले दिनों में विमल के शरीर के इस अंग के कारण ही उसे अपने
स्त्री होने का पूरा अहसास हुआ था और अब तक अनजानी एक प्यास जागृत और तृप्त हुई
थी। चलते शावर के फव्वारे में वह अपने कोमल हाथों से विमल के शरीर के एक-एक
हिस्से में साबुन लगाकर मलती रही। इस बीच विमल उसके दोनों वक्षों, गद्देदार
पुष्ठों और नाभि के साथ खेल करता रहा।
कुछ देर इसी कार्यक्रम के चलते दोनों की उत्तेजना इतनी बढ़ गई कि उनसे रहा न
गया। माधवी विमल के पंजों पर खड़ी होकर थोड़ी ऊँची होने की कोशिश करने लगी तो
विमल ने माधवी के दोनों पुठ्ठो पर पीछे से हाथ लगा उसे सहारा दिया। इस बीच
माधवी ने विमल के उन्नत कामांग को अपने हाथ से दिशा देते हुए अपने शरीर के अंदर
आने दिया। शावर चलता रहा और दोनों कुछ ही देर में आनन्द की हिलोरों में खो गये।
बाथरूम में लाइट का प्रकाश तो बहुत था पर देखने वालों की आँखें बंद थीं।
किचन में रखा चाय का पानी कब से सूख चुका था और अब बर्तन गरम होते हुए नीला,
बैंगनी और फिर काला होने लगा था।