व्यवहारिक मार्गदर्शिका >> कौन रोएगा आपकी मृत्यु पर कौन रोएगा आपकी मृत्यु पररॉबिन शर्मा
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हू विल क्राइ वेन यू डाइ पुस्तक का हिंदी रुपांतर...
Kaun Roega Apki Mrityu Par - A Hindi Book - by Robin Sharma
प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश
‘दि मंक हू सोल्ड हिज़ फ़रारी’ से जीवन के उपदेश
‘‘तुम जब पैदा हुए तो तुम रोए जबकि पूरी दुनिया ने जश्न मनाया। अपना जीवन ऐसे जियो कि तुम्हारी मौत पर पूरी दुनिया रोए जबकि तुम जश्न मनआओ।’’
‘‘तुम जब पैदा हुए तो तुम रोए जबकि पूरी दुनिया ने जश्न मनाया। अपना जीवन ऐसे जियो कि तुम्हारी मौत पर पूरी दुनिया रोए जबकि तुम जश्न मनआओ।’’
—प्राचीन संस्कृत वक्तव्य
क्या ऊपर दिए हुए ज्ञान के रत्न आपके हृदय के तारों को झंकृत करते हैं ? क्या आपको महसूस होता है कि जीवन आपके हाथों से इतनी जल्दी फिसला जा रहा है कि आप अपने हिस्से के उद्देश्य, प्रसन्नता और खुशी का आनन्द उठाने का मौका शायद न पा पाएँ ? यदि हाँ, तो यह विशिष्ट पुस्तक जो नेतृत्व गुरु रॉबिन शर्मा ने लिखी है, वे लेखक जिनकी ‘दि मंक हू सोल्ड हिज़ फ़रारी’ की श्रृंखला ने हजारों लोगों के जीवन को बदल दिया, वही आलौकिक प्रकाश जो आपको जीवन के एक नवीन और उज्जवल रास्ते की ओर ले जाएगा। यह पढ़ने में सरल परन्तु ज्ञान से परिपूर्ण पुस्तक है जिसमें रॉबिन शर्मा 101 सरल उपायों को जीवन की सबसे जटिल कठिनाईयों से लेकर, तनाव को अपने वश में करके अपने आपको एक शक्तिपूर्ण तरीके से जीवन की यात्रा का आनन्द लेते हुए अपनी धरोहर का निर्माण करने में प्रयोग करते हैं।
रॉबिन से अधिक ज्ञान के लिए भेंट करें www.robinsharma.com
रॉबिन शर्मा विश्व के सर्वाधिक माननीय नेतृत्व विशेषज्ञों में से एक हैं। उन्होंने संगठनों की मदद करने के उद्देश्य से स्वयं को उन लोगों का विकाश करने के लिए समर्पित कर दिया है जो बिना किसी उपाधि के भी मार्गदर्शन करते हैं और जो इस द्रुतगामी परिवर्तन के समय में विजयी हो सकें। उनके उपभोक्ताओं में माइक्रोसॉफ्ट, जी. ई. फेडएक्स, आई. वी. एम., नाइकी, नासा, येल विश्वविद्यालय और दि यंग प्रेज़िडेन्ट्स ऑर्गनाइज़ेशन शामिल हैं। शर्मा की किताबें जैसे ‘दि मंक हू सोल्ड हिज़ फ़रारी’ और ‘दि ग्रेटनेस गाइड’ दुनिया की सर्वश्रेष्ठ पुस्तकों की सूची में सर्वोत्तम हैं और जिनकी लाखों प्रतियाँ करीब 70 से भी ज्यादा भाषाओं में बिक चुकी हैं। संगीत के सितारों, राजघरानों और अनेकों मशहूर सी. ई. ओ. इन्हें अपना चुके हैं। शर्मा ने 960vets.com के नाम से एक अनूठी ऑन लाइन सहायता का सह संयोजन किया है जो अमरीका के वृद्धों को अपने नागरिक जीवन का सफलतापूर्वक नव निर्माण करने में मदद प्रदान करती है।
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रॉबिन शर्मा विश्व के सर्वाधिक माननीय नेतृत्व विशेषज्ञों में से एक हैं। उन्होंने संगठनों की मदद करने के उद्देश्य से स्वयं को उन लोगों का विकाश करने के लिए समर्पित कर दिया है जो बिना किसी उपाधि के भी मार्गदर्शन करते हैं और जो इस द्रुतगामी परिवर्तन के समय में विजयी हो सकें। उनके उपभोक्ताओं में माइक्रोसॉफ्ट, जी. ई. फेडएक्स, आई. वी. एम., नाइकी, नासा, येल विश्वविद्यालय और दि यंग प्रेज़िडेन्ट्स ऑर्गनाइज़ेशन शामिल हैं। शर्मा की किताबें जैसे ‘दि मंक हू सोल्ड हिज़ फ़रारी’ और ‘दि ग्रेटनेस गाइड’ दुनिया की सर्वश्रेष्ठ पुस्तकों की सूची में सर्वोत्तम हैं और जिनकी लाखों प्रतियाँ करीब 70 से भी ज्यादा भाषाओं में बिक चुकी हैं। संगीत के सितारों, राजघरानों और अनेकों मशहूर सी. ई. ओ. इन्हें अपना चुके हैं। शर्मा ने 960vets.com के नाम से एक अनूठी ऑन लाइन सहायता का सह संयोजन किया है जो अमरीका के वृद्धों को अपने नागरिक जीवन का सफलतापूर्वक नव निर्माण करने में मदद प्रदान करती है।
अध्याय 7
अपने अतीत का आदर करिए
आप हर पल अपने अतीत में रहते हैं जो आपने अपने भविष्य से चुराया होता है। हर क्षण जब आप अपनी परेशानियों पर अधिक ध्यान देते हैं तो वे आपको उनके निवारण से दूर ले जाती हैं। जीवन में आप जो चाहते थे पर नहीं हुआ उसके बारे में सोचते रहने से आप अपने जीवन में उन बातों को होने से रोकते हैं जिनकी आपको हमेशा से चाह थी। यह परम सत्य है कि आप जिस बारे में हर वक्त सोचते हैं वही बनते हैं। अतः बीती हुई घटनाओं और गल्तियों के बारे में चिन्तित होने का फायदा तब ही है अगर आप उन्हें फिर से अनुभव करना चाहते हैं। इसके बजाए आपको अपने अतीत से शिक्षा लेकर ज्ञान के और प्रकाश के एक नए धरातल पर आने का प्रयत्न करना चाहिए। जीवन की सबसे सुखद घटनाएं जीवन के सबसे बेहतरीन अवसरों का रास्ता खोलती हैं। एक प्राचीन विचारक यूरीपाइड्स ने कहा है, ‘‘बदकिस्मती में खुशनुमा बदलाव के अद्भुत अवसर छिपे होते हैं अगर आपके हिस्से में अत्यधिक परेशानियां आई हैं तो शायद इस बाद का द्योतक है कि आप को किसी महान कार्य के लिए तैयार किया जा रहा है। इन परेशानियों का सामना करके आपके उस काम के लिए बेतर ज्ञान और सामर्थ्य होगा। अपने भविष्य की उन्नति के लिए जीवन की इस सीख का ईंधन की तरह उपयोग करना चाहिए। यह हमेशा याद रखिए की जीवन में प्रसन्न लोगों ने भी कई बार अप्रसन्न लोगों से ज्यादा परेशानियां झेली होती हैं। फर्क सिर्फ इतना है कि उन्हें उन संस्मरणों को अपने जीवन को परिपूर्ण बनाने की दिशा में ढ़ालना आता है।
और यह भी याद रखिए कि अगर आप दूसरों की तुलना में ज्यादा असफल हुए हैं तो अपेक्षित है कि आपका जीवन अधिक रूप से सम्पूर्ण है। जो लोग ज्यादा खतरे मोल लेते हैं और दूसरों से ज्यादा हिम्मत रखते हैं वे स्वाभाविक रूप से ज्यादा असफलताएं भी झेलते हैं। परन्तु मेरी राय में शायद हिम्मत करके कुछ कोशिश करके असफल होना कोई भी प्रयत्न न करने से बेहतर है । मैं अपनी जीवन के दिन असंभव लगने वाली चीज़ों को सम्भव बनाने में बिताना पसन्द करूंगा। मैं सुखी, सुरक्षित और साधारण जीवन जीने के बजाए अपना जीवन मानवीय सीमाओं का प्रसार करके असम्भव को सम्भव बनाने की चेष्टा में बिताना चाहूंगा। यह जीवन की असली सफलता का सार है। जैसा कि हिरोडोट्स ने बुद्धिमत्ता के साथ कहा है ‘‘कायरता और अनगिनत असुरक्षाओं के साथ बैठे रहकर कुछ न करने से ज्यादा अच्छा होगा कि निर्भीकता के साथ उन खतरों की चुनौती को स्वीकार करें जो हमारे पूर्वानुमान के हिसाब से आधे भी नहीं होते हैं।’’ या जैसा कि बुकर टी वाशिंगटन ने कहा है ‘‘मैंने यह सीखा है कि सफलता का मापदण्ड वह स्थान नहीं है जहां तक कोई पहुंचता है बल्कि वह बाधाएं है जिन्हें जीतकर वह उस सफलता तक पहुंचता है।’’
और यह भी याद रखिए कि अगर आप दूसरों की तुलना में ज्यादा असफल हुए हैं तो अपेक्षित है कि आपका जीवन अधिक रूप से सम्पूर्ण है। जो लोग ज्यादा खतरे मोल लेते हैं और दूसरों से ज्यादा हिम्मत रखते हैं वे स्वाभाविक रूप से ज्यादा असफलताएं भी झेलते हैं। परन्तु मेरी राय में शायद हिम्मत करके कुछ कोशिश करके असफल होना कोई भी प्रयत्न न करने से बेहतर है । मैं अपनी जीवन के दिन असंभव लगने वाली चीज़ों को सम्भव बनाने में बिताना पसन्द करूंगा। मैं सुखी, सुरक्षित और साधारण जीवन जीने के बजाए अपना जीवन मानवीय सीमाओं का प्रसार करके असम्भव को सम्भव बनाने की चेष्टा में बिताना चाहूंगा। यह जीवन की असली सफलता का सार है। जैसा कि हिरोडोट्स ने बुद्धिमत्ता के साथ कहा है ‘‘कायरता और अनगिनत असुरक्षाओं के साथ बैठे रहकर कुछ न करने से ज्यादा अच्छा होगा कि निर्भीकता के साथ उन खतरों की चुनौती को स्वीकार करें जो हमारे पूर्वानुमान के हिसाब से आधे भी नहीं होते हैं।’’ या जैसा कि बुकर टी वाशिंगटन ने कहा है ‘‘मैंने यह सीखा है कि सफलता का मापदण्ड वह स्थान नहीं है जहां तक कोई पहुंचता है बल्कि वह बाधाएं है जिन्हें जीतकर वह उस सफलता तक पहुंचता है।’’
अध्याय 8
अपने दिन की अच्छी शुरुआत करिए
जिस तरह से आप अपने दिन की शुरुआत करते हैं वह यह निर्धारित करता है कि आपका दिन कैसा बीतेगा। जागने के बाद के पहले 30 मिनट को मैं ‘प्लेटिनम 30’ बुलाता हूं क्योंकि वे वास्तव में आपके दिन के सबसे महत्वपूर्ण क्षण होते हैं और आगे आने वाले पलों की श्रेष्ठता पर अत्यन्त गहन प्रभाव डालते हैं। अगर आपके पास यह करने का विवेक और ज्ञान है तो इस प्रमुख समय में आप सिर्फ पवित्र विचारों को मन में लाएं और सर्वोत्तम कार्य करें। आप महसूस करेंगे कि आपका दिन एक शानदार शुरुआत के साथ अनेक सर्वश्रेष्ठ दिशाओं को लेकर आएगा।
हाल ही मैं अपने दो छोटे बच्चों को सनसनीखेज आइमैक्स फिर्म ‘एवरेस्ट’ दिखाने ले गया। सांस रोक देने वाले दृश्यों और वीरता के खूबसूरत प्रदर्शन के अलावा एक और बात जो मेरे ध्यान में रह गई वह यह है कि पर्वत की ऊँचाई तक पहुँचने के लिए एक अच्छे बेस कैंप की आवश्यकता होती है। अगर धरातल के कैंप में विराम, विश्रान्त और शरण न मिलती तो उनके लिए चोटी तक पहुँचना असम्भव था। जब वे दूसरे कैम्प में पहुंचे फिर वे कुछ हफ्तों के लिए अपनी ताकत को वापस लाने के लिए बेस कैम्प में वापस आ गए। जैसे ही वे तीसरे कैम्प पर पहुंचे वे जल्द ही चौथे कैम्प पर पहुँचने की तैयारी करने बेस कैम्प में वापस आ गए। और जब वे पाँचवें कैम्प पर पहुँचे तब वे फिर से पर्वत के नीचे अपने शरणालय में आ गए जिससे वे अपने आपको पर्वत के शिखर तक पहुँचने के लिए तैयार कर सके। उसी तरीके से मैं सोचता हूं कि हम सबको व्यक्तिगत ऊँचाइयों तक पहुंचने के लिए और अपनी दैनिक चुनौतियों पर विजय प्राप्त करने के लिए इस ‘प्लेटिनम 30’ के समय में अपने बेस कैम्प जाने की कोशिश करनी चाहिए। हमें वापस उस जगह पर जाने की आवश्यकता होती है जहां हम फिर से अपने जीवन के ध्येय के साथ सम्बन्धित हो जाते हैं, अपना नवीनीकरण कर सकते हैं और दोबारा उन बातों पर ध्यान केन्द्रित कर सकते हैं जो सबसे ज्यादा आवश्यक है।
हाल ही मैं अपने दो छोटे बच्चों को सनसनीखेज आइमैक्स फिर्म ‘एवरेस्ट’ दिखाने ले गया। सांस रोक देने वाले दृश्यों और वीरता के खूबसूरत प्रदर्शन के अलावा एक और बात जो मेरे ध्यान में रह गई वह यह है कि पर्वत की ऊँचाई तक पहुँचने के लिए एक अच्छे बेस कैंप की आवश्यकता होती है। अगर धरातल के कैंप में विराम, विश्रान्त और शरण न मिलती तो उनके लिए चोटी तक पहुँचना असम्भव था। जब वे दूसरे कैम्प में पहुंचे फिर वे कुछ हफ्तों के लिए अपनी ताकत को वापस लाने के लिए बेस कैम्प में वापस आ गए। जैसे ही वे तीसरे कैम्प पर पहुंचे वे जल्द ही चौथे कैम्प पर पहुँचने की तैयारी करने बेस कैम्प में वापस आ गए। और जब वे पाँचवें कैम्प पर पहुँचे तब वे फिर से पर्वत के नीचे अपने शरणालय में आ गए जिससे वे अपने आपको पर्वत के शिखर तक पहुँचने के लिए तैयार कर सके। उसी तरीके से मैं सोचता हूं कि हम सबको व्यक्तिगत ऊँचाइयों तक पहुंचने के लिए और अपनी दैनिक चुनौतियों पर विजय प्राप्त करने के लिए इस ‘प्लेटिनम 30’ के समय में अपने बेस कैम्प जाने की कोशिश करनी चाहिए। हमें वापस उस जगह पर जाने की आवश्यकता होती है जहां हम फिर से अपने जीवन के ध्येय के साथ सम्बन्धित हो जाते हैं, अपना नवीनीकरण कर सकते हैं और दोबारा उन बातों पर ध्यान केन्द्रित कर सकते हैं जो सबसे ज्यादा आवश्यक है।
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