सांस्कृतिक >> बारह घंटे बारह घंटेयशपाल
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आर्यसमाजी वर्जनाओं और दृष्टि की तर्कपूर्ण आलोचना करने वाला, यशपाल का एक विचारोत्तेजक उपन्यास !
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