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इतिहास और राजनीति >> भारत विभाजन

भारत विभाजन

सरदार पटेल

प्रकाशक : प्रभात प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2014
पृष्ठ :272
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 7919
आईएसबीएन :9788173158735

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भारत विभाजन के काले अध्याय का सप्रमाण इतिहास वर्णित करती एक महत्त्वपूर्ण पुस्तक

Bharat Vibhajan - A Hindi Book - by Sardar Patel

स्वतंत्र भारत के प्रथम गृहमंत्री और ‘लौह पुरुष’ की उपाधि प्राप्त सरदार पटेल कांग्रेस के एक प्रमुख सदस्य थे। पूर्ण स्वराज्य प्राप्त करने के उद्देश्य से स्वतंत्रता आंदोलन में उन्होंने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनके संपूर्ण राजनीतिक जीवन में भारत की महानता और एकता ही उनका मार्गदर्शक सितारा रहा। सरदार पटेल दो समुदायों के बीच आंतरिक मतभेद उत्पन्न करके ‘बाँटो और राज करो’ की ब्रिटिश नीति के कट्टर आलोचक थे।

भारत की एकता को बनाए रखना उनकी सबसे बड़ी चिंता थी। लॉर्ड माउंटबेटन ने ३ जून, १९४७ को अपनी योजना घोषित की। इसमें बंटवारे के सिद्धांत को स्वीकृति दी गई। इस योजना को कांग्रेस और मुसलिम लीग ने स्वीकार किया। सरदार पटेल ने कहा कि उन्होंने विभाजन के लिए सहमति इसलिए दी, क्योंकि वह विश्वसनीय रूप से समझते थे कि ‘(शेष) भारत को संयुक्त रखने के लिए इसे अब विभाजित कर दिया जाना चाहिए।’

सरदार पटेल के विस्तृत पत्राचार के आधार पर प्रस्तुत पुस्तक में भारत विभाजन किन परिस्थितियों में और किन-किन कारणों से हुआ, भारतीय नेताओं की मनःस्थिति तथा तत्कालीन समाज की मनःस्थिति का साक्ष्यों के प्रकाश में विस्तृत वर्णन किया गया है। भारत विभाजन के काले अध्याय का सप्रमाण इतिहास वर्णित करती एक महत्त्वपूर्ण पुस्तक।

प्रलेख


बंबई सरकार द्वारा भारत सरकार को भेजे गए पत्र में यह इंगित किया गया है कि वल्लभ भाई ने सत्याग्रह प्रारंभ करने के लिए अपनी शिकायतें प्रारक्षित कर रखी हैं


सरदार पटेल का संपूर्ण वाङ्म्य
I0L & R MSS. Eur. F-150/2

१७ जनवरी, १९३॰
(उद्धरण)

गोपनीय
प्रतिलिपि वाइसराय को दी गई
टेलीग्राम सं. एस. डी. ८२, दिनांक १७ जनवरी, १९३॰

प्रति,
गृह, नई दिल्ली
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यह जरूरी समझा गया है कि कांग्रेस के प्रस्तावों के पालन हेतु कोई भी प्रत्यक्ष काररवाई, चाहे वह करों का न भुगतान करना, शराब की दुकानों पर धरना देना या अन्य प्रकार से कोई कार्य और युवा संघों का कोई सक्रिय आंदोलन आदि हो, तो उसका तुरंत मुकाबला किया जाए और उसे रोका जाए–चाहे वह २६ जनवरी के पहले हो या उसके बाद। ऐसे कृत्यों के संबंध में साधारण क्रिमिनल लॉ के अंतर्गत मुकदमा चलाए जाने पर यह सरकार पर्याप्त भरोसा नहीं करती; क्योंकि यह बहुत कम ही संभव या सफल हो पाता है और लगभग हमेशा ही यह अनैतिकता को प्रश्रय देनेवाला होता है तथा ऐसे आंदोलनों के लिए शक्ति जुटाने अथवा लोगों को खुलेआम जनता के बीच क्रांतिकारी प्रचार करने की छूट दिए जाने से हुई प्रतिष्ठा की क्षति को पुनः प्राप्त करने में इस कानून के कारण काफी विलंब होता है।

एक सविनय अवज्ञा आंदोलन या टैक्स न देने संबंधी अभियान गुजरात के किसी भी भाग में प्रारंभ किया जा सकता है, जहां कांग्रेस के कार्यकर्ता वर्षों से आधार तैयार करने में लगे हुए हैं और अब कारवाई करने के लिए तैयार हैं। इस प्रकार के अभियान के वर्तमान संकेत ‘माटार’ में मिलते हैं और वल्लभभाई पटेल कुछ शिकायतों को प्रारक्षित रखने में सदैव ही सतर्क रहे हैं, ताकि एक नया सत्याग्रह अभियान, जब भी राजनीतिक रूप से सुविधाजनक हो, बारदोली में शुरू किया जा सके।
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इसलिए बंबई की सरकार यह जरूरी समझती है कि काररवाई की एक योजना तैयार कर ली जाए, ताकि ज्यों ही ऐसी कोई स्थिति कहीं भी उत्पन्न होती है तो तत्काल काररवाई की जा सके। इसके लिए पूर्ण प्राधिकार की आवश्यकता है, ताकि कानूनी रूप से अमान्य संगठनों के प्रति कार्रवाई शुरू की जा सके और कानून का पालन करनेवाले लोगों को हर प्रकार से सुरक्षा प्रदान की जा सके....।

बॉम्बे स्पेशल


वल्लभभाई की गिरफ्तारी की परिस्थितियों के संबंध में बंबई की सरकार द्वारा भारत सरकार को भेजा गया स्पष्टीकरण

सरदार पटेल का संपूर्ण वाङ्मय
गृह विभाग (स्पेशल) : एमएसए
गोपनीय
८ मार्च, १९३॰
टेलीग्राम
प्रेषक : बोम्पोल, बंबई
प्रति : पोल इंडिया, नई दिल्ली
प्रेषित ८ मार्च, १९३॰, प्रातः १.३॰ बजे

वल्लभभाई पटेल को आज बोरसाद के निकट गिरफ्तार कर लिया गया और बाद में उन्हें निम्नलिखित परिस्थितियों के अन्तर्गत तीन महीने जेल की सजा और ५॰॰ रुपये जुरमाना लगाया गया। यह सुने जाने पर कि वल्लभभाई ग्रामीणों को नमक बनाने हेतु उकसाने जा रहे थे, जिलाधीश ने डिस्ट्रिक्ट पुलिस ऐक्ट की धारा ४२ के अंतर्गत नोटिस जारी किया और एक महीने तक उनके भाषण देने पर पाबंदी लगाई तथा सरकार को सूचना दी...सरकार ने तार द्वारा सूचित किया कि यदि इन आदेशों को अभी जारी नहीं किया गया है तो उन्हें रोक लिया जाए और यदि जारी कर दिया गया है तो उन्हें तुरंत निरस्त कर दिया जाए। थोड़ी ही देर बाद जिलाधीश से एक तार प्राप्त हुए, जिसमें कहा गया था कि ‘‘वल्लभभाई को गिरफ्तार कर लिया गया है और कोई उत्तेजना नहीं है।’’ इसके फिर थोड़ी देर बात एक दूसरे तार द्वारा उनको जेल की सजा दिए जाने की सूचना दी गई। जिलाधीश ने सूचना दी कि सरकार ने स्थिति को स्वीकार कर लिया है और कहा है कि आगे की घटनाओं से सरकार को सूचित करते रहें तथा अन्य लोगों के प्रति सरकार से बिना आज्ञा प्राप्त किए ऐसी काररवाई न की जाए।....खेड़ा में लैंड रिवेन्यू आंदोलन के संबंध में जिलाधीश सरकार से सघन संपर्क बनाए हुए हैं और उन्हें मालूम है कि जल्दबाजी में किसी प्रकार की कोई कार्रवाई नहीं की जानी है। वल्लभभाई साबरमती जेल में हैं। इसके अलावा जिलाधीश से अभी एक तार प्राप्त हुआ है, जिसमें दृढ़तापूर्वक यह कहा गया है कि ११ तारीख को गांधीजी के जुलूस को रोका जाए। अपने विचार मैं तार से कल भेजूँगा। कृपया गैरेट को सूचित करें।


जवाहरलाल महसूस करते हैं कि वल्लभभाई की गिरफ्तारी का अर्थ है–‘‘भारत अब स्वाधीनता की लड़ाई के बीचोबीच है’’

सरदार पटेल का संपूर्ण वाङ्मय

द ट्रिब्यून
१२ मार्च, १९३॰

सरदार वल्लभभाई पटेल की गिरफ्तारी और सजा’’* एक महत्त्वपूर्ण और शुभ शकुन है। इसका अर्थ यह है कि हम लोग लड़ाई के बीचोबीच हैं। हम लोगों को उनका विवेकपूर्ण परामर्श नहीं मिल पाएगा; किंतु बारदोली को भारत में विख्यात कर देनेवाला उनका दृढ़ संकल्प और उनकी निर्भीक आत्मशक्ति साबरमती जेल की दीवारों से फैलेगी और संपूर्ण भारत को बारदोली बना देगी। यह स्पष्ट है कि अन्य कांग्रेसजन भी जल्दी ही सरदार वल्लभभाई का अनुसरण करेंगे और गांधीजी जी को भी शीघ्र ही गिरफ्तार कर लिया जाएगा।

सभी कांग्रेस समितियों, अन्य संगठनों और व्यक्तियों को मेरी सलाह है कि गांधीजी की गिरफ्तारी के तुरंत बाद इस महान् नेता के प्रति हमारे सम्मान और उनमें हमारे पूर्ण विश्वास तथा उनका अनुसरण करने के हमारे दृढ़ निश्चय को अभिव्यक्त करने के लिए एक अखिल भारतीय हड़ताल की जानी चाहिए। मैं आशा करता हूँ कि स्वाधीनता के लिए किए जानेवाले संघर्ष से सहानुभूति रखनेवाली सभी संस्थाएँ उस दिन अपने दरवाजे बंद रखेंगी और पूरा देश एक बार फिर यह दिखला देगा कि हम सभी भारत की स्वाधीनता के लिए एक साथ खड़े हैं।

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* उन्हें ७ मार्च, १९३॰ को रास में गिरफ्तार किया गया था और तुरंत उन्हें तीन महीने कारावास तथा अर्थदंड का भुगतान करने की सजा सुनाई गई थी।


सरदार वल्लभभाई पटेल से जेल में महादेव देसाई की बातचीत के कुछ अंश
(१॰ मार्च, १९३॰)

सरदार पटेल का संपूर्ण वाङ्मय

यंग इंडिया
१२ मार्च, १९३॰
(उद्धरण)
प्रोफेसर कृपलानी के साथ जेल में सरदार के दर्शन करने का मुझे सौभाग्य मिला। उनका पहला और अंतिम शब्द यह था कि वह जीवन में पहले कभी इतने प्रसन्न नहीं थे जितने इस समय हैं।...
‘किंतु मजाक छोड़कर कृपया यह बतलाएँ कि आपके साथ कैसा व्यवहार किया जा रहा है?’
‘एक साधारण अपराधी की तरह। मैं पूर्णतः प्रसन्न हूँ।’
‘क्या जेल के नए कानून आप पर लागू नहीं होते?’
‘अधीक्षक नए कानूनों के बारे में कुछ नहीं जानते और ‘जेल नियमावली’ की एक प्रति मुझे देने से उन्होंने इनकार कर दिया है।’
‘किंतु आप मुझे अपने समयादेश और साथियों के बारे में कुछ बतलाइए।’

‘ठीक है। मुझे एक ‘सेल’ में रखा गया है, जिसे सप्ताह के सभी दिनों में शाम ५.३॰ बजे रात भर के लिए बंद कर दिया जाता है और रविवार को शाम ३.३॰ बजे। मैं पहले दिन डरा हुआ था कि शायद नींद न आए, किंतु कोई परेशानी नहीं हुई। मैं निश्चिंत सोता हूँ। किंतु मैं चाहता हूँ कि गरमी के दिनों में वे हम लोगों को बाहर सोने की आज्ञा दे देते। मैं समझता हूँ कि वर्ष १९२२ में मेरे जो मित्र यहां थे, उन्हें बाहर सोने की इजाजत दी गई थी।
‘और खाना?’
‘जैसा अच्छा या खराब कोई जेल में पाने की आशा कर सकता है। भोजन के लिए परेशान मत होइए। मैं आपको आश्वासन देता हूँ कि मैं हवा पीकर तीन महीने रह सकता हूँ।’ उन्होंने कहा और फिर जोर से हँसने लगे।
हम लोगों ने विवरण के लिए उनसे आग्रह किया। सुबह ज्वार की दलिया दी गई थी, किंतु उन्होंने आमातिसार (डिसेंट्री) हो जाने के भय के कारण उसे नहीं खाया और फिर ज्वार की रोटी और दाल या रोटी और सब्जी एक दिन के अंतराल पर। ‘चने की रोटी एक घोड़े के लिए ठीक है, उन्होंने जोड़ा। वह दाँत दर्द से पीड़ित थे। मैंने पूछा कि उन्होंने ज्वार की रोटी कैसे चबाई? ‘ओह।’ मैंने उसे पानी में भिगोकर तोड़ दिया और फिर बड़े आराम से खा गया। मैं आपसे कहता हूँ कि आप मेरे भोजन के बारे में परेशान न हों।’
‘क्या आपको सोने के लिए बिस्तर दिया गया है, और प्रकाश?’
‘दोनों में से कोई भी नहीं। उन्होंने मुझे एक कंबल दिया है और एक भगवद्गीता तथा तुलसी रामायण। यदि मुझे प्रकाश मिल जाता तो मैं रात को पढ़ सकता था, जो कि अभी असंभव है।’
‘क्या आप पढ़ने के लिए कुछ और चाहते हैं?’
‘मैं केवल आश्रम भजनावली चाहता हूँ। तीन महीने की इस छोटी अवधि के लिए ये तीन ही काफी हैं।’
‘और आपके साथ रहनेवाले लोग?’
‘साधारण अपराधी लोग। हमारे इस वार्ड को ‘किशोर वार्ड’ कहा जाता है, यद्यपि इसमें मुझसे भी ज्यादा उम्र के लोग हैं। वे देश के सभी भागों के हैं और विभिन्न प्रकार के अपराधों के कारण यहाँ लाए गए हैं। हमारे तीन मित्र जबलपुर के हैं, जिन्हें धरना देने के लिए सजा दी गई है। वे मेरे साथ एक दिन थे, किंतु उन्हें हटा दिया गया। खतरनाक, क्योंकि सुपरिचित मंडली, मैं समझता हूँ।’’
..... .....

उन्होंने मुझे उन सामानों की एक सूची दी, जिसे वे चाहते थे। जिसमें एक साबुन और उनका दाढ़ी बनाने का सामान शामिल था। ‘उस्तरे की इजाजत नहीं है।’ अधीक्षक ने कहा, ‘किंतु हम लोग आपको दाढ़ी बनाने की अनुमति देंगे।’
‘मैं जानता हूँ कि आप मुझे किस प्रकार की हजामत की अनुमति देंगे।’ वल्लभ भाई ने कहा।

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