व्यवहारिक मार्गदर्शिका >> यूज़ यूअर हेड यूज़ यूअर हेडटोनी बुज़ान
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अपनी मानसिक क्षमता का भरपूर विकास कीजिए और जीवन में सफलता पाइए
1974 से अब तक यूज़ यूअर हेड का 27 भाषाओं में अनुवाद हो चुका है और 100 से अधिक देशों में यह प्रकाशित हो चुकी है। इसकी 10 लाख से अधिक प्रतियाँ बिक चुकी हैं फिर भी माँग बढ़ ही रही है। इसके लेखक टोनी बुज़ान विश्व भर में अपने विचारों, ज्ञान तथा स्मरण-शक्ति तकनीक के बारे में लेक्चर देते हैं, जिससे लाखों लोगों को अपनी छिपी प्रतिभाओं को निखारने में प्रत्यक्ष लाभ मिला है। चिन्तन-उपकरण ‘माइंड मैप’ के आविष्कारक टोनी बुज़ान की इस पुस्तक को पढ़ने से आपकी :
1. सोचने और सीखने की कला का विकास होगा
2. रचनात्मकता विकसित होगी तथा समस्याओं के समाधान की क्षमता बढ़ेगी
3. मस्तिष्क का श्रेष्ठ उपयोग करने की दक्षता बढ़ेगी
4. मानसिक प्रतिभाओं के उपयोग की कला विकसित होगी।
5. आपका आत्मविश्वास बढ़ेगा जिससे आपके व्यक्तित्व में निखार आएगा।
अपने दिमाग को इस्तेमाल करने की कहानी :
1.
एक असंभव स्वप्न
एडवर्ड हुयस की कहानी
शुरुआत
यूज़ यूअर हेड के पहली बार 1974 में प्रकाशित होने के बाद, एक आम औसत छात्र, जो किसी भी विषय में अच्छा नहीं था, ने 1982 में 15 वर्ष की आयु में ‘‘ओ लेवल’ की परीक्षा दी।
जैसी कि उम्मीद थी और जैसा हमेशा होता आया था, उसका परिणाम ‘सी’ व ‘बी’ ग्रेड में ही था। उसे अपना परिणाम देखकर बहुत निराशा हुई, क्योंकि उसकी इच्छा इंग्लैण्ड की प्रतिष्ठित कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी में जाने की थी और वह यह समझ चुका था कि अगर उसका परिणाम ऐसा ही आता रहा तो वहां जाना संभव ही नहीं है।
छात्र का नाम था एडवर्ड हुयस।
कुछ समय बाद एडवर्ड के पिता, जॉर्ज ने उसे यूज़ यूअर हेड पढ़ने को दी और उसे अपने बारे में नई सूचना से अवगत कराया और यह भी बताया कि कैसे माइंड मैप (mind map) सीखा व अध्ययन किया जाय। यह जानने के बाद वह इतना प्रेरित हुआ कि पूर्ण आत्मविश्वास के साथ स्कूल गया। उसने घोषणा की कि वह हर विषय में ‘ए’ ग्रेड लाएगा वह हर हालत में कैम्ब्रिज में पढ़ने जाना चाहता है।
अध्यापकों को हैरानी हुई। एक ने कहा, ‘तुम मज़ाक कर रहे हो, ऐसा हो ही नहीं सकता, तुम्हारे परिणाम कभी भी इतने अच्छे नहीं आए कि तुम कैम्ब्रिज के स्तर तक पहुंच सको।’
‘‘मूर्खतापूर्ण बातें न करो। तुम्हें ‘बी’ या केवल ‘सी’ ग्रेड ही मिलेगा।’ दूसरे ने कहा। जब एडवर्ड ने कहा कि वह न केवल स्कूल की आम परीक्षाएं देना चाहता है, वरन वह स्कॉलरशिप पेपर की भी परीक्षा देना चाहता है तो अध्यापक ने कहा, ‘‘तुम ऐसा नहीं कर सकते, उस परीक्षा को देने का मतलब होगा केवल स्कूल का पैसा और अपना समय बर्बाद करना। हमें नहीं लगता कि तुम उत्तीर्ण होगे, क्योंकि परीक्षाएं अत्यधिक कठिन हैं और हमारे बेहतरीन छात्र तक इसमें उत्तीर्ण नहीं हो पाते हैं।’ एडवर्ड के बहुत आग्रह करने पर स्कूल ने उसे परीक्षा देने की अनुमति तो दे दी, पर स्कूल का पैसा बर्बाद न हो, इसलिए प्रवेश शुल्क के रूप में उसे खुद 20 पाउंड चुकाने पड़े।
तीसरे टीचर ने कहा कि वह पिछले बारह वर्षों से एक ही विषय पढ़ा रहा है और वह उस विषय में पारंगत है। और वह अच्छी तरह से जानता है कि हग्स को केवल ‘बी’ या ‘सी’ ग्रेड ही मिल सकते हैं। टीचर ने एक अन्य छात्र का नाम लिया जो एडवर्ड से कहीं बेहतर था और कहा कि एडवर्ड उसकी तरह बेहतर हो ही नहीं सकता है। उस समय एडवर्ड ने कहा, ‘मैं उनकी इस तरह से स्थिति का अवलोकन करने से असहमत हूं।’
चौथे टीचर ने हंसते हुए कहा कि वह एडवर्ड की महत्त्वाकांक्षा की सराहना करते हैं और उसका सपना पूरा हो सकता है, पर अगर वह कड़ी मेहनत करे भी तो केवल ‘बी’ ग्रेड ही ला सकता है। पर उन्होंने उसे शुभकामना देते हुए कहा कि उन्हें हमेशा ऐसे लोग अच्छे लगते हैं जो आगे बढ़ने की चाह रखते हैं।
‘‘मैं ‘ए’ लाऊंगा’’
प्रत्येक टीचर और जिसने भी उसके लक्ष्य को लेकर सवाल उठाया उनके लिए एडवर्ड का एक ही जवाब था कि ‘‘मैं ‘ए’ लाऊंगा।’’
आरंभ में स्कूल एडवर्ड का नाम कैम्ब्रिज में नहीं देना चाहता था, पर बाद में उसने सहमति तो दे दी, पर कैम्ब्रिज के कॉलेजों में यह भी बता दिया कि उन्हें नहीं लगता कि इस छात्र ने जिस जगह के लिए आवेदन किया है उसमें वह स्थान पा जाएगा।
इसके बाद कॉलेज में इंटरव्यू देना था। तब कॉलेज के अध्यापकों ने स्कूल की राय के बारे में एडवर्ड को सूचना दी और स्वयं यह सहमति भी जताई कि उसके सफल होने की संभावनाएं बहुत ही क्षीण हैं, लेकिन वे उसके उत्साह की प्रशंसा करते हैं। उन्होंने उससे कहा कि उन्हें कम से कम दो ‘बी’ व एक ‘ए’ चाहिए, लेकिन उससे अधिक दो ‘ए’ और एक ‘बी’ या तीन ‘ए’ और उसे शुभकामनाएं दीं।
फिर भी निर्भीक होकर एडवर्ड ने यूज़ यूअर हेड और शारीरिक ट्रेनिंग की योजना पर अमल किया। उसके शब्दों में :
परीक्षाएं नज़दीक आ रही थीं। मैंने अपने माइंड मैप में पिछले दो सालों के स्कूल के नोट्स पर नज़र डाली। फिर मैंने उनमें रंग किया, उन्हें हाईलाइट किया और प्रत्येक कोर्स और कुछ मामलों में प्रत्येक कोर्स के मुख्य भाग के विस्तृत मास्टर माइंड मैप तैयार किए। इस तरह से मैं देख सकता था कि कैसे व कहां अधिक विस्तृत अंश एक साथ आ सकते हैं और इस तरह उनके बारे में अच्छी तरह से जाना जा सकता है। इस तरह मेरे लिए पूरी तरह से ठीक ढंग से याद करते हुए कोर्स के विस्तृत भागों पर नज़र डालना आसान हो गया था।
हफ्ते में एक बार मैं इन माइंड मैप्स की समीक्षा करता, और जैसे-जैसे परीक्षाएं पास आने लगीं, और ज्यादा नियमित रूप से ऐसा करने लगा। अपनी किताबों या अन्य नोट्स को न देखते हुए सिर्फ अपनी स्मरण-शक्ति (memory, मेमोरो) के बल पर विषयों के प्रति अपने ज्ञान व समझ से मैंने रीकॉल माइंड मैप्स का अभ्यास किया। और फिर इन माइंड मैप्स की तुलना अपने मास्टर माइंड मैप से करते हुए मैंने अंतर को जांचा।
इसके साथ ही मैंने हफ्ते में दो-तीन बार दो-तीन मील की दौड़ लगाते हुए अपने को फिट रखा, ताज़ी हवा का आनंद लिया, एक्सरसाइज के साथ-साथ जिम में भी वर्क आउट किया। मैं शारीरिक रूप से कहीं ज्यादा बेहतर हो गया जिससे मेरी एकाग्रता में वृद्धि हुई। जैसा कि कहा जाता है, स्वस्थ शरीर, स्वस्थ दिमाग, स्वस्थ दिमाग, स्वस्थ शरीर। मैंने अपने-आपको बहुत बेहतर महसूस किया और अपने काम में भी प्रगति होती महसूस की।
परीक्षाएं–परिणाम
आखिरकार, एडवर्ड चार परीक्षाओं के लिए बैठा–भूगोल, भूगोल स्कॉलरशिप पेपर, बिजनेस स्टडीज व मध्ययुगीन इतिहास। उसके परिणाम इस प्रकार थे :
विषय अंक श्रेणी
भूगोल ए श्रेष्ठ छात्र
भूगोल स्कॉलरशिप विशिष्टता श्रेष्ठ छात्र
मध्ययुगीन इतिहास ए श्रेष्ठ छात्र
बिज़नेस स्टडीज़ ए व 2 विशिष्टताएं पहली बार उत्तीर्ण हुआ श्रेष्ठ छात्र
परिणामों के घोषित होने के अगले दिन ही कैम्ब्रिज के कॉलेज में एडवर्ड के लिए स्थान सुरक्षित हो गया और विश्वविद्यालय में अपने जीवन की शुरुआत करने से पहले दुनिया को देखने के लिए एक वर्ष की छुट्टी की उसकी प्रार्थना को भी स्वीकार लिया गया। अपने इस वर्ष के अवकाश के दौरान उसने सिंगापुर में काम किया, ऑस्ट्रेलिया में ड्राइवर का काम किया और फिज़ी व हवाई में छुट्टियां भी मनाईं। फिर वह कैलिफोर्निया गया जहां उसने भ्रूण स्थानांतरित यूनिट व पशुशाला में काम किया। उसने इस दौरान अमेरिका में खेतों पर भी काम किया और फिर इंग्लैंड लौट आया।
क्रैम्ब्रिज जाने से पहले एडवर्ड ने निश्चय किया कि यूनिवर्सिटी में पढ़ते हुए शैक्षिक रूप से सफलता पाने के अलावा वह छात्रों का एक नया संघ बनाने, कॉलेज के लिए खेलों में हिस्सा लेने, नए मित्र बनाने व एक बेहतरीन समय बिताने का अपना लक्ष्य भी पूरा करेगा।
कैम्ब्रिज में
कॉलेज में सॉसर, टेनिस, स्कवॉश खेलते हुए खेलों में उसने तुरंत सफलता पा ली। यहां तक कि छात्र संघ में उसे एक नायक की तरह माना जाने लगा। यंग एण्टरप्रेन्योर्स सोसाइटी (Young Enterpreneur’s Society), यूरोप में अपनी तरह की सबसे विशालतम सोसाइटी (संघ या संस्था) का गठन करने के अलावा उसे 3600 सदस्यों की एक धर्मार्थ सोसाइटी–‘वेरी नाइस सोसाइटी’ की अध्यक्षता करने के लिए भी कहा गया। उसकी अध्यक्षता में इसके सदस्यों की संख्या 4500 तक पहुंच गई, यूनिवर्सिटी के इतिहास में यह सबसे विशालतम सोसाइटी थी। इन दोनों सोसाइटियों के लिए किए उसके काम को देखते हुए, एक अन्य सोसाइटी के प्रेसीडेंट ने एडवर्ड को अध्यक्षों के लिए बनी सोसाइटी की अध्यक्षता करने को कहा। उसने वैसा ही किया और वह प्रेसीडेंट क्लब का प्रेसीडेंट बन गया।
शैक्षिक रूप से उसने सबसे पहले ‘औसत छात्र’ की आदतों का अध्ययन किया और फिर टिप्पणी लिखी :
वे प्रत्येक निबंध को पढ़ने में लगभग 12-13 घंटे व्यतीत करते हैं, हर पंक्ति में से जो भी सूचना वे एकत्र कर सकते हैं, उसे नोट करते हैं, विषय से जुड़ी किताबों को पढ़ते हैं, उसके बाद वे निबंध को लिखने में 3-4 घंटे लगाते हैं (कुछ छात्र अपने निबंधों को कई बार लिखते हैं, जिसकी वजह से एक निबंध को लिखने में उन्हें पूरा एक हफ्ता लग जाता है)।
‘ओ’ लेवल की तैयारी व परीक्षाओं के संदर्भ में अपने अनुभव को देखते हुए, एडवर्ड ने तय किया कि वह हफ्ते में 5 दिन 2-3 घंटे पढ़ाई करेगा।
उन तीन घंटों के दौरान मैंने माइंड मैप के तरीके से मुख्य व्याख्यानों (लेक्चरों) को पढ़ा, सारी महत्त्वपूर्ण सूचना का सारांश तैयार किया। मैंने यह लक्ष्य तय किया कि मैं जैसे ही अपने निबंध लिख लूंगा, मन ही मन उन्हें दोहराऊंगा कि मुझे उस विषय के बारे में क्या पता है और मुझे क्या ज़रूरी लगता है। और फिर कुछ दिनों तक उसे पढ़ूंगा नहीं, मन में केवल उसके बारे में सोचूंगा और फिर उससे संबंधित किताबें पढ़ूंगा, उनसे महत्त्वपूर्ण जानकारी एकत्र कर उन्हें दिमाग में बिठा लूंगा। फिर मैं कुछ समय के लिए ब्रेक लूंगा, कुछ एक्सरसाइज़ करूंगा, फिर दुबारा उस निबंध पर दिमाग में एक माइंड मैप बनाऊंगा। अपने निबंध की योजना को खत्म करने के बाद, मैं फिर ब्रेक लूंगा और फिर बैठकर हमेशा 45 मिनट में निबंध पूरा कर लूंगा। इस तकनीक से मैंने अधिकतम अंक प्राप्त किए।
कैम्ब्रिज की फाइनल परीक्षाओं से पहले, एडवर्ड ने बिलकुल उसी तरह की योजना बनाकर तैयारी की जैसे कि उसने अपने ‘ए’ लेवल की तैयारी की थी और छह फाइनल परीक्षाएं दीं।
परिणाम?
परिणाम
पहली परीक्षा में, उसे केवल पास किया गया, सामान्य ढंग से ठीक मानते हुए पर यहां उसे सर्वोत्तम माना गया, क्योंकि परीक्षा देने वाले छात्रों में से 50 प्रतिशत छात्र फेल हो गए थे। किसी को भी प्रथम स्थान नहीं दिया गया, दूसरी, तीसरी व चौथी परीक्षा में तीन दूसरे नंबर पर थे और फाइनल परीक्षाओं में 2 प्रथम आए–न सिर्फ प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण हुए, वरन उस विषय में यूनिवर्सिटी में उन्हें सबसे अधिक अंक भी मिले।
ग्रेजुयेशन करने के तुरंत बाद, एडवर्ड को एक मल्टी-नेशनल उद्यमी कंपनी ने नीति विचारक का पद संभालने के लिए बुलाया। ऐसी नौकरी जो यूनिवर्सिटी के अनुसार कैम्ब्रिज के पूर्व स्नातक (अंडर ग्रेजुयेट) के लिए सबसे बेहतरीन अवसर था। एडवर्ड ने इसके बारे में लिखा :
यूज़ यूअर हेड के पहली बार 1974 में प्रकाशित होने के बाद, एक आम औसत छात्र, जो किसी भी विषय में अच्छा नहीं था, ने 1982 में 15 वर्ष की आयु में ‘‘ओ लेवल’ की परीक्षा दी।
जैसी कि उम्मीद थी और जैसा हमेशा होता आया था, उसका परिणाम ‘सी’ व ‘बी’ ग्रेड में ही था। उसे अपना परिणाम देखकर बहुत निराशा हुई, क्योंकि उसकी इच्छा इंग्लैण्ड की प्रतिष्ठित कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी में जाने की थी और वह यह समझ चुका था कि अगर उसका परिणाम ऐसा ही आता रहा तो वहां जाना संभव ही नहीं है।
छात्र का नाम था एडवर्ड हुयस।
कुछ समय बाद एडवर्ड के पिता, जॉर्ज ने उसे यूज़ यूअर हेड पढ़ने को दी और उसे अपने बारे में नई सूचना से अवगत कराया और यह भी बताया कि कैसे माइंड मैप (mind map) सीखा व अध्ययन किया जाय। यह जानने के बाद वह इतना प्रेरित हुआ कि पूर्ण आत्मविश्वास के साथ स्कूल गया। उसने घोषणा की कि वह हर विषय में ‘ए’ ग्रेड लाएगा वह हर हालत में कैम्ब्रिज में पढ़ने जाना चाहता है।
अध्यापकों को हैरानी हुई। एक ने कहा, ‘तुम मज़ाक कर रहे हो, ऐसा हो ही नहीं सकता, तुम्हारे परिणाम कभी भी इतने अच्छे नहीं आए कि तुम कैम्ब्रिज के स्तर तक पहुंच सको।’
‘‘मूर्खतापूर्ण बातें न करो। तुम्हें ‘बी’ या केवल ‘सी’ ग्रेड ही मिलेगा।’ दूसरे ने कहा। जब एडवर्ड ने कहा कि वह न केवल स्कूल की आम परीक्षाएं देना चाहता है, वरन वह स्कॉलरशिप पेपर की भी परीक्षा देना चाहता है तो अध्यापक ने कहा, ‘‘तुम ऐसा नहीं कर सकते, उस परीक्षा को देने का मतलब होगा केवल स्कूल का पैसा और अपना समय बर्बाद करना। हमें नहीं लगता कि तुम उत्तीर्ण होगे, क्योंकि परीक्षाएं अत्यधिक कठिन हैं और हमारे बेहतरीन छात्र तक इसमें उत्तीर्ण नहीं हो पाते हैं।’ एडवर्ड के बहुत आग्रह करने पर स्कूल ने उसे परीक्षा देने की अनुमति तो दे दी, पर स्कूल का पैसा बर्बाद न हो, इसलिए प्रवेश शुल्क के रूप में उसे खुद 20 पाउंड चुकाने पड़े।
तीसरे टीचर ने कहा कि वह पिछले बारह वर्षों से एक ही विषय पढ़ा रहा है और वह उस विषय में पारंगत है। और वह अच्छी तरह से जानता है कि हग्स को केवल ‘बी’ या ‘सी’ ग्रेड ही मिल सकते हैं। टीचर ने एक अन्य छात्र का नाम लिया जो एडवर्ड से कहीं बेहतर था और कहा कि एडवर्ड उसकी तरह बेहतर हो ही नहीं सकता है। उस समय एडवर्ड ने कहा, ‘मैं उनकी इस तरह से स्थिति का अवलोकन करने से असहमत हूं।’
चौथे टीचर ने हंसते हुए कहा कि वह एडवर्ड की महत्त्वाकांक्षा की सराहना करते हैं और उसका सपना पूरा हो सकता है, पर अगर वह कड़ी मेहनत करे भी तो केवल ‘बी’ ग्रेड ही ला सकता है। पर उन्होंने उसे शुभकामना देते हुए कहा कि उन्हें हमेशा ऐसे लोग अच्छे लगते हैं जो आगे बढ़ने की चाह रखते हैं।
‘‘मैं ‘ए’ लाऊंगा’’
प्रत्येक टीचर और जिसने भी उसके लक्ष्य को लेकर सवाल उठाया उनके लिए एडवर्ड का एक ही जवाब था कि ‘‘मैं ‘ए’ लाऊंगा।’’
आरंभ में स्कूल एडवर्ड का नाम कैम्ब्रिज में नहीं देना चाहता था, पर बाद में उसने सहमति तो दे दी, पर कैम्ब्रिज के कॉलेजों में यह भी बता दिया कि उन्हें नहीं लगता कि इस छात्र ने जिस जगह के लिए आवेदन किया है उसमें वह स्थान पा जाएगा।
इसके बाद कॉलेज में इंटरव्यू देना था। तब कॉलेज के अध्यापकों ने स्कूल की राय के बारे में एडवर्ड को सूचना दी और स्वयं यह सहमति भी जताई कि उसके सफल होने की संभावनाएं बहुत ही क्षीण हैं, लेकिन वे उसके उत्साह की प्रशंसा करते हैं। उन्होंने उससे कहा कि उन्हें कम से कम दो ‘बी’ व एक ‘ए’ चाहिए, लेकिन उससे अधिक दो ‘ए’ और एक ‘बी’ या तीन ‘ए’ और उसे शुभकामनाएं दीं।
फिर भी निर्भीक होकर एडवर्ड ने यूज़ यूअर हेड और शारीरिक ट्रेनिंग की योजना पर अमल किया। उसके शब्दों में :
परीक्षाएं नज़दीक आ रही थीं। मैंने अपने माइंड मैप में पिछले दो सालों के स्कूल के नोट्स पर नज़र डाली। फिर मैंने उनमें रंग किया, उन्हें हाईलाइट किया और प्रत्येक कोर्स और कुछ मामलों में प्रत्येक कोर्स के मुख्य भाग के विस्तृत मास्टर माइंड मैप तैयार किए। इस तरह से मैं देख सकता था कि कैसे व कहां अधिक विस्तृत अंश एक साथ आ सकते हैं और इस तरह उनके बारे में अच्छी तरह से जाना जा सकता है। इस तरह मेरे लिए पूरी तरह से ठीक ढंग से याद करते हुए कोर्स के विस्तृत भागों पर नज़र डालना आसान हो गया था।
हफ्ते में एक बार मैं इन माइंड मैप्स की समीक्षा करता, और जैसे-जैसे परीक्षाएं पास आने लगीं, और ज्यादा नियमित रूप से ऐसा करने लगा। अपनी किताबों या अन्य नोट्स को न देखते हुए सिर्फ अपनी स्मरण-शक्ति (memory, मेमोरो) के बल पर विषयों के प्रति अपने ज्ञान व समझ से मैंने रीकॉल माइंड मैप्स का अभ्यास किया। और फिर इन माइंड मैप्स की तुलना अपने मास्टर माइंड मैप से करते हुए मैंने अंतर को जांचा।
इसके साथ ही मैंने हफ्ते में दो-तीन बार दो-तीन मील की दौड़ लगाते हुए अपने को फिट रखा, ताज़ी हवा का आनंद लिया, एक्सरसाइज के साथ-साथ जिम में भी वर्क आउट किया। मैं शारीरिक रूप से कहीं ज्यादा बेहतर हो गया जिससे मेरी एकाग्रता में वृद्धि हुई। जैसा कि कहा जाता है, स्वस्थ शरीर, स्वस्थ दिमाग, स्वस्थ दिमाग, स्वस्थ शरीर। मैंने अपने-आपको बहुत बेहतर महसूस किया और अपने काम में भी प्रगति होती महसूस की।
परीक्षाएं–परिणाम
आखिरकार, एडवर्ड चार परीक्षाओं के लिए बैठा–भूगोल, भूगोल स्कॉलरशिप पेपर, बिजनेस स्टडीज व मध्ययुगीन इतिहास। उसके परिणाम इस प्रकार थे :
विषय अंक श्रेणी
भूगोल ए श्रेष्ठ छात्र
भूगोल स्कॉलरशिप विशिष्टता श्रेष्ठ छात्र
मध्ययुगीन इतिहास ए श्रेष्ठ छात्र
बिज़नेस स्टडीज़ ए व 2 विशिष्टताएं पहली बार उत्तीर्ण हुआ श्रेष्ठ छात्र
परिणामों के घोषित होने के अगले दिन ही कैम्ब्रिज के कॉलेज में एडवर्ड के लिए स्थान सुरक्षित हो गया और विश्वविद्यालय में अपने जीवन की शुरुआत करने से पहले दुनिया को देखने के लिए एक वर्ष की छुट्टी की उसकी प्रार्थना को भी स्वीकार लिया गया। अपने इस वर्ष के अवकाश के दौरान उसने सिंगापुर में काम किया, ऑस्ट्रेलिया में ड्राइवर का काम किया और फिज़ी व हवाई में छुट्टियां भी मनाईं। फिर वह कैलिफोर्निया गया जहां उसने भ्रूण स्थानांतरित यूनिट व पशुशाला में काम किया। उसने इस दौरान अमेरिका में खेतों पर भी काम किया और फिर इंग्लैंड लौट आया।
क्रैम्ब्रिज जाने से पहले एडवर्ड ने निश्चय किया कि यूनिवर्सिटी में पढ़ते हुए शैक्षिक रूप से सफलता पाने के अलावा वह छात्रों का एक नया संघ बनाने, कॉलेज के लिए खेलों में हिस्सा लेने, नए मित्र बनाने व एक बेहतरीन समय बिताने का अपना लक्ष्य भी पूरा करेगा।
कैम्ब्रिज में
कॉलेज में सॉसर, टेनिस, स्कवॉश खेलते हुए खेलों में उसने तुरंत सफलता पा ली। यहां तक कि छात्र संघ में उसे एक नायक की तरह माना जाने लगा। यंग एण्टरप्रेन्योर्स सोसाइटी (Young Enterpreneur’s Society), यूरोप में अपनी तरह की सबसे विशालतम सोसाइटी (संघ या संस्था) का गठन करने के अलावा उसे 3600 सदस्यों की एक धर्मार्थ सोसाइटी–‘वेरी नाइस सोसाइटी’ की अध्यक्षता करने के लिए भी कहा गया। उसकी अध्यक्षता में इसके सदस्यों की संख्या 4500 तक पहुंच गई, यूनिवर्सिटी के इतिहास में यह सबसे विशालतम सोसाइटी थी। इन दोनों सोसाइटियों के लिए किए उसके काम को देखते हुए, एक अन्य सोसाइटी के प्रेसीडेंट ने एडवर्ड को अध्यक्षों के लिए बनी सोसाइटी की अध्यक्षता करने को कहा। उसने वैसा ही किया और वह प्रेसीडेंट क्लब का प्रेसीडेंट बन गया।
शैक्षिक रूप से उसने सबसे पहले ‘औसत छात्र’ की आदतों का अध्ययन किया और फिर टिप्पणी लिखी :
वे प्रत्येक निबंध को पढ़ने में लगभग 12-13 घंटे व्यतीत करते हैं, हर पंक्ति में से जो भी सूचना वे एकत्र कर सकते हैं, उसे नोट करते हैं, विषय से जुड़ी किताबों को पढ़ते हैं, उसके बाद वे निबंध को लिखने में 3-4 घंटे लगाते हैं (कुछ छात्र अपने निबंधों को कई बार लिखते हैं, जिसकी वजह से एक निबंध को लिखने में उन्हें पूरा एक हफ्ता लग जाता है)।
‘ओ’ लेवल की तैयारी व परीक्षाओं के संदर्भ में अपने अनुभव को देखते हुए, एडवर्ड ने तय किया कि वह हफ्ते में 5 दिन 2-3 घंटे पढ़ाई करेगा।
उन तीन घंटों के दौरान मैंने माइंड मैप के तरीके से मुख्य व्याख्यानों (लेक्चरों) को पढ़ा, सारी महत्त्वपूर्ण सूचना का सारांश तैयार किया। मैंने यह लक्ष्य तय किया कि मैं जैसे ही अपने निबंध लिख लूंगा, मन ही मन उन्हें दोहराऊंगा कि मुझे उस विषय के बारे में क्या पता है और मुझे क्या ज़रूरी लगता है। और फिर कुछ दिनों तक उसे पढ़ूंगा नहीं, मन में केवल उसके बारे में सोचूंगा और फिर उससे संबंधित किताबें पढ़ूंगा, उनसे महत्त्वपूर्ण जानकारी एकत्र कर उन्हें दिमाग में बिठा लूंगा। फिर मैं कुछ समय के लिए ब्रेक लूंगा, कुछ एक्सरसाइज़ करूंगा, फिर दुबारा उस निबंध पर दिमाग में एक माइंड मैप बनाऊंगा। अपने निबंध की योजना को खत्म करने के बाद, मैं फिर ब्रेक लूंगा और फिर बैठकर हमेशा 45 मिनट में निबंध पूरा कर लूंगा। इस तकनीक से मैंने अधिकतम अंक प्राप्त किए।
कैम्ब्रिज की फाइनल परीक्षाओं से पहले, एडवर्ड ने बिलकुल उसी तरह की योजना बनाकर तैयारी की जैसे कि उसने अपने ‘ए’ लेवल की तैयारी की थी और छह फाइनल परीक्षाएं दीं।
परिणाम?
परिणाम
पहली परीक्षा में, उसे केवल पास किया गया, सामान्य ढंग से ठीक मानते हुए पर यहां उसे सर्वोत्तम माना गया, क्योंकि परीक्षा देने वाले छात्रों में से 50 प्रतिशत छात्र फेल हो गए थे। किसी को भी प्रथम स्थान नहीं दिया गया, दूसरी, तीसरी व चौथी परीक्षा में तीन दूसरे नंबर पर थे और फाइनल परीक्षाओं में 2 प्रथम आए–न सिर्फ प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण हुए, वरन उस विषय में यूनिवर्सिटी में उन्हें सबसे अधिक अंक भी मिले।
ग्रेजुयेशन करने के तुरंत बाद, एडवर्ड को एक मल्टी-नेशनल उद्यमी कंपनी ने नीति विचारक का पद संभालने के लिए बुलाया। ऐसी नौकरी जो यूनिवर्सिटी के अनुसार कैम्ब्रिज के पूर्व स्नातक (अंडर ग्रेजुयेट) के लिए सबसे बेहतरीन अवसर था। एडवर्ड ने इसके बारे में लिखा :
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