व्यवहारिक मार्गदर्शिका >> पहले लक्ष्य तय करें पहले लक्ष्य तय करेंजोगिन्दर सिंह
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जीवन में कैसे छोटे-छोटे कदम एक बड़े उद्देश्य एवं असंभव उपलब्धियों तक ले जाते हैं इस पुस्तक को पढ़कर जानिए।...
1. पहले तय करें हमारा लक्ष्य क्या है?
2. उसकी कार्य योजना बनाएं।
3. उसे प्राप्त करने का संकल्प लें।
4. विश्वास और दृढ़ निश्चय से उसे पा लें!
अधिकांश लोगों के पास उनका निर्धारित लक्ष्य या प्लान नहीं होता, जबकि यह काफी आवश्यक है। हम जीवन में जो पाना चाहते हैं उसे पाने के लिए पूर्व निश्चिय कर लें कि हम किस दिशा में जाना चाहते हैं। जो ऐसा नहीं करते वे निरुद्देश्य, लक्ष्यहीन होकर जीवन की दौड़ में पीछे रह जाते हैं। उन्हें चाहिए कि जिस प्रकार एक पायलेट एक निश्चित योजना के तहत अपने विमान को एक दिशा देता है, वे भी उसी तरह अपनी जिंदगी को एक निश्चित योजना के तहत दिशा दें।
एक स्पष्ट रूप से परिभाषित ध्येय के अभाव में समय बर्बाद करने के बदले जीवन में सुस्पष्ट उद्देश्य रखें तथा लक्ष्य निर्धारण के बाद ध्येय की तरफ कदम बढ़ाते हुए यह भी ध्यान रखें कि आपका हर कदम एक छोटा लक्ष्य है। ऐसा मानते हुए आगे बढ़ना इसलिए आवश्यक है, क्योंकि यही छोटे लक्ष्य उपलब्धि के ईंधन बनते हैं।
जीवन में कैसे छोटे-छोटे कदम एक बड़े उद्देश्य एवं असंभव उपलब्धियों तक ले जाते हैं इस पुस्तक को पढ़कर जानिए।
सी.बी.आई. के पूर्व निदेशक जोगिन्दर सिंह का जन्म एक ग़रीब किसान के घर हुआ परंतु अपनी मेहनत के बल पर उन्होंने सफलता के शिखर को छुआ। वे एक बहुमुखी प्रतिभासम्पन्न व्यक्ति हैं।’ आप भी सफल हो सकते हैं’, ‘पॉजिटिव थिंकिंग’, ‘सुनहरे कल की ओर’ और ‘सफलता आपकी मुट्ठी में’ उनकी कुछ प्रसिद्ध कृतियां है।
2. उसकी कार्य योजना बनाएं।
3. उसे प्राप्त करने का संकल्प लें।
4. विश्वास और दृढ़ निश्चय से उसे पा लें!
अधिकांश लोगों के पास उनका निर्धारित लक्ष्य या प्लान नहीं होता, जबकि यह काफी आवश्यक है। हम जीवन में जो पाना चाहते हैं उसे पाने के लिए पूर्व निश्चिय कर लें कि हम किस दिशा में जाना चाहते हैं। जो ऐसा नहीं करते वे निरुद्देश्य, लक्ष्यहीन होकर जीवन की दौड़ में पीछे रह जाते हैं। उन्हें चाहिए कि जिस प्रकार एक पायलेट एक निश्चित योजना के तहत अपने विमान को एक दिशा देता है, वे भी उसी तरह अपनी जिंदगी को एक निश्चित योजना के तहत दिशा दें।
एक स्पष्ट रूप से परिभाषित ध्येय के अभाव में समय बर्बाद करने के बदले जीवन में सुस्पष्ट उद्देश्य रखें तथा लक्ष्य निर्धारण के बाद ध्येय की तरफ कदम बढ़ाते हुए यह भी ध्यान रखें कि आपका हर कदम एक छोटा लक्ष्य है। ऐसा मानते हुए आगे बढ़ना इसलिए आवश्यक है, क्योंकि यही छोटे लक्ष्य उपलब्धि के ईंधन बनते हैं।
जीवन में कैसे छोटे-छोटे कदम एक बड़े उद्देश्य एवं असंभव उपलब्धियों तक ले जाते हैं इस पुस्तक को पढ़कर जानिए।
सी.बी.आई. के पूर्व निदेशक जोगिन्दर सिंह का जन्म एक ग़रीब किसान के घर हुआ परंतु अपनी मेहनत के बल पर उन्होंने सफलता के शिखर को छुआ। वे एक बहुमुखी प्रतिभासम्पन्न व्यक्ति हैं।’ आप भी सफल हो सकते हैं’, ‘पॉजिटिव थिंकिंग’, ‘सुनहरे कल की ओर’ और ‘सफलता आपकी मुट्ठी में’ उनकी कुछ प्रसिद्ध कृतियां है।
लक्ष्य प्राप्ति
लक्ष्य की आवश्यकता
जीवन में अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए अलग-अलग समय पर भिन्न उपाय
लगाते हैं। यह आपकी क्षमता है जो कामों को ऐसी चीजों में तब्दील करता है
जो आपको सफलता की ओर ले जाती है। जीवन में हम जो कुछ भी करते हैं उसका
अन्त हमारी सफलता की कुंजी के अनुकूल उपयोग का परिणाम होता है। जीतना जीत
की चाहत की परिणति है। यह काफी आवश्यक है कि हम किसी भी स्थान पर पहुँच
सके उससे पूर्व यह सुनिश्चित कर लें कि हम किस दिशा में जाना चाहते हैं।
यह कड़वा मगर सच है कि ज्याद़ातर लोग बिना किसी उद्देश्य एवं लक्ष्य के
दिन भर इधर-उधर करते रहते हैं। एक पायलट अपने विमान को एक दिशा प्रदान
करता है और उसका एक निश्चित प्लान होता है कि विमान को कहाँ ले जाना है।
बसों एवं ट्रेनों का भी एक निश्चित दिशा में एक निश्चित गन्तव्य स्थान तय
होता है जो उन्हें एक निश्चित समय में तय करना होता है।
मगर अधिकांश लोगों के पास निर्धारित लक्ष्य या प्लान नहीं होता है। केवल प्लानिंग के बल पर ही बुद्धिमान लोग जीवन में आने वाले मौकों का सही उपयोग कर पाते हैं। लक्ष्य के अभाव में हमारे सारे इरादे धरे के धरे रह जायेंगे। यदि हमें यही नहीं पता कि हमें किस किनारे पर पहुँचना है तो कोई भी हवा सही दिशा नहीं दे सकती है। यह हमारा ध्यान केन्द्रित करने एवं समय का सही सदुपयोग करने की क्षमता है जिससे हम जीवन में व्यवसाय, उद्योग सहित सभी कामों में सफलता प्राप्त कर सकते हैं।
लक्ष्य के तरफ कदम बढ़ाना ही काफी नहीं है बल्कि हर कदम अपने आप में एक छोटा लक्ष्य हो जिसे आप पूरा करते हुए आगे बढ़े। यही छोटे लक्ष्य आपकी उपलब्धि के ईंधन हैं।
वास्तव में जीवन में हम जो कुछ भी करते हैं उसके लिए कुछ उद्देश्य तय करने की जरूरत है। यहाँ तक कि बाजार जाने का भी कोई उद्देश्य तय होना चाहिए कि जैसे क्या लेने आप बाजार जा रहे हैं। क्या आप विन्डो शॉपिग या चाय-काफी के एक प्याले या फिर घरेलू सामान खरीदने जा रहे हैं?
यद्यपि संभव है कि व्यायाम के लक्ष्य से हम में से कई वाकिफ न हो पर इस व्यायाम का भी उद्देश्य शरीर को अधिकतम स्तर तक स्वस्थ रखना होता है। एक स्पष्ट रूप से परिभाषित लक्ष्य के अभाव में हम अपना समय यूँ ही बर्बाद करते हैं। जीवन में सफलता का आधार है यह सुस्पष्ट लक्ष्य। मगर पहले हमें यह पता होना चाहिए कि हम क्या चाहते हैं। दूसरे शब्दों में पहले हमें अपने काम को जानना चाहिए फिर उसे करना चाहिए। काम के प्रति सही नजरिया होना परमावश्यक है। सही मानसिकता के साथ काम करने पर सफलता निश्चित है जबकि इसके अभाव में मनुष्य के जीवन में कुछ भी, अच्छा प्राप्त कर पाना संभव नहीं है।
आपको सोचना है कि आप क्या कर सकते हैं और किस तरह आप कर सकते हैं। हमारी सफलता दिनों दिन किये जाने वाले छोटे बड़े प्रयासों की पूर्णाहुति है। सफलता पूर्वक लक्ष्य तक पहुंचना या नहीं पहुचना अंततः हमारे प्रयासों पर निर्भर करता है।
सफलता का कोई सार्वभौमिक सूत्र नहीं है परन्तु अपना समय बर्बाद कर दूसरों को खुश करना असफलता का मूल मंत्र जरूर है। लगन से मजबूत इच्छाशक्ति, आशा, तलब, लक्ष्य से भी सफलता संभव है।
किसी चीज की खोज फिर से करने से अच्छा है कि आप दूसरों की गलतियों से सीखें एवं उसे दूर करने के श्रेष्ठ उपाय करें न कि फालतू बातों में समय बर्बाद करें। किसी भी बुद्धिमान एवं जानकर व्यक्ति के साथ जुड़कर उसके गुणों, जानकारी आदि को सीखना एक अच्छी बात है।
रूडयार्ड किपलिंग ने कहा, ‘‘जब सभी आपको दोष दे रहे हों तब यदि आप शांत रहते हैं; जब सभी आप पर संदेह करें फिर भी आप अपने आप पर विश्वास कर सकें और संदेह को और बढ़ायें; यदि आप इन्तजार कर सकते हैं और इंतजार करते थकते नहीं; झूठ को झूठ से नहीं निपटते; या नफरत किये जाने पर नफरत नहीं करते; और फिर भी ज्यादा अच्छे नहीं दिखते न ही बुद्धिमानों की तरह ज्यादा बोलते हैं; यदि आप सोच सकते हैं और अपनी सोच को अपना लक्ष्य नहीं बनाते, यदि सफलता और असफलता का एक ही चीज के दो रूपों में देख सकते हैं। और अब क्या, तब आप एक मनुष्य हो, मेरे बच्चे।’’
मगर अधिकांश लोगों के पास निर्धारित लक्ष्य या प्लान नहीं होता है। केवल प्लानिंग के बल पर ही बुद्धिमान लोग जीवन में आने वाले मौकों का सही उपयोग कर पाते हैं। लक्ष्य के अभाव में हमारे सारे इरादे धरे के धरे रह जायेंगे। यदि हमें यही नहीं पता कि हमें किस किनारे पर पहुँचना है तो कोई भी हवा सही दिशा नहीं दे सकती है। यह हमारा ध्यान केन्द्रित करने एवं समय का सही सदुपयोग करने की क्षमता है जिससे हम जीवन में व्यवसाय, उद्योग सहित सभी कामों में सफलता प्राप्त कर सकते हैं।
लक्ष्य के तरफ कदम बढ़ाना ही काफी नहीं है बल्कि हर कदम अपने आप में एक छोटा लक्ष्य हो जिसे आप पूरा करते हुए आगे बढ़े। यही छोटे लक्ष्य आपकी उपलब्धि के ईंधन हैं।
वास्तव में जीवन में हम जो कुछ भी करते हैं उसके लिए कुछ उद्देश्य तय करने की जरूरत है। यहाँ तक कि बाजार जाने का भी कोई उद्देश्य तय होना चाहिए कि जैसे क्या लेने आप बाजार जा रहे हैं। क्या आप विन्डो शॉपिग या चाय-काफी के एक प्याले या फिर घरेलू सामान खरीदने जा रहे हैं?
यद्यपि संभव है कि व्यायाम के लक्ष्य से हम में से कई वाकिफ न हो पर इस व्यायाम का भी उद्देश्य शरीर को अधिकतम स्तर तक स्वस्थ रखना होता है। एक स्पष्ट रूप से परिभाषित लक्ष्य के अभाव में हम अपना समय यूँ ही बर्बाद करते हैं। जीवन में सफलता का आधार है यह सुस्पष्ट लक्ष्य। मगर पहले हमें यह पता होना चाहिए कि हम क्या चाहते हैं। दूसरे शब्दों में पहले हमें अपने काम को जानना चाहिए फिर उसे करना चाहिए। काम के प्रति सही नजरिया होना परमावश्यक है। सही मानसिकता के साथ काम करने पर सफलता निश्चित है जबकि इसके अभाव में मनुष्य के जीवन में कुछ भी, अच्छा प्राप्त कर पाना संभव नहीं है।
आपको सोचना है कि आप क्या कर सकते हैं और किस तरह आप कर सकते हैं। हमारी सफलता दिनों दिन किये जाने वाले छोटे बड़े प्रयासों की पूर्णाहुति है। सफलता पूर्वक लक्ष्य तक पहुंचना या नहीं पहुचना अंततः हमारे प्रयासों पर निर्भर करता है।
सफलता का कोई सार्वभौमिक सूत्र नहीं है परन्तु अपना समय बर्बाद कर दूसरों को खुश करना असफलता का मूल मंत्र जरूर है। लगन से मजबूत इच्छाशक्ति, आशा, तलब, लक्ष्य से भी सफलता संभव है।
किसी चीज की खोज फिर से करने से अच्छा है कि आप दूसरों की गलतियों से सीखें एवं उसे दूर करने के श्रेष्ठ उपाय करें न कि फालतू बातों में समय बर्बाद करें। किसी भी बुद्धिमान एवं जानकर व्यक्ति के साथ जुड़कर उसके गुणों, जानकारी आदि को सीखना एक अच्छी बात है।
रूडयार्ड किपलिंग ने कहा, ‘‘जब सभी आपको दोष दे रहे हों तब यदि आप शांत रहते हैं; जब सभी आप पर संदेह करें फिर भी आप अपने आप पर विश्वास कर सकें और संदेह को और बढ़ायें; यदि आप इन्तजार कर सकते हैं और इंतजार करते थकते नहीं; झूठ को झूठ से नहीं निपटते; या नफरत किये जाने पर नफरत नहीं करते; और फिर भी ज्यादा अच्छे नहीं दिखते न ही बुद्धिमानों की तरह ज्यादा बोलते हैं; यदि आप सोच सकते हैं और अपनी सोच को अपना लक्ष्य नहीं बनाते, यदि सफलता और असफलता का एक ही चीज के दो रूपों में देख सकते हैं। और अब क्या, तब आप एक मनुष्य हो, मेरे बच्चे।’’
2
एक साधे सब सधै
हम सबों का बात करने, काम करने एवं जीने का अपना तरीका होता है जिसमें हम
सहज रहते हैं। यही हमारा ‘कम्फर्ट जोन’ होता है। जीवन
में ऊँची जगह पर पहुँचने के लिए हमारे वर्तमान के ‘कम्फर्ट
जोन’ से बाहर निकलना होता है। मगर पहले अपने मन-मस्तिष्क में नई
आंकाक्षाओं की रूपरेखा तय कर लें। हमें अपनी परिस्थितियों एवं स्थिति को
बेहतर करने का प्रयास करते रहना चाहिए। हमारी जीने की क्षमता एवं कौशल इस
बात में निहित है कि हम समस्याओं और बाधाओं को खत्म करते जाते हैं न कि
पहले उन्हें बढ़ने दें फिर उसका समाधान करें।
हमें अपनी भावनाओं जैसे निराशा डर, गुस्सा एवं हताशा आदि के प्रति सावधान रहना चाहिए। ये भावनायें हमारे जीवन के हर क्षेत्र में खुद को दुःखी करने के लिए प्रस्तुत नहीं होनी चाहिए।
जब कभी आप ऐसी भावनाओं से गुजरें तो उसके श्रोत की खोज करें। जब भी संभव हो ऐसे श्रोतों से अपने आपको दूर रखें। आशावान लोगों के साथ जुड़ाव रखें। आशावान एवं प्रोत्साहित करने वाले शब्दकोष का प्रयोग करें ताकि अपने साथ-साथ औरों को भी उत्साहित कर सकें। दुःख के पलों को जरूर भूल जायें मगर उससे आप ने जो सीखा उसे कभी न भुलायें। उस बात के प्रति सदा सजग रहें कि क्या अच्छा है और क्या नहीं।
मायूस चेहरे से धन्यवाद करने एवं हाथ मिलाने से कहीं अच्छा है एक मुस्कान के साथ सर हिलाना। यह न केवल आपको उत्साहित करता है बल्कि आप जिन पर इसकी वर्षा करते हैं उनके प्रति आपकी प्रशंसा भी दर्शाना है। सबसे अच्छी बात है कि इस शारीरिक मुद्रा पर कोई मुद्रा खर्च नहीं होती है। यह आपको कई मित्र दिलायेगा। ‘धन्यवाद’ एवं ‘कृपया’ जैसे शब्दों के साथ एक मुस्कान इनके असर को कई गुना बढ़ा देते हैं।
हमें अपनी चेतना का अपने सहयोगी के रूप में उपयोग करना चाहिए, यहां हमें उस व्यक्ति की परिकल्पना को गढ़ना चाहिए जिनके जैसा हम बनना चाहते हैं। एक बड़ी उपलब्धि तक पहुँचने के लिए हमें रास्ते में आने वाले कई छोटे-छोटे लक्ष्यों को पूरा करते जाना चाहिए।
हमेशा अकेले में सोचना काफी नहीं है। इस पर अमल होना जरूरी है। वास्तव में हमारी सोच एक रूपरेखा तैयार करती है। मगर यह कर्म वह स्थान नहीं ले सकता जो कि लक्ष्य प्राप्ति के लिए जरूरी है। जीवन में किसी भी एक समय पर सभी कारक जो हम चाहते हैं वो उपलब्ध हो सकते हैं। हमेशा पैसा, आदमी, सामान या विशेषज्ञ आदि के रूप में कुछ न कुछ कमी जरूर रहेगी। मगर आवश्यकता इस बात की है कि हर अवसर को भुनाया जाये। जीवन में कुछ सम्मानजनक पाने के लिए अपने सपनों से जन्मी एक तीव्र ईच्छा की जरूरत होती है। एक तीव्र ईच्छा ही एक तीव्र प्रोत्साहन ला सकती है। ये तीव्र प्रोत्साहन ऐसी स्थिति में भी राह खोजे लेते हैं जब कोई राह नहीं होती है। यह खुद की बनाई सीमाओं को तोड़ देते है।
हमारे अंदर की इच्छा चीजों को आसानी से लेने की होती है। यह एक सच्चाई है कि लोग पैसा इस लिए कमाते हैं ताकि खूब पैसा कमाने के बाद जीवन आसान हो जाये। शायद यह सुनने में अच्छा न लगता हो पर यह सच है।
इसमें कोई बुराई नहीं कि हम ऐसे तकनीकी रास्ते चुनें जिनसे आसानी से ज्यादा से ज्यादा काम किये जा सकें। विज्ञान की सारी खोजें एवं आविष्कार इस दिशा में निर्देशित हैं कि किसी काम को कितनी जल्दी एवं आसानी से कर लिया जाये ताकि जीवन में आप जहां जाना चाहते हैं आपके लिए ज्यादा से ज्यादा समय उपलब्ध हो। मगर यह जो भी करें उस का लक्ष्य होना चाहिए। यह ज्यादा अच्छा होगा कि यह एक सोचा-समझा निर्णय हो। जब मैं सुबह टहलने जाता हूँ मेरा उद्देश्य स्वास्थ के लिहाज से शरीर को चुस्त तंदुरूस्त रखना होता है। जब मैं बाजार जाता हूँ तो मेरी सोच होती है कि घरेलू चीजें या नई चीजें खरीदूँ। कोई भी परिणाम कई निर्णयों की परिणती होती है। कई निर्णय हमे थोड़े समय के लिए प्रभावित करते हैं जबकि कइयों के फल दूरगामी होते हैं। इसलिए जो भी निर्णय लें वह सोच समझ कर जो लक्ष्य तक पहुचने में मददगार हो।
हमें अपनी भावनाओं जैसे निराशा डर, गुस्सा एवं हताशा आदि के प्रति सावधान रहना चाहिए। ये भावनायें हमारे जीवन के हर क्षेत्र में खुद को दुःखी करने के लिए प्रस्तुत नहीं होनी चाहिए।
जब कभी आप ऐसी भावनाओं से गुजरें तो उसके श्रोत की खोज करें। जब भी संभव हो ऐसे श्रोतों से अपने आपको दूर रखें। आशावान लोगों के साथ जुड़ाव रखें। आशावान एवं प्रोत्साहित करने वाले शब्दकोष का प्रयोग करें ताकि अपने साथ-साथ औरों को भी उत्साहित कर सकें। दुःख के पलों को जरूर भूल जायें मगर उससे आप ने जो सीखा उसे कभी न भुलायें। उस बात के प्रति सदा सजग रहें कि क्या अच्छा है और क्या नहीं।
मायूस चेहरे से धन्यवाद करने एवं हाथ मिलाने से कहीं अच्छा है एक मुस्कान के साथ सर हिलाना। यह न केवल आपको उत्साहित करता है बल्कि आप जिन पर इसकी वर्षा करते हैं उनके प्रति आपकी प्रशंसा भी दर्शाना है। सबसे अच्छी बात है कि इस शारीरिक मुद्रा पर कोई मुद्रा खर्च नहीं होती है। यह आपको कई मित्र दिलायेगा। ‘धन्यवाद’ एवं ‘कृपया’ जैसे शब्दों के साथ एक मुस्कान इनके असर को कई गुना बढ़ा देते हैं।
हमें अपनी चेतना का अपने सहयोगी के रूप में उपयोग करना चाहिए, यहां हमें उस व्यक्ति की परिकल्पना को गढ़ना चाहिए जिनके जैसा हम बनना चाहते हैं। एक बड़ी उपलब्धि तक पहुँचने के लिए हमें रास्ते में आने वाले कई छोटे-छोटे लक्ष्यों को पूरा करते जाना चाहिए।
हमेशा अकेले में सोचना काफी नहीं है। इस पर अमल होना जरूरी है। वास्तव में हमारी सोच एक रूपरेखा तैयार करती है। मगर यह कर्म वह स्थान नहीं ले सकता जो कि लक्ष्य प्राप्ति के लिए जरूरी है। जीवन में किसी भी एक समय पर सभी कारक जो हम चाहते हैं वो उपलब्ध हो सकते हैं। हमेशा पैसा, आदमी, सामान या विशेषज्ञ आदि के रूप में कुछ न कुछ कमी जरूर रहेगी। मगर आवश्यकता इस बात की है कि हर अवसर को भुनाया जाये। जीवन में कुछ सम्मानजनक पाने के लिए अपने सपनों से जन्मी एक तीव्र ईच्छा की जरूरत होती है। एक तीव्र ईच्छा ही एक तीव्र प्रोत्साहन ला सकती है। ये तीव्र प्रोत्साहन ऐसी स्थिति में भी राह खोजे लेते हैं जब कोई राह नहीं होती है। यह खुद की बनाई सीमाओं को तोड़ देते है।
हमारे अंदर की इच्छा चीजों को आसानी से लेने की होती है। यह एक सच्चाई है कि लोग पैसा इस लिए कमाते हैं ताकि खूब पैसा कमाने के बाद जीवन आसान हो जाये। शायद यह सुनने में अच्छा न लगता हो पर यह सच है।
इसमें कोई बुराई नहीं कि हम ऐसे तकनीकी रास्ते चुनें जिनसे आसानी से ज्यादा से ज्यादा काम किये जा सकें। विज्ञान की सारी खोजें एवं आविष्कार इस दिशा में निर्देशित हैं कि किसी काम को कितनी जल्दी एवं आसानी से कर लिया जाये ताकि जीवन में आप जहां जाना चाहते हैं आपके लिए ज्यादा से ज्यादा समय उपलब्ध हो। मगर यह जो भी करें उस का लक्ष्य होना चाहिए। यह ज्यादा अच्छा होगा कि यह एक सोचा-समझा निर्णय हो। जब मैं सुबह टहलने जाता हूँ मेरा उद्देश्य स्वास्थ के लिहाज से शरीर को चुस्त तंदुरूस्त रखना होता है। जब मैं बाजार जाता हूँ तो मेरी सोच होती है कि घरेलू चीजें या नई चीजें खरीदूँ। कोई भी परिणाम कई निर्णयों की परिणती होती है। कई निर्णय हमे थोड़े समय के लिए प्रभावित करते हैं जबकि कइयों के फल दूरगामी होते हैं। इसलिए जो भी निर्णय लें वह सोच समझ कर जो लक्ष्य तक पहुचने में मददगार हो।
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