संस्कृति >> क्यों क्योंकिसनलाल शर्मा
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हिंदू मान्यताओं और परंपराओं का सरल-सुगम विवेचन
ॐ मांगल्यं तन्तुनानेत
भर्तुर्जीवन हेतुना।
कण्ठे बध्नामि सुभगे
साजीव शरदः शतम्।।
भर्तुर्जीवन हेतुना।
कण्ठे बध्नामि सुभगे
साजीव शरदः शतम्।।
हे पतिव्रते! यह मंगलसूत्र मेरे कर्ता के जीवन का कारण है। इसलिए हे सुभगे! यह सूत्र मैं तुम्हारे गले में बांधता हूं। इससे तुम सौ वर्षों तक जीओ।
ॐ इमं अश्मानमारोह
अश्मेव त्वं स्थिराभव।
सहस्रपृतना
यतोऽभिनिष्ठ इतन्यतः।।
अश्मेव त्वं स्थिराभव।
सहस्रपृतना
यतोऽभिनिष्ठ इतन्यतः।।
हे वधू! तुम मन से अविचलित रहो। जो तुम्हारा अनहित करे, उसे अपने व्यवहार से वश में रखो। इस पाषाण पर आरूढ़ हो जाओ, और पाषाण की तरह दृढ़ बनी रहो।
कुंभ 12 वर्षों के बाद क्यों?
कलश स्थापना क्यों?
श्रावण माह में शिव पूजन क्यों?
शीतला को बासी भोजन क्यों?
मृतक दाह क्यों?
परिक्रमा क्यों?
कुश पवित्र क्यों?
अभिषेक क्यों?
पूजा के लिए दिशा-विचार क्यों?
सगोत्र विवाह क्यों नहीं?
नवरात्रि पूजन क्यों?
देवशयन क्यों?
चातुर्मास्य क्यों?
करवा चौथ पर चंद्रपूजन क्यों?
कलश स्थापना क्यों?
श्रावण माह में शिव पूजन क्यों?
शीतला को बासी भोजन क्यों?
मृतक दाह क्यों?
परिक्रमा क्यों?
कुश पवित्र क्यों?
अभिषेक क्यों?
पूजा के लिए दिशा-विचार क्यों?
सगोत्र विवाह क्यों नहीं?
नवरात्रि पूजन क्यों?
देवशयन क्यों?
चातुर्मास्य क्यों?
करवा चौथ पर चंद्रपूजन क्यों?
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