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उपन्यास >> बंधन

बंधन

मनोज सिंह

प्रकाशक : राजकमल प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2011
पृष्ठ :268
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 8122
आईएसबीएन :9788126717767

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बंधन...

Bandhan - A Hindi book by - Manoj Singh

प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश

पारिवारिक विघटन, अकेलापन, आधुनिक जीवन की चुनौतियाँ और अनवरत तनाव – वर्तमान जीवन के ही घटक आज हमारी मनोरचना का निर्माण करते हैं, जिनका स्वाभाविक नतीजा होता है विभिन्न मनोविकारों का जन्म और दिन-प्रतिदिन मनोरोगों और मनोरोगियों की संख्या में बढ़ोत्तरी। समाज का सामूहिक अनुभव प्रमाण है कि मनोरोग अन्य किसी भी रोग से न सिर्फ ज्यादा गम्भीर होते हैं, बल्कि पीड़ादायक भी।

मनोरोगी स्वयं तो उस अवस्था में होता है कि उसे अपनी पीड़ा का अनुभव नहीं होता, उसकी पीड़ा दरअसल उन लोगों के हिस्से में आ जाती है जो उसके आसपास रहते हैं, उसके सम्बन्धी, रिश्तेदार, मित्र-परिजन। उन्हें न सिर्फ उसकी परिचर्या और उपचार आदि के लिए अपने सुख-चैन की बलि देनी पड़ती है, बल्कि उस सामाजिक लांछन को भी झेलना पड़ता है जो हमारे समाज में मनोरोगों के साथ जुड़ा हुआ है।

यह उपन्यास मनोरोग और उसके सामाजिक, वैयक्तिक पहलुओं का अन्वेषण करते हुए स्नेह और प्रेम के उस बन्धन को रेखांकित करता है जो भारतीय समाज के ताने-बाने का आधार है। यही वह तत्त्व है जिसके चलते भारत में मनोरोगियों को परिवार का अंग बनाकर रखने की परम्परा चली आई है और जो विदेशों में देखने को नहीं मिलती।

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