कहानी संग्रह >> मुबारक पहला कदम मुबारक पहला कदमराजेन्द्र यादव और संजीव
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‘हंस’ पत्रिका में प्रकाशित कथाकारों की पहली कहानियों का संचयन
Mubhrak Pahla Kadam by Rajendra Yadav and Sanjeev
प्रस्तुत है पुस्तक के कुछ अंश
पहली नजर, पहली प्रीति, पहली कृति... गरज कि किसी भी चीज का पहला होना! कितना आह्लादकारी होता है इस पहले का अनुभव करना! यह अहसास अपने लिए तो रोमांचकारी होता ही है, औरों के लिए भी कम रोमांचक नहीं होता। कथा साहित्य मे पहली कहानी अपने आप में सृजन-संसार के टटकेपन के इसी सुखद अहसास को समोये रहती है। आगे चलकर उस कथाकार के विकास के ग्राफ को जानने के लिए भी परिमापन इसी बिंदु से होता है। इसीलिए कथाकारों के बारे में अक्सर पूछा जाता है कि कौन थी उनकी पहली कहानी, कहाँ प्रकाशित हुई थी और कब?
‘हंस’ में प्रकाशित कथाकारों की पहली कहानियों का यह संचयन इन प्रश्नों का एक विनम्र उत्तर है। यह संचयन इस लिहाज से भी महत्त्वपूर्ण है कि इसमें जिन कहानीकारों की कहानियाँ संकलित हैं, उनमें से अधिसंख्य ने बाद में अपनी बुलंदी के झंडे गाड़े।
‘हंस’ में प्रकाशित कथाकारों की पहली कहानियों का यह संचयन इन प्रश्नों का एक विनम्र उत्तर है। यह संचयन इस लिहाज से भी महत्त्वपूर्ण है कि इसमें जिन कहानीकारों की कहानियाँ संकलित हैं, उनमें से अधिसंख्य ने बाद में अपनी बुलंदी के झंडे गाड़े।
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