लेख-निबंध >> प्रभास पर्व प्रभास पर्वसुरेश शर्मा
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प्रभास जोशी पर अब तक लिखे गए महत्त्वपूर्ण लेखों का प्रतिनिधि संग्रह
प्रस्तुत है पुस्तक के कुछ अंश
‘प्रभास पर्व’ पुस्तक प्रभास जोशी पर अब तक लिखे गए महत्त्वपूर्ण लेखों का प्रतिनिधि संग्रह है। इसमें उनके समकालीन और बाद की पीढ़ी के पत्रकारों, लेखकों तथा नागरिक अधिकारों के लिए संघर्ष करने वाले लोगों ने उनका मूल्यांकन किया है। उनको लेकर संस्मरण लिखे हैं।
इन लेखों में अपने समय और समाज के साथ प्रभाष जोशी का रचनात्मक रिश्ता विस्तार से परिभाषित हुआ है। समकालीन राजनैतिक और सामाजिक समस्याओं को लेकर उनके विचार और सक्रियता को नए सिरे से समझने की कोशिश की गई है। इसीलिए यह पुस्तक प्रभाष जोशी की जिन्दगी के साथ ही उनके समय का दस्तावेज है। पुस्तक के अध्याय है : ‘धर्मक्षेत्रे कुरुक्षेत्रे’, ‘पत्रकारिता की नई जमीन’, ‘जनसत्ता की दुनिया’, ‘करीब से प्रभाष जोशी’ तथा ‘प्रभाष जोशी के घर में’। इन्हीं के तहत विभिन्न कोणों से प्रभाष जी की भीतरी-बाहरी दुनिया को बारीकी से समझने की कोशिश की गई है।
पुस्तक के अन्त में प्रभाष जी के कुछ व्याख्यान भी दिए गए हैं जो सुव्यवस्थित ढंग से कहीं प्रकाशित नहीं हुए हैं। ‘नई दुनिया’ में 50 साल पहले प्रकाशित उनकी दो कविताएँ और कहानियाँ भी दी गई हैं। इन कहानियों में प्रभाष जोशी के श्रेष्ठ कथाकार व्यक्तित्व के दर्शन होते हैं। पत्रकारिता की व्यस्तताओं के बीच वे ज्यादा कहानियाँ नहीं लिख पाए। उनकी कविताओं में नैराश्य के साथ जीवन-संकल्प है। गीतात्मकता का अनुगूँज है। यह पुस्तक पत्रकार प्रभाष जोशी की समाज-सम्बद्ध, मानवीय और संवेदनात्मक दुनिया में प्रवेश का पारपत्र है।
इन लेखों में अपने समय और समाज के साथ प्रभाष जोशी का रचनात्मक रिश्ता विस्तार से परिभाषित हुआ है। समकालीन राजनैतिक और सामाजिक समस्याओं को लेकर उनके विचार और सक्रियता को नए सिरे से समझने की कोशिश की गई है। इसीलिए यह पुस्तक प्रभाष जोशी की जिन्दगी के साथ ही उनके समय का दस्तावेज है। पुस्तक के अध्याय है : ‘धर्मक्षेत्रे कुरुक्षेत्रे’, ‘पत्रकारिता की नई जमीन’, ‘जनसत्ता की दुनिया’, ‘करीब से प्रभाष जोशी’ तथा ‘प्रभाष जोशी के घर में’। इन्हीं के तहत विभिन्न कोणों से प्रभाष जी की भीतरी-बाहरी दुनिया को बारीकी से समझने की कोशिश की गई है।
पुस्तक के अन्त में प्रभाष जी के कुछ व्याख्यान भी दिए गए हैं जो सुव्यवस्थित ढंग से कहीं प्रकाशित नहीं हुए हैं। ‘नई दुनिया’ में 50 साल पहले प्रकाशित उनकी दो कविताएँ और कहानियाँ भी दी गई हैं। इन कहानियों में प्रभाष जोशी के श्रेष्ठ कथाकार व्यक्तित्व के दर्शन होते हैं। पत्रकारिता की व्यस्तताओं के बीच वे ज्यादा कहानियाँ नहीं लिख पाए। उनकी कविताओं में नैराश्य के साथ जीवन-संकल्प है। गीतात्मकता का अनुगूँज है। यह पुस्तक पत्रकार प्रभाष जोशी की समाज-सम्बद्ध, मानवीय और संवेदनात्मक दुनिया में प्रवेश का पारपत्र है।
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