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पच्चीस बरस पच्चीस कहानियां

राजेन्द्र यादव, अर्चना वर्मा

प्रकाशक : राजकमल प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2011
पृष्ठ :376
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 8168
आईएसबीएन :9788126721160

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पच्चीस साल। एक सदी का चौथाई हिस्सा। हर साल में बारह अंक। हर अंक में औसतन छः या सात कहानियां।

Pachchees Baras Pachchees Kahaniyan by Rajendra yadav and Archana Verma

पच्चीस साल। एक सदी का चौथाई हिस्सा। हर साल में बारह अंक। हर अंक में औसतन छः या सात कहानियां।

मानकर चलें कि ‘हंस’ में छपने के लिए चुने जाने का मतलब ही किसी भी कहानी के लिए संकलन योग्य होना ही है और कायदे से बारह-पंद्रह कहानियों का एक सालाना संकलन हर बरस छापा जा सकता है।

कुल मिलाकर तकरीबन 2100 कहानियों में से बार-बार के सोच-विचार के बाद 136 कहानियां सूचीबद्ध की गईं।

‘हंस’ के भीतर से साथियों के सुझाव भी तरह-तरह के थे। पाठकों की वोटिंग से, सुधी पाठकों या लेखकों के अपने अनुरोध की रक्षा से, एक चयन-समिति की नियुक्ति और सम्मिलित चयन से, वगैरह। लेकिन ये सभी चुनाव एक निश्चित परियोजना की बजाय यादृच्छिक किस्म का घालमेल ही बनकर रह जा सकते थे।

यहां अनुसूचित लगभग हर कहानी अपने आप में एक प्रतिमान कही जा सकती है।

 

-भूमिका से


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