श्रंगार - प्रेम >> पेन्टर की प्रेम कहानी पेन्टर की प्रेम कहानीआर. के. नारायण
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साहित्य अकादमी द्वारा पुरस्कृत लेखक आर. के. नारायण की ‘The Painter of Signs’ का हिन्दी अनुवाद
प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश
‘पेन्टर की प्रेम कहानी’ आर. के. नारायण के चहेते काल्पनिक शहर ‘मालगुड़ी’ पर आधारित है। यह कहानी पेन्टर रमन की है, जो विभिन्न प्रकार के विज्ञापन साइन बोर्ड पेन्ट कर अपना गुज़ारा करता है और एक दिन उसकी ज़िंदगी में आती है डेज़ी जो परिवार नियोजन क्लिनिक चलाती है और रमन से परिवार नियोजन को प्रोत्साहन देने वाला साइन बोर्ड बनाने के लिए कहती है। रमन एक तरफ तो डेज़ी के सौन्दर्य के मायाजाल में अपने को फंसता पाता है और दूसरी तरफ उसके काम करने के स्वतंत्र स्वभाव से कुछ हिचकिचाता भी है। डेज़ी और रमन एक दूसरे से बिल्कुल अलग हैं तब भी एक दूसरे की तरफ़ आकर्षित हैं।
‘पेन्टर की प्रेम-कहानी’ एक-दूसरे से बिल्कुल अलग दो किरदारों की रोचक कथा है, जिसमें मनोरंजन, व्यंग्य और प्रेम का आर. के. नारायण की अपनी शैली में विशेष मिश्रण है।
आर. के. नारायन भारत के पहले ऐसे लेखक थे जिनके अंग्रेजी लेखन को विश्व-भर में प्रसिद्धि मिली। अपनी रचनाओं के लिए रोचक कथानक चुनने और फिर उसे शालीन हास्य में पिरोने के कारण वे पुस्तक-प्रेमियों के पसंदीदा लेखक बन गए हैं।
10 अक्टूबर 1906 को जन्मे आर. के. नारायण ने पंद्रह उपन्यास, पाँच लघु-कथा संग्रह, यात्रा-वृत्तांत आदि लिखे। 1960 में उन्हें उनके उपन्यास ‘गाइड’ के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। ‘मालगुड़ी की कहानियाँ’, ‘स्वामी और उसके दोस्त’, ‘डार्क रूम’, ‘नागराज की दुनिया’ और ‘इंग्लिश टीचर’ उनकी जानी मानी कृतियाँ हैं। पचानवे बरस तक पाठकों को अपनी रचनाओं से गुदगुदाने के बाद 13 मई 2001 को उनकी मृत्यु हो गई और उनकी कलम हमेशा के लिए थम गई, लेकिन मालगुड़ी और उसकी कहानियां आज भी लोगों के दिलों में जिंदा है।
‘पेन्टर की प्रेम-कहानी’ एक-दूसरे से बिल्कुल अलग दो किरदारों की रोचक कथा है, जिसमें मनोरंजन, व्यंग्य और प्रेम का आर. के. नारायण की अपनी शैली में विशेष मिश्रण है।
आर. के. नारायन भारत के पहले ऐसे लेखक थे जिनके अंग्रेजी लेखन को विश्व-भर में प्रसिद्धि मिली। अपनी रचनाओं के लिए रोचक कथानक चुनने और फिर उसे शालीन हास्य में पिरोने के कारण वे पुस्तक-प्रेमियों के पसंदीदा लेखक बन गए हैं।
10 अक्टूबर 1906 को जन्मे आर. के. नारायण ने पंद्रह उपन्यास, पाँच लघु-कथा संग्रह, यात्रा-वृत्तांत आदि लिखे। 1960 में उन्हें उनके उपन्यास ‘गाइड’ के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। ‘मालगुड़ी की कहानियाँ’, ‘स्वामी और उसके दोस्त’, ‘डार्क रूम’, ‘नागराज की दुनिया’ और ‘इंग्लिश टीचर’ उनकी जानी मानी कृतियाँ हैं। पचानवे बरस तक पाठकों को अपनी रचनाओं से गुदगुदाने के बाद 13 मई 2001 को उनकी मृत्यु हो गई और उनकी कलम हमेशा के लिए थम गई, लेकिन मालगुड़ी और उसकी कहानियां आज भी लोगों के दिलों में जिंदा है।
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