व्यवहारिक मार्गदर्शिका >> लक्ष्य लक्ष्यब्रायन ट्रेसी
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उम्मीद से पहले पाएँ हर मनचाही चीज़...
प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश
कुछ व्यक्ति अपने सभी लक्ष्य क्यों हासिल कर लेते हैं,
जबकि बाक़ी लोग बेहतर ज़िंदगी के सिर्फ़ सपने देखते रह जाते हैं?
बेस्टसेलिंग लेखन ब्रायन ट्रेसी आपके सपनों को साकार करने का ऐसा रास्ता
दिखाते हैं, जिस पर चलकर लाखों लोगों ने शून्य से शुरू करके महान सफलता
हासिल की है। इस पुस्तक में ट्रेसी वे अनिवार्य सिद्धांत बताते हैं, जिनकी
मदद से आप भी अपने सपने साकार कर सकते हैं।
लक्ष्य कैसे तय करें और उन्हें हासिल कैसे करें? ट्रेसी इसका एक सरल, सशक्त और असरदार तरीक़ा बताते हैं, जिसका प्रयोग करके दस लाख से ज़्यादा लोगों ने असाधारण परिणाम पाए हैं।
ट्रेसी के बताए इक्कीस सिद्धांतों पर चलकर आप किसी भी लक्ष्य को हासिल कर सकते है–चाहे वह कितना ही बड़ा क्यों न हो। इसके अलावा इससे आप यह भी सीखेंगे कि अपनी व्यक्तिगत शक्तियों को कैसे पहचानें, आपके जीवन में सबसे मूल्यवान क्या है और भविष्य में अपनी मनचाही उपलब्धियाँ हासिल करने के लिए ध्यान कैसे केंद्रित करें। ट्रेसी बताते हैं कि आप अपना आत्मविश्वास कैसे बढ़ा सकते हैं, राह में आने वाली हर समस्या या बाधा को कैसे सुलझा सकते हैं मुश्किलों से कैसे उबर सकते हैं, चुनौतियों से कैसे निबट सकते हैं और हर लक्ष्य को हासिल कैसे कर सकते हैं। सबसे महत्त्वपूर्ण बात यह है कि इस पुस्तक में आप सफलता का एक आजमाया हुआ सिस्टम सीखेंगे, जिसका प्रयोग आप ज़िंदगी भर कर सकते हैं।
ब्रायन ट्रेसी दुनिया के शीर्षस्थ मैनेजमेंट परामर्शदाता, प्रशिक्षक और वक्ताओं में से एक हैं। इस पुस्तक में बताई गई विधियों का प्रयोग करके वे शून्य से शिखर पर पहुँचे हैं। वे हर साल दुनिया भर में 2,50.000 से ज़्यादा लोगों को संबोधित करते है। ट्रेसी परामर्शदाता और प्रशिक्षक के रूप में 1,000 से ज़्यादा कॉरपोरेशन्स को अपनी सेवाएँ दे चुके हैं, जिनमें आईबीएम, फ़ोर्ड, जेरॉक्स, एचपी और फ़ेडरल एक्सप्रेस शामिल हैं। उन्होंने 35 पुस्तकें लिखी हैं और 300 से ज़्यादा ऑडियो-वीडियो प्रोग्राम्स तैयार किए हैं।
लक्ष्य कैसे तय करें और उन्हें हासिल कैसे करें? ट्रेसी इसका एक सरल, सशक्त और असरदार तरीक़ा बताते हैं, जिसका प्रयोग करके दस लाख से ज़्यादा लोगों ने असाधारण परिणाम पाए हैं।
ट्रेसी के बताए इक्कीस सिद्धांतों पर चलकर आप किसी भी लक्ष्य को हासिल कर सकते है–चाहे वह कितना ही बड़ा क्यों न हो। इसके अलावा इससे आप यह भी सीखेंगे कि अपनी व्यक्तिगत शक्तियों को कैसे पहचानें, आपके जीवन में सबसे मूल्यवान क्या है और भविष्य में अपनी मनचाही उपलब्धियाँ हासिल करने के लिए ध्यान कैसे केंद्रित करें। ट्रेसी बताते हैं कि आप अपना आत्मविश्वास कैसे बढ़ा सकते हैं, राह में आने वाली हर समस्या या बाधा को कैसे सुलझा सकते हैं मुश्किलों से कैसे उबर सकते हैं, चुनौतियों से कैसे निबट सकते हैं और हर लक्ष्य को हासिल कैसे कर सकते हैं। सबसे महत्त्वपूर्ण बात यह है कि इस पुस्तक में आप सफलता का एक आजमाया हुआ सिस्टम सीखेंगे, जिसका प्रयोग आप ज़िंदगी भर कर सकते हैं।
ब्रायन ट्रेसी दुनिया के शीर्षस्थ मैनेजमेंट परामर्शदाता, प्रशिक्षक और वक्ताओं में से एक हैं। इस पुस्तक में बताई गई विधियों का प्रयोग करके वे शून्य से शिखर पर पहुँचे हैं। वे हर साल दुनिया भर में 2,50.000 से ज़्यादा लोगों को संबोधित करते है। ट्रेसी परामर्शदाता और प्रशिक्षक के रूप में 1,000 से ज़्यादा कॉरपोरेशन्स को अपनी सेवाएँ दे चुके हैं, जिनमें आईबीएम, फ़ोर्ड, जेरॉक्स, एचपी और फ़ेडरल एक्सप्रेस शामिल हैं। उन्होंने 35 पुस्तकें लिखी हैं और 300 से ज़्यादा ऑडियो-वीडियो प्रोग्राम्स तैयार किए हैं।
1
अपनी संभावना का ताला खोलें
आम इंसान की संभावना उस महासागर की तरह है,
जिसमें यात्रा
नहीं की गई है, उस नए महाद्वीप की तरह है, जिसे खोजा नहीं गया है।
संभावनाओं की पूरी दुनिया मुक्त होने और महान काम करने के लिए मार्गदर्शन
का इंतज़ार कर रही है।
–ब्रायन ट्रेसी
सफलता का मतलब लक्ष्य है और बाक़ी सारी
चीज़ें कमेंट्री
हैं। सभी सफल लोग पूरी तरह लक्ष्य केंद्रित होते हैं। वे जानते हैं कि वे
क्या चाहते हैं और उसे हासिल करने के लिए वे हर दिन अपना पूरा ध्यान
केंद्रित करते हैं।
लक्ष्य तय करने की आपकी क्षमता ही सफलता की सबसे प्रमुख योग्यता है। लक्ष्य आपके सकारात्मक मस्तिष्क का ताला खोलते हैं और मंज़िल तक पहुँचाने वाले मददग़ार विचारों तथा ऊर्जा को मुक्त करते हैं। लक्ष्यों के बिना आप बस ज़िंदगी की लहरों पर डूबते-उतराते रहते हैं, जबकि लक्ष्य होने पर आप तीर की तरह उड़कर सीधे निशाने पर पहुँच जाते हैं।
सच तो यह है कि आपमें इतनी ज़्यादा नैसर्गिक संभावना है कि उसका पूरा इस्तेमाल करने के लिए आपको शायद सौ से ज़्यादा बार जन्म लेना पड़ेगा। आपने अब तक जो भी हासिल किया है, वह आपकी सच्ची संभावना का सिर्फ़ एक छोटा सा अंश है। सफलता का एक नियम यह है : इससे कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता कि आप कहाँ से आ रहे हैं; फ़र्क़ तो इस बात से पड़ता है कि आप कहाँ जा रहे हैं। और आप कहाँ जा रहे हैं, यह सिर्फ़ आप और आपके विचार ही तय करते हैं।
स्पष्ट लक्ष्य होने पर आपका आत्मविश्वास बढ़ता है, आपकी क्षमता का विकास होता है और आपकी प्रेरणा का स्तर ऊँचा होता है। जैसा कि सेल्स प्रशिक्षक टॉम हॉपकिन्स कहते हैं, ‘‘लक्ष्य उपलब्धि की अँगीठी का ईंधन हैं।’’
लक्ष्य तय करने की आपकी क्षमता ही सफलता की सबसे प्रमुख योग्यता है। लक्ष्य आपके सकारात्मक मस्तिष्क का ताला खोलते हैं और मंज़िल तक पहुँचाने वाले मददग़ार विचारों तथा ऊर्जा को मुक्त करते हैं। लक्ष्यों के बिना आप बस ज़िंदगी की लहरों पर डूबते-उतराते रहते हैं, जबकि लक्ष्य होने पर आप तीर की तरह उड़कर सीधे निशाने पर पहुँच जाते हैं।
सच तो यह है कि आपमें इतनी ज़्यादा नैसर्गिक संभावना है कि उसका पूरा इस्तेमाल करने के लिए आपको शायद सौ से ज़्यादा बार जन्म लेना पड़ेगा। आपने अब तक जो भी हासिल किया है, वह आपकी सच्ची संभावना का सिर्फ़ एक छोटा सा अंश है। सफलता का एक नियम यह है : इससे कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता कि आप कहाँ से आ रहे हैं; फ़र्क़ तो इस बात से पड़ता है कि आप कहाँ जा रहे हैं। और आप कहाँ जा रहे हैं, यह सिर्फ़ आप और आपके विचार ही तय करते हैं।
स्पष्ट लक्ष्य होने पर आपका आत्मविश्वास बढ़ता है, आपकी क्षमता का विकास होता है और आपकी प्रेरणा का स्तर ऊँचा होता है। जैसा कि सेल्स प्रशिक्षक टॉम हॉपकिन्स कहते हैं, ‘‘लक्ष्य उपलब्धि की अँगीठी का ईंधन हैं।’’
आप अपना खुद का संसार रचते हैं
शायद मानव इतिहास की महानतम खोज यह है कि
आपके मस्तिष्क
में आपके जीवन के लगभग हर पहलू का निर्माण करने की शक्ति होती है। मानव
निर्मित जगत में आप अपने चारों ओर जो भी चीज़ देखते हैं, वह किसी इंसान के
दिमाग़ में एक विचार के रूप में आई थी और उसके बाद ही भौतिक जगत् में
साकार हुई। आपके जीवन की हर चीज़ किसी विचार, इच्छा, आशा या सपने के रूप
में शुरू हुई थी–या तो आपके दिमाग़ में या फिर किसी और के
दिमाग़
में। आपके विचार रचनात्मक होते हैं। वे आपकी दुनिया और आपके साथ होने वाली
हर चीज़ को आकार देते हैं।
सभी धर्मों, सभी दर्शनों, मेटाफ़िज़िक्स, मनोविज्ञान और सफलता का महान सार यह है : आप जिसके बारे में ज़्यादातर वक़्त सोचते हैं, वही बन जाते हैं। आपका बाहरी जगत अंततः आपके आंतरिक जगत का प्रतिबिंब बन जाता है। आपको वही प्रतिबिंब दिखता है, जिसके बारे में आप ज़्यादातर समय सोचते हैं। आप जिसके बारे में भी सोचते हैं, वह लगातार आपकी ज़िंदगी में प्रकट होता है।
कई हज़ार सफल लोगों से पूछा गया कि वे ज़्यादातर समय किस चीज़ के बारे में सोचते हैं। सफल लोगों का सबसे आम जवाब यह था कि वे ज़्यादातर वक़्त अपनी मनचाही चीज़ और उसे पाने के बारे में सोचते हैं।
असफल और दुखी लोग ज़्यादातर वक्त अनचाही चीज़ों के बारे में सोचते और बातें करते हैं। वे अपनी समस्याओं और चिंताओं के बारे में बातचीत करते हैं तथा ज़्यादातर समय दूसरों को दोष देते रहते हैं। लेकिन सफल लोग अपने विचारों और बातों को अपने सबसे प्रबल इच्छित लक्ष्यों पर केंद्रित रखते हैं। वे ज़्यादातर वक़्त उस चीज़ के बारे में सोचते और बातें करते हैं, जिसे वे पाना चाहते हैं।
स्पष्ट लक्ष्यों के बिना जीना घने कोहरे में कार चलाने जैसा है। चाहे आपकी कार कितनी ही दमदार हो, चाहे इंजीनियरिंग कितनी ही बेहतरीन हो, आप धीमे-धीमे, झिझकते हुए कार चलाएँगे और बढ़िया से बढ़िया सड़क पर भी गति नहीं पकड़ पाएँगे। लक्ष्य स्पष्ट करने से कोहरा तत्काल छँट जाता है और आपको अपनी योग्यताओं तथा ऊर्जाओं पर ध्यान केंद्रित करने और उनका इस्तेमाल करने का मौक़ा मिल जाता है। स्पष्ट लक्ष्य आपको यह सामर्थ्य देते हैं कि आप अपनी ज़िंदगी के एक्सीलरेटर को दबा दें और उस सफलता की ओर तेज़ी से बढ़ें, जिसे आप वाक़ई हासिल करना चाहते हैं।
सभी धर्मों, सभी दर्शनों, मेटाफ़िज़िक्स, मनोविज्ञान और सफलता का महान सार यह है : आप जिसके बारे में ज़्यादातर वक़्त सोचते हैं, वही बन जाते हैं। आपका बाहरी जगत अंततः आपके आंतरिक जगत का प्रतिबिंब बन जाता है। आपको वही प्रतिबिंब दिखता है, जिसके बारे में आप ज़्यादातर समय सोचते हैं। आप जिसके बारे में भी सोचते हैं, वह लगातार आपकी ज़िंदगी में प्रकट होता है।
कई हज़ार सफल लोगों से पूछा गया कि वे ज़्यादातर समय किस चीज़ के बारे में सोचते हैं। सफल लोगों का सबसे आम जवाब यह था कि वे ज़्यादातर वक़्त अपनी मनचाही चीज़ और उसे पाने के बारे में सोचते हैं।
असफल और दुखी लोग ज़्यादातर वक्त अनचाही चीज़ों के बारे में सोचते और बातें करते हैं। वे अपनी समस्याओं और चिंताओं के बारे में बातचीत करते हैं तथा ज़्यादातर समय दूसरों को दोष देते रहते हैं। लेकिन सफल लोग अपने विचारों और बातों को अपने सबसे प्रबल इच्छित लक्ष्यों पर केंद्रित रखते हैं। वे ज़्यादातर वक़्त उस चीज़ के बारे में सोचते और बातें करते हैं, जिसे वे पाना चाहते हैं।
स्पष्ट लक्ष्यों के बिना जीना घने कोहरे में कार चलाने जैसा है। चाहे आपकी कार कितनी ही दमदार हो, चाहे इंजीनियरिंग कितनी ही बेहतरीन हो, आप धीमे-धीमे, झिझकते हुए कार चलाएँगे और बढ़िया से बढ़िया सड़क पर भी गति नहीं पकड़ पाएँगे। लक्ष्य स्पष्ट करने से कोहरा तत्काल छँट जाता है और आपको अपनी योग्यताओं तथा ऊर्जाओं पर ध्यान केंद्रित करने और उनका इस्तेमाल करने का मौक़ा मिल जाता है। स्पष्ट लक्ष्य आपको यह सामर्थ्य देते हैं कि आप अपनी ज़िंदगी के एक्सीलरेटर को दबा दें और उस सफलता की ओर तेज़ी से बढ़ें, जिसे आप वाक़ई हासिल करना चाहते हैं।
आपका स्वचालित लक्ष्य-केंद्रित कार्य
इस प्रयोग के बारे में सोचें : आप एक
पत्रवाहक कबूतर
(homing pigeon) को उसके बसेरे से बाहर निकालकर एक पिंजरे में रखते हैं,
उस पिंजरे पर कंबल ढँककर एक बक्से में पैक कर देते हैं और फिर उस बक्से को
एक बंद ट्रक में रख देते हैं। आप किसी भी दिशा में हज़ार मील दूर चले जाएँ
और इसके बाद अपना ट्रक खोलें, बक्सा बाहर निकालें, कंबल हटाएँ और कबूतर को
पिंजरे से बाहर निकाल दें। वह फौरन हवा में उड़ जाएगा, तीन चक्कर लगाएगा
और फिर बिना किसी ग़लती के एक हज़ार मील दूर स्थित अपने बसेरे की तरफ़ चल
देगा। दुनिया के किसी भी अन्य प्राणी के पास यह अविश्वसनीय साइबरनेटिक,
लक्ष्य-केंद्रित हुनर नहीं होता है–सिवाय इंसान के।
आपमें भी लक्ष्य हासिल करने की वही योग्यता है, जो पत्रवाहक कबूतर में हैं। दरअसल, आपमें एक और अद्भूत चीज़ है। जब आपका लक्ष्य बिलकुल स्पष्ट होता है, तो आपको तो यह पता करने की भी ज़रूरत नहीं है कि यह कहाँ है या इसे कैसे हासिल करना है। आप ठीक-ठीक क्या पाना चाहते हैं, बस इतना फ़ैसला भर कर लेने से ही आप बिना किसी ग़लती के अपने लक्ष्य की ओर बढ़ने लगेंगे और आपका लक्ष्य बिना किसी ग़लती के आपकी ओर बढ़ने लगेगा। बिलकुल सही समय और जगह पर आप और आपका लक्ष्य एक-दूसरे से मिल जाएँगे।
आपके मस्तिष्क की गहराई में स्थित इस अविश्वसनीय साइबरनेटिक मेकेनिज़्म की वजह से आप लगभग हमेशा अपने लक्ष्य हासिल कर लेते हैं, चाहे वे जो भी हों। अगर आपका लक्ष्य रात को घर आकर टीवी देखना है, तो आप लगभग हमेशा इसे पा लेंगे। अगर आपका लक्ष्य सेहत, ख़ुशी और दौलत से भरी अद्भुत ज़िंदगी जीना हो, तो आप इसे भी पा लेंगे। ठीक कंप्यूटर की तरह ही आपका लक्ष्य खोजने वाला मेकेनिज़्म भी अपनी तरफ़ से कोई निर्णय नहीं लेता। यह स्वचालित होता है और आपकी मनचाही चीज़ को लगातार आपकी ओर लाता है, चाहे वह जो भी हो।
प्रकृति आपके लक्ष्यों के आकार के बारे में परवाह नहीं करती। अगर आप छोटे लक्ष्य तय करते हैं, तो आपका स्वचालित लक्ष्य-प्राप्ति तंत्र आपको छोटे लक्ष्य हासिल करने में समर्थ बनाएगा। अगर आप बड़े लक्ष्य तय करते हैं, तो यह नैसर्गिक क्षमता आपको बड़े लक्ष्य हासिल करने में समर्थ बनाएगी। आपके लक्ष्यों का आकार, प्रकार और विवरण पूरी तरह आप पर निर्भर करता है। इसलिए यह महत्वपूर्ण है कि आप ज़्यादातर वक़्त किस चीज़ के बारे में सोचने का चुनाव करते हैं।
आपमें भी लक्ष्य हासिल करने की वही योग्यता है, जो पत्रवाहक कबूतर में हैं। दरअसल, आपमें एक और अद्भूत चीज़ है। जब आपका लक्ष्य बिलकुल स्पष्ट होता है, तो आपको तो यह पता करने की भी ज़रूरत नहीं है कि यह कहाँ है या इसे कैसे हासिल करना है। आप ठीक-ठीक क्या पाना चाहते हैं, बस इतना फ़ैसला भर कर लेने से ही आप बिना किसी ग़लती के अपने लक्ष्य की ओर बढ़ने लगेंगे और आपका लक्ष्य बिना किसी ग़लती के आपकी ओर बढ़ने लगेगा। बिलकुल सही समय और जगह पर आप और आपका लक्ष्य एक-दूसरे से मिल जाएँगे।
आपके मस्तिष्क की गहराई में स्थित इस अविश्वसनीय साइबरनेटिक मेकेनिज़्म की वजह से आप लगभग हमेशा अपने लक्ष्य हासिल कर लेते हैं, चाहे वे जो भी हों। अगर आपका लक्ष्य रात को घर आकर टीवी देखना है, तो आप लगभग हमेशा इसे पा लेंगे। अगर आपका लक्ष्य सेहत, ख़ुशी और दौलत से भरी अद्भुत ज़िंदगी जीना हो, तो आप इसे भी पा लेंगे। ठीक कंप्यूटर की तरह ही आपका लक्ष्य खोजने वाला मेकेनिज़्म भी अपनी तरफ़ से कोई निर्णय नहीं लेता। यह स्वचालित होता है और आपकी मनचाही चीज़ को लगातार आपकी ओर लाता है, चाहे वह जो भी हो।
प्रकृति आपके लक्ष्यों के आकार के बारे में परवाह नहीं करती। अगर आप छोटे लक्ष्य तय करते हैं, तो आपका स्वचालित लक्ष्य-प्राप्ति तंत्र आपको छोटे लक्ष्य हासिल करने में समर्थ बनाएगा। अगर आप बड़े लक्ष्य तय करते हैं, तो यह नैसर्गिक क्षमता आपको बड़े लक्ष्य हासिल करने में समर्थ बनाएगी। आपके लक्ष्यों का आकार, प्रकार और विवरण पूरी तरह आप पर निर्भर करता है। इसलिए यह महत्वपूर्ण है कि आप ज़्यादातर वक़्त किस चीज़ के बारे में सोचने का चुनाव करते हैं।
लोग लक्ष्य तय क्यों नहीं करते
वह एक अच्छा सवाल है : अगर लक्ष्य खोजना
स्वचालित है, तो
फिर इतने कम लोगों के पास स्पष्ट, लिखित, नापने योग्य, समयबद्ध लक्ष्य
क्यों होते हैं? हर किसी के पास ऐसे लक्ष्य क्यों नहीं होते, जिनकी दिशा
में वे हर दिन काम करें? यह जीवन का एक बड़ा रहस्य है। मुझे यक़ीन है कि
चार कारणों से लोग अपने लक्ष्य तय नहीं करते :
वे लक्ष्यों को महत्वपूर्ण नहीं मानते
पहली बात, ज़्यादातर लोगों को लक्ष्यों के
महत्व का एहसास
ही नहीं होता। अगर आप ऐसे घर में पले-बढ़े हैं, जहाँ किसी के पास लक्ष्य
नहीं रहे हों या फिर ऐसे समूह में रहे हों, जहाँ लक्ष्यों पर कभी बातचीत न
हुई हो या उन्हें महत्व न दिया गया हो, तो वयस्क होने के बाद भी आप
लक्ष्यों की शक्ति से अनजान रह सकते हैं। आपको यह पता ही नहीं चलेगा कि
लक्ष्य तय करने और हासिल करने की आपकी योग्यता आपकी ज़िंदगी पर किसी दूसरी
योग्यता से ज़्यादा असर डालती है। अपने आस-पास ग़ौर से देखें। आपके कितने
दोस्तों या परिजनों के पास स्पष्ट लक्ष्य हैं और वे अपने लक्ष्यों के
प्रति समर्पित हैं?
वे जानते ही नहीं हैं कि लक्ष्य कैसे तय किए जाते हैं
लोगों के पास लक्ष्य न होने का दूसरा कारण यह
है कि वे यह
जानते ही नहीं हैं कि लक्ष्य तय कैसे किए जाते हैं। इससे भी बुरी बात, कि
कई लोग सोचते हैं कि उनके पास पहले से ही लक्ष्य हैं, जबकि उनके पास दरअसल
इच्छाओं या सपनों की श्रृंखला भर होती है, जैसे ‘‘खुश
रहो,’’ या ‘‘बहुत सा पैसा
बनाओ’’ या
‘‘अच्छा पारिवारिक जीवन जियो।’’
लेकिन उन्हें लक्ष्य नहीं कहा जा सकता। ये तो सिर्फ़ फंतासियाँ हैं, जो हर एक के पास होती हैं। लक्ष्य, इच्छा से एकदम अलग होता है। यह स्पष्ट होता है, लिखित होता है और विशिष्ट होता है। इसे किसी को भी जल्दी से और आसानी से बताया जा सकता है। आप इसकी दिशा में अपनी प्रगति को नाप सकते हैं। जब आप इसे हासिल कर लेते हैं या नहीं कर पाते, तो आप यह बात जान जाते हैं।
यह संभव है कि किसी नामी यूनिवर्सिटी से बड़ी डिग्री लेने के बावजूद आपको लक्ष्य निर्धारण के बारे में एक घंटे का भी प्रशिक्षण न मिला हो। लगता है, जैसे हमारे स्कूलों और यूनिवर्सिटीज़ की शैक्षिक सामग्री तय करने वाले लोग ज़िंदगी में सफलता हासिल करने में लक्ष्य निर्धारण के महत्व को लेकर बिलकुल अंधे हैं। और ज़ाहिर है, अगर बालिग़ होने तक आपने लक्ष्यों के बारे में कभी सुना ही नहीं है, जैसा मेरे साथ हुआ था, तो आपको पता भी नहीं होता कि वे आपके हर काम में कितने महत्वपूर्ण होते हैं।
लेकिन उन्हें लक्ष्य नहीं कहा जा सकता। ये तो सिर्फ़ फंतासियाँ हैं, जो हर एक के पास होती हैं। लक्ष्य, इच्छा से एकदम अलग होता है। यह स्पष्ट होता है, लिखित होता है और विशिष्ट होता है। इसे किसी को भी जल्दी से और आसानी से बताया जा सकता है। आप इसकी दिशा में अपनी प्रगति को नाप सकते हैं। जब आप इसे हासिल कर लेते हैं या नहीं कर पाते, तो आप यह बात जान जाते हैं।
यह संभव है कि किसी नामी यूनिवर्सिटी से बड़ी डिग्री लेने के बावजूद आपको लक्ष्य निर्धारण के बारे में एक घंटे का भी प्रशिक्षण न मिला हो। लगता है, जैसे हमारे स्कूलों और यूनिवर्सिटीज़ की शैक्षिक सामग्री तय करने वाले लोग ज़िंदगी में सफलता हासिल करने में लक्ष्य निर्धारण के महत्व को लेकर बिलकुल अंधे हैं। और ज़ाहिर है, अगर बालिग़ होने तक आपने लक्ष्यों के बारे में कभी सुना ही नहीं है, जैसा मेरे साथ हुआ था, तो आपको पता भी नहीं होता कि वे आपके हर काम में कितने महत्वपूर्ण होते हैं।
वे असफलता से डरते हैं
लोगों के लक्ष्य तय न करने का तीसरा कारण है
असफलता का डर।
असफलता से दिल को चोट पहुँचती है। यह भावनात्मक और अक्सर आर्थिक दृष्टि से
भी दुखदायी और कष्टकारी होती है। हर व्यक्ति कभी न कभी असफल हो चुका है।
हर बार हम ज़्यादा सतर्क होने और भविष्य में सफलता से बचने का संकल्प करते
हैं। इसके अलावा, कई लोग अचेतन रूप से ख़ुद को नुक़सान पहुँचाने वाली भारी
ग़लती करते हैं असफलता से बचने के लिए वे लक्ष्य ही तय नहीं करते। वे
सफलता की अपनी संभावना से काफी निचले स्तर पर ही काम करते-करते ज़िंदगी
गुज़ार देते हैं।
उन्हें अस्वीकृति का डर होता है
लोगों के पास लक्ष्य न होने का चौथा कारण है
अस्वीकृति
(rejection) का डर। लोग इस बात से डरते हैं कि अगर उन्होंने कोई लक्ष्य तय
किया और कामयाब नहीं हो पाए, तो दूसरे लोग उनकी आलोचना करेंगे या हँसी
उड़ाएँगे। यह भी एक कारण है कि शुरुआत में आपको अपने लक्ष्य गोपनीय रखने
चाहिए। किसी को भी न बताएँ। दूसरों को परिणाम देखने दें, उन्हें पहले से
कुछ भी न बताएँ। जो वे जानते ही नहीं हैं, उससे वे आपको चोट नहीं पहुँचा
सकते।
शीर्षस्थ 3 प्रतिशत लोगों में शामिल हों
मार्क मैक्कॉरमैक ने अपनी पुस्तक व्हाट दे
डोन्ट टीच यू एट
हार्वर्ड बिज़नेस स्कूल में 1979 और 1989 के बीच हार्वर्ड में हुए एक
अध्ययन के बारे में बताया है। 1979 में हार्वर्ड के एमबीए ग्रेजुएट्स से
पूछा गया, ‘‘क्या आपने अपने भविष्य के लिए स्पष्ट,
लिखित
लक्ष्य तय किए हैं और उन्हें हासिल करने की कोई योजना बनाई
है?’’ पता चला कि सिर्फ़ 3 प्रतिशत ग्रेजुएट्स के पास
लिखित
लक्ष्य और योजनाएँ थीं। तेरह प्रतिशत के पास लक्ष्य तो थे, लेकिन उन्होंने
लिखे नहीं थे। 84 प्रतिशत के पास स्पष्ट लक्ष्य ही नहीं थे, सिवाय इसके कि
वे बिज़नेस स्कूल से जाने के बाद गर्मियों का आनंद लें।
दस साल बाद 1989 में शोधकर्ताओं ने उस क्लास के सदस्यों से दोबारा संपर्क किया। उन्होंने पाया कि जिन 13 प्रतिशत के पास अलिखित लक्ष्य थे, वे लक्ष्य न बनाने वाले 84 प्रतिशत विद्यार्थियों से औसतन दोगुना कमा रहे थे। लेकिन उन्हें सबसे आश्चर्यजनक बात तो यह थी कि हार्वर्ड छोड़ते वक़्त जिन 3 प्रतिशत ग्रेजुएट्स के पास स्पष्ट लिखित लक्ष्य थे वे बाकी सभी 97 प्रतिशत से औसतन दस गुना ज़्यादा कमाई कर रहे थे।
दस साल बाद 1989 में शोधकर्ताओं ने उस क्लास के सदस्यों से दोबारा संपर्क किया। उन्होंने पाया कि जिन 13 प्रतिशत के पास अलिखित लक्ष्य थे, वे लक्ष्य न बनाने वाले 84 प्रतिशत विद्यार्थियों से औसतन दोगुना कमा रहे थे। लेकिन उन्हें सबसे आश्चर्यजनक बात तो यह थी कि हार्वर्ड छोड़ते वक़्त जिन 3 प्रतिशत ग्रेजुएट्स के पास स्पष्ट लिखित लक्ष्य थे वे बाकी सभी 97 प्रतिशत से औसतन दस गुना ज़्यादा कमाई कर रहे थे।
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