कहानी संग्रह >> बाबू की बगिया बाबू की बगियानफीस आफरीदी
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पैसठोत्तर पीढ़ी के सशक्त कथाकार नफीस आफरीदी की कहानियां
पैसठोत्तर पीढ़ी के सशक्त कथाकार नफीस आफरीदी की कहानियां समाज के उस तलछट वर्ग की कहानियां हैं जो हिन्दी साहित्य से धीरे-धीरे बेदखल होता जा रहा है। हाथ जोड़ना और चुप रहना दोनों चीजें उसने बहुत जल्दी सीख ली थीं। यह कहानी हिसाब-किताब एक स्कूल में दाई का काम कर रही बूढी गरीब स्त्री की त्रासदी है, बर्खास्तगी की तलवार जिसके सिर पर हमेशा लटकी रहती है।
कुछ ऐसी ही स्थिति शिकंजा कहानी के सौ रुपये वेतन पर एडहाक बेसिस पर काम करने वाले स्कूल मास्टर की है जो अभावग्रस्त जीवन में कर्ज से दबे होने के कारण अपने बाल-बच्चों के लिए दो वक्त की रोटी का जुगाड़ तक नहीं कर पा रहा है। कहीं कहानी की नौकरानी चंपा के जीवन की त्रासदी भी उपरोक्त कहानियों से अलग नहीं है।
नपुंसक बूढे पति के चंगुल से छूट भागने के बाद जिंदगी के हर मोड़ पर जिसे मांसभक्षी गिद्ध ही मिलते हैं। इसके अतिरिक्त किस्सा-दर-किस्सा, वायदा-खिलाफ व बाबू की बगिया संग्रह की उल्लेखनीय कहानियां हैं।
कुछ ऐसी ही स्थिति शिकंजा कहानी के सौ रुपये वेतन पर एडहाक बेसिस पर काम करने वाले स्कूल मास्टर की है जो अभावग्रस्त जीवन में कर्ज से दबे होने के कारण अपने बाल-बच्चों के लिए दो वक्त की रोटी का जुगाड़ तक नहीं कर पा रहा है। कहीं कहानी की नौकरानी चंपा के जीवन की त्रासदी भी उपरोक्त कहानियों से अलग नहीं है।
नपुंसक बूढे पति के चंगुल से छूट भागने के बाद जिंदगी के हर मोड़ पर जिसे मांसभक्षी गिद्ध ही मिलते हैं। इसके अतिरिक्त किस्सा-दर-किस्सा, वायदा-खिलाफ व बाबू की बगिया संग्रह की उल्लेखनीय कहानियां हैं।
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