अतिरिक्त >> आखिर समुद्र से तात्पर्य आखिर समुद्र से तात्पर्यश्रीनरेश मेहता
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आखिर समुद्र से तात्पर्य पुस्तक का किंडल संस्करण...
Aakhir Samudra Se Tatparya - A Hindi EBook By Naresh Mehta
आई पैड संस्करण
पिछले काव्य-संग्रहों से सर्वथा भिन्न-आस्वाद की ये कविताएँ चौंकाने की दृष्टि से नहीं हैं बल्कि एक प्रकार से यह उस रचनात्मक विकास की सूचना देती हैं जो शायद कवि को भविष्य में अभीष्ट हो। भिन्नता के बावजूद इन कविताओं का उत्स भी उसी काव्यात्मक उर्ध्व चेतना का बोध करवाता है जिसके लिए नरेश जी जाने जाते हैं। प्रकृति और लोक में सामरस्यता की ओर बढ़ती यह काव्य दृष्टि स्वयं हिन्दी कविता के लिए भी महत्वपूर्ण है।
मेरे गत काव्य-संग्रहों की कविताओं से इस संग्रह की कविता अपने स्वर और आस्वाद दोनों में किंचित् भिन्न लगें। वैसे कहा नहीं जा सकता कि यह भिन्नता रुचिकर होगी या नहीं। पर हाँ, इतना अवश्य सत्य है कि न तब और न अब अपने को यथातथ्य रूप में प्रस्तुत करने में कोई संकोच और न झिझक कुछ नहीं हुआ और क्यों होता?
पिछले कुछ काव्य संग्रहों में अपनी काव्यगत सर्जनात्मक मानसिकता के बारे में स्पष्ट कहने की आवश्यकता लगी थी अत: उनमें लम्बी-लम्बी भूमिकाएँ दी गयीं। वैसे उनसे कितना-कुछ विज्ञ पाठकों तक सम्प्रेषित हो सका, कहना कठिन है, लेकिन यही संतोष रहा कि मैंने अपना दायित्व निभाने की चेष्टा की। जो हो, पर इस बार ऐसा लग रहा है कि किसी भूमिका की आवश्यकता नहीं है इसीलिए कोई भूमिका नहीं दे रहा हूँ।
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