लोगों की राय

अतिरिक्त >> अस्मिता का चंदन

अस्मिता का चंदन

सुदर्शन मजीठिया

प्रकाशक : सरल प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2011
पृष्ठ :186
मुखपृष्ठ :
पुस्तक क्रमांक : 8343
आईएसबीएन :0

Like this Hindi book 7 पाठकों को प्रिय

15 पाठक हैं

अस्मिता का चंदन पुस्तक का किंडल संस्करण

Asmita Ka Chandan - A Hindi Ebook By Sudarshan Majithiya



प्रस्तुत संग्रह में लेखक ने अपने व्यंग्य साहित्य से इकतीस व्यंग्य रचनाओं का चयन किया है। अनेकानेक विषयों को ले अपने शिल्प के वैविध्य से लेखक ने सामाजिक व राजनैतिक विकृतियों पर बे बाक चोट की है। मजीठिया के व्यंग्यकार ने देखा कि इस संसार के लोगों के मुख भले भाँति-भाँति के हों किन्तु अपनी अस्मिता का चन्दन लगा-लगा कर जीने वालों के चन्दन का बदरंग तो एक ही तरह का है। एक से एक बढ़कर अध्यापक, नौकरशाह, अफसर, नेता, मन्त्री, कवि, व्यापारी, किसानों के नाम पर जीनेवाला सामन्त कुलाक, अपनी बची खुची अस्मिता का चन्दन चुपड़-चुपड़ कर किसी तरह जी रहे हैं। खर के अरगजा लेपन और इन लोगों के चन्दन लेप में कोई मौलिक अन्तर नहीं है। कोई अपने बापदादों की अस्मिता का चन्दन लपेटे घूम रहा है तो कोई अपनी संस्कृति और खानदानी इज्जत के चन्दन को बंदरिया के मरे बच्चे की तरह छाती से चिपकाये बैठा है। कई नेता अपने जेल संस्मरणों की अस्मिता के चन्दन की ढूह पर बैठे हैं। भारतीय नारी और भारतीय संस्कृति के महान ठेकेदारों की पूँजी भी यही अस्मिता का चन्दन है। इन लोगों की मान्यता है कि दुनिया में साम्यवाद की चूलें हिल रही हैं जबकि हकीकत यह है कि इनका खरा इलाज साम्यवाद ही कर सकता है। इन पृष्ठों में इन्हीं चन्दन के नंदनों की कहानी है।

प्रथम पृष्ठ

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book